एक ऐसे समय जब चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बदनीयती का परिचय देने में लगा हुआ है, तब इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उसके पिछलग्गू पाकिस्तान की भी शरारत बढ़ती जा रही है। बात चाहे कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकियों की घुसपैठ के इरादे से संघर्ष विराम के उल्लंघन की हो या फिर भारत के लिए खतरा बने आतंकी संगठनों को पनाह देने की, पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। यह साधारण बात नहीं कि बीते आठ माह में पाकिस्तान ने कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तीन हजार से ज्यादा बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। इतने कम समय में संघर्ष विराम उल्लंघन की इतनी अधिक घटनाएं बीते 17 सालों में एक रिकॉर्ड हैं। इन घटनाओं से यह साफ है कि पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ कराकर कश्मीर के सुधरते हालात बिगाड़ने पर आमादा है।

यद्यपि पाकिस्तानी सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया जा रहा है, लेकिन कुछ ऐसा करने की जरूरत है, जिससे उसे संघर्ष विराम उल्लंघन की भारी कीमत चुकानी पड़े। उसे नए सिरे से सबक सिखाने की तैयारी इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यह अंदेशा गहरा रहा है कि चीन के साथ झड़प की स्थिति में भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना और उसके यहां पल रहे आतंकियों से भी निपटना पड़ सकता है।

वैसे तो भारतीय सेना चीन के साथ पाकिस्तान के शातिर इरादों से अच्छी तरह अवगत है, लेकिन यह सही समय है कि भारत उसे सख्त चेतावनी देने के साथ ही उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाए। यह तय है कि जब उस पर दबाव बढ़ेगा तो उसका असर उसके आका चीन पर भी पड़ेगा। पाकिस्तान किस तरह चीन के इशारे पर बेकाबू हो रहा है, इसका पता उसकी ओर से शंघाई सहयोग संगठन की एक बैठक में अपने फर्जी मानचित्र के जरिये भारत को उकसाने की कोशिश से चलता है। जहां भारत ने इस बैठक का बहिष्कार किया, वहीं रूस ने भी उसे झिड़का, लेकिन इसमें संदेह है कि इससे उसकी सेहत पर कोई असर पड़ने वाला है। उसके होश तो तभी ठिकाने आते हैं, जब उसे कोई तगड़ा झटका दिया जाता है। भारत को इसके लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स यानी एफएटीएफ से कोई राहत-रियायत न मिलने पाए।

नि:संदेह दुनिया इससे परिचित है कि पाकिस्तान किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को पालने-पोसने में लगा हुआ है, लेकिन उसे वे प्रमाण उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जो पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान को बेनकाब कर सकें। यह अच्छा हुआ कि जेनेवा में मानव अधिकार परिषद की बैठक में भारत ने पाकिस्तान की जमकर खबर ली, लेकिन यह वह काम है, जिस पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।