कृषि पर केंद्रित हरियाणा की अर्थव्यवस्था को प्रदेश सरकार उद्योग की राह पर ले जाने के लिए प्रयासरत है। अभी तक उद्योगों के विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौतियां थीं - महंगी बिजली और महंगी जमीन। दूसरा उद्योगों के लिए कच्चा माल की आपूर्ति का भी कोई साधन नहीं है। हालांकि कृषि आधारित उद्यमों की अपार संभावनाएं हैं पर नीतियां ऐसी रहीं कि उद्यमियों को राह नहीं मिल पाईं। इससे उद्योग गुरुग्राम-फरीदाबाद में ही सिमट गए। कृषि उत्पादन में सिरमौर होने के बावजूद हरियाणा का आर्थिक विकास एक बिंदु पर आकर ठहर सा गया। अब सरकार ने व्यापक रणनीति के तहत काम शुरू कर दिया है। अलग-अलग की जरूरत व संभावना के अनुरूप उद्योग विकसित किए जाने की रणनीति है। विशेष नीतियां भी बनाई जा रही हैं।

इन उद्योगों की मंजूरी को आसान बनाने के साथ सरकार ने अब छोटे उद्यमियों को सस्ती बिजली देने का निर्णय किया गया है। निश्चित तौर पर इस घोषणा से पूर्व में चल रही लघु व मध्यम इकाइयों को पुनर्जीवन मिलेगा। अब इन इकाइयों को 4.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। पहले 6.65 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल भरना पड़ता था। अगली बड़ी चुनौती है उद्योग लगाने के लिए सस्ती जमीन की। इसके लिए लैंड पूल बनाने की तैयारी है। खासकर पंचायतें ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक जमीन को उद्योग के लिए दे सकती हैं। यह जमीन चूंकि लीज पर होगी ऐसे में उद्यमियों का निवेश कम ही करना होगा। इन नीतियों से हजारों गैर पंजीकृत उद्योग भी पंजीकृत होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]