लॉकडाउन का चौथा चरण खत्म होने के पहले ही इस तरह की चर्चा शुरू होना स्वाभाविक है कि क्या पांचवें चरण की भी नौबत आएगी? लॉकडाउन की अवधि को और बढ़ाने को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारें चाहे जिस नतीजे पर पहुंचें, वे इसकी अनदेखी नहीं कर सकतीं कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और देश के कुछ शहर, खासकर मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद में संक्रमण पर लगाम लगती नहीं दिखती। स्पष्ट है कि कोरोना संक्रमण की दृष्टि से संवेदनशील शहरों और उनके हॉट-स्पॉट कहे जाने वाले इलाकों में चौकसी का स्तर बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।

इस जरूरत की पूर्ति होनी चाहिए, लेकिन इसी के साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि र्आिथक एवं व्यापारिक गतिविधियों को वास्तव में बल कैसे मिले? इसके लिए केंद्र सरकार को भी सक्रिय होना होगा और राज्य सरकारों को भी। भले ही लॉकडाउन के चौथे चरण में तमाम छूट देकर कारोबार को आगे बढ़ाने के उपाय किए गए हों, लेकिन सच यही है कि वे अपर्याप्त साबित हुए। ऐसा इसलिए हुआ कि एक तो केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों की मनचाही व्याख्या की गई और दूसरे, राज्य सरकारों ने शारीरिक दूरी के नियम को लेकर जरूरत से ज्यादा सख्ती बरती। इसका परिणाम यह हुआ कि कारोबारी गतिविधियों को गति देने के लिए आवश्यक मानी गई आवाजाही पर कदम-कदम पर अड़ंगे लगे। ये अड़ंगे अभी भी लग रहे हैं।

कुछ राज्य सरकारें अपनी सीमाओं पर नाकाबंदी किए हुए हैं तो कुछ रेल एवं हवाई यात्रा को हरी झंडी दिखाने में आनाकानी कर रही हैं। पता नहीं वे यह साधारण सी बात समझने को तैयार क्यों नहीं हैं कि बिना आवाजाही काम-धंधा कैसे आगे बढ़ सकता है? उन्हें इसका न केवल आभास होना चाहिए, बल्कि नजर भी आना चाहिए कि कारोबारी गतिविधियों के ठप होने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। यदि कारोबार को आगे बढ़ाने में तत्परता का परिचय नहीं दिया जाता तो देश को कोरोना वायरस से उपजी महामारी से अधिक नुकसान उद्योग- व्यापार ठप रहने से हो सकता है।

अब जब इसके संकेत भी दिखने लगे हैं तब फिर उचित यही है कि लॉकडाउन को लेकर कोई फैसला करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि कारोबारी गतिविधियों को गति देने में आड़े आ रहीं बाधाएं प्राथमिकता के आधार पर दूर हों। यह भी विचित्र है कि राज्य सरकारें शारीरिक दूरी के जिस नियम को लेकर सख्ती दिखा रही हैं उसका कदम-कदम पर उल्लंघन हो रहा है। सबसे अधिक उल्लंघन तो कामगारों की वापसी के दौरान दिख रहा है। बेहतर हो सरकारें यह समझें कि शारीरिक दूरी का नियम यह नहीं कहता कि कारोबारी गतिविधियों को शुरू करने में देरी की जाए।