दिल्ली की प्रमुख सड़कों और बाजारों में फुटपाथ पर अतिक्रमण गंभीर समस्या बन चुका है। इसके कारण न सिर्फ लोगों को यातायात जाम जैसी समस्या से दो-चार होना पड़ता है, बल्कि यह अतिक्रमण कई बार सड़क हादसों की वजह भी बनता है। सड़कों और बाजारों में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली में अब भी कई बाजारों और सड़कों पर फुटपाथ पर अतिक्रमण देखा जा सकता है। यह निराशाजनक ही है कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद स्थानीय स्तर पर सरकारी एजेंसियां फुटपाथों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध नजर नहीं आतीं। कुछ एक स्थानों पर अतिक्रमण हटाने का अभियान अवश्य चल रहा है, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति के अभाव में यह कितना प्रभावी साबित होगा, यह कहना मुश्किल ही है। एक बार अतिक्रमण हटाए जाने के बाद कुछ समय या कुछ दिन बाद फिर से उसी स्थान पर अतिक्रमण हो जाना भी एक स्थायी समस्या है। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि वहां दोबारा अतिक्रमण न होने पाए।

दिल्ली के करोलबाग और चांदनी चौक जैसे बड़े बाजार हों या इन बाजारों के आसपास की प्रमुख सड़कें हर जगह फुटपाथ पर अतिक्रमण सामान्य तौर पर देखा जा सकता है। दिल्ली में अतिक्रमण हटाने के लिए जिम्मेदार नगर निगमों और यातायात पुलिस को सड़कों व बाजारों को अतिक्रमण मुक्त करने को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकारी एजेंसियों को यह समझना चाहिए कि अतिक्रमण हटाने का काम एक दिन का काम नहीं है। समय-समय पर विशेष अभियान भी चलाए जाने चाहिए ताकि फुटपाथों पर अतिक्रमण करने वालों को यह स्पष्ट किया जा सके कि अब दिल्ली की सरकारी एजेंसियां फुटपाथ पर अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं करेंगी।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]