प्रदेश सरकार से बातचीत के बाद आखिर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली। इसके साथ ही सरकार ने बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को वापस लेने के आदेश भी दे दिए हैं। इससे निश्चित तौर पर आमजन को राहत मिलेगी। 10 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की 10 दिन से चल रही हड़ताल के कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं थी। स्थिति यह थी कि कई जिलों में एंबुलेंस के लिए ड्राइवर भी नहीं मिल पा रहे थे। कर्मचारियों की मांगें वही हैं जो एक बरस पहले भी थी और सरकार का रुख भी वही है। सरकार कर्मचारियों के लिए अलग सर्विस रूल भी बना रही है। विशेष वेतन वृद्धि भी दी जा चुकी है। अब हड़ताल समाप्त हो गई है लेकिन दस दिन तक स्वास्थ्य केंद्रों पर लोगों को जिस तरह की परेशानी झेलनी पड़ी उसकी भरपाई संभव नहीं है। अभी भी उन्हें पक्का करने के मसले पर सहमति नहीं बनी है और सरकार ने शुरू की नई भर्ती प्रकिया रोक दी है। इस तरह हजारों लोगों की जान खतरे में डालकर अपनी मांगें मनवाने की जिद जायज नहीं कही जा सकती। सतर्कता बरती होती तो आमजन खासकर ग्रामीण आबादी को इन परेशानियों से दो-चार नहीं होना पड़ता। कुछ स्थानों पर सक्रिय अधिकारियों ने एंबुलेंस के लिए चालक व अन्य कर्मियों की आपातकालीन व्यवस्था कर दी। वहीं बहुत से जिलों के अधिकारी इस स्थिति में भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और चंडीगढ़ की ओर मुंह ताकते रहे। अब चिंता यह है क्या भविष्य में फिर ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसे में तैयारियां रहनी चाहिए। ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था व समाधान पर तैयारी रहनी चाहिए। कुछ स्थायी समाधान के लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा, तभी बेहतर लक्ष्य को पाया जा सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]