केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में विशेष औद्योगिक पैकेज देने का फैसला सराहनीय है। नि:संदेह इससे राज्य में उद्योगों के लिए बंद हो चुके दरवाजे फिर से खुलेंगे और रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी। जम्मू कश्मीर को केंद्र ने वर्ष 2002 से ही विशेष औद्योगिक पैकेज दिया हुआ था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इससे बीते दस महीनों में राज्य में किसी भी नए उद्योग का पंजीकरण नहीं हुआ। आतंकवाद ग्रस्त होने के कारण यहां पर पहले से ही बाहर से बहुत कम लोग उद्योग लगाने में रुचि दिखाते हैं। केंद्र सरकार के पैकेज के कारण राज्य में पिछले कुछ वर्ष से कई उद्योग स्थापित भी हुए थे, मगर पैकेज खत्म होने का नकारात्मक प्रभाव पड़ा। अब केंद्र सरकार के नए पैकेज का लाभ वर्ष 2022 तक उद्योगपतियों को मिलेगा और कुल पूंजी निवेश का तीस प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा देने सहित अन्य लाभ मिलने से उम्मीद है कि राज्य में एक बार फिर से उद्योग स्थापित होंगे।

जम्मू-कश्मीर में इस समय बेरोजगारी की जो समस्या है, वह किसी से छुपी नहीं है। किसी भी विभाग में निकलने वाले चंद पदों के लिए एक लाख उम्मीदवारों का आवेदन करना अब सामान्य बात हो गई है। रविवार को हुई नायब तहसीलदारों की लिखित परीक्षा में भी 70 हजार युवाओं ने अपना भाग्य आजमाया। उद्योग न होने के कारण यह युवा पूरी तरह से सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर हैं। यह अच्छी बात है कि राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने उद्योगों को पैकेज देकर युवाओं के लिए भी एक उम्मीद जगाई है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह बड़े औद्योगिक घरानों को राज्य में आमंत्रित करे और यह सुनिश्चित बनाए कि वह जम्मू-कश्मीर में निवेश करें। एक बार बड़े औद्योगिक घरानों के निवेश करने से न सिर्फ यहां पर अन्य भी उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित होंगे बल्कि इससे पूरे देश में यह भी संदेश जाएगा कि राज्य में हालात सामान्य हैं। इतना ही नहीं, इससे राज्य में बेरोजगारी की समस्या का समाधान भी होगा। राज्य सरकार को अब उद्योगों के पंजीकरण के लिए सिंगल ¨वडो सिस्टम भी अपनाना होगा ताकि उद्योगपतियों को उद्योग स्थापित करते समय परेशान न होना पड़े।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]