बहुचर्चित अदाणी समूह को लेकर आई अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और उसके बाद इस समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट को लेकर संसद में दूसरे दिन भी जिस तरह हंगामा हुआ, उससे यह स्पष्ट है कि विपक्ष इस मामले को तूल देने में लगा हुआ है। वह शायद आगे भी तूल देता रहेगा, क्योंकि उसे इस प्रकरण के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राजनीतिक हमले का अवसर मिल गया है। विपक्ष के हमलावर रवैये का एक कारण नियामक संस्थाओं का आगे आकर स्थिति को स्पष्ट न करना भी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आए करीब दस दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक हमारी नियामक संस्थाओं और विशेष रूप से सेबी ने वैसी तत्परता नहीं दिखाई है, जैसी अपेक्षित थी।

यह ठीक है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहा कि अदाणी समूह को लेकर उपजे विवाद से निवेशकों के भरोसे पर कोई असर नहीं पड़ेगा और बाजार पूरी तरह नियामक संस्थाओं के नियंत्रण में है, लेकिन प्रश्न यह है कि ये संस्थाएं उन सवालों का ठोस जवाब देने के लिए आगे क्यों नहीं आ रही हैं, जो सतह पर उभर आए हैं। ध्यान रहे कि इन सवालों का सही तरह समाधान अदाणी समूह की ओर से दिए गए जवाबों से नहीं हो सका है और शायद यही कारण है कि शेयर बाजार में उसकी कंपनियों के शेयरों के भाव गिरते चले जा रहे हैं।

इससे इन्कार नहीं कि हिंडनबर्ग ने अप्रत्याशित तरीके से आगे बढ़े अदाणी समूह का एफपीओ आने के ठीक पहले उसे जिस तरह निशाना बनाया, उससे उसके इरादे संदिग्ध जान पड़ते हैं, लेकिन उसने जो सवाल उठाए हैं, उनका समुचित जवाब तो सामने आना ही चाहिए- न केवल इस समूह की ओर से, बल्कि नियामक संस्थाओं की ओर से भी। इसमें देरी इसलिए नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अदाणी समूह को कर्ज देने वाले बैंकों का भी जोखिम बढ़ सकता है।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि रिजर्व बैंक ने बैंकों से यह पूछा है कि उन्होंने अदाणी समूह को कितना कर्ज दिया है, क्योंकि कायदे से अब तक तो उसे इस जानकारी से लैस हो जाना चाहिए था। इससे भी अधिक आवश्यक यह है कि सेबी को समय रहते सक्रियता दिखानी चाहिए थी। सेबी इससे अपरिचित नहीं हो सकता कि अस्पष्टता और अविश्वास के वातावरण में शेयर बाजार किस तरह व्यवहार करता है। सच तो यह है कि उसे अदाणी समूह के मामले में अपने ठोस निष्कर्षों के साथ अपनी प्रतिक्रिया इस तरह देनी चाहिए थी, जिससे देश के साथ दुनिया को यह संदेश जाता कि कारपोरेट गवर्नेंस के मामले में सभी मानकों का पालन किया जा रहा है। कम से कम अब तो यह काम किया ही जाना चाहिए, अन्यथा कल को किसी अन्य की ओर से दूसरी भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया जा सकता है।