मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह घोषणा राजधानीवासियों के लिए नववर्ष का तोहफा जैसी है कि पटना मेट्रो रेल परियोजना की डीपीआर अगले चार महीने में केंद्र सरकार को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद जल्द ही पटना मेट्रो को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल जाने की संभावना हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि अगले साल पटना में मेट्रो रेल परियोजना पर जमीनी काम शुरू हो जाएगा। यानी अगले कुछ सालों में राजधानीवासियों को मेट्रो रेल सेवा उपलब्ध हो जाएगी। पटना में मेट्रो रेल सेवा शुरू होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया और गया जैसे शहर भी यह सपना देखना शुरू करेंगे। महानगरीय सभ्यता के संक्रमणकाल से गुजर रहे पटना के लिए मेट्रो सेवा का महज परिवहन सुविधा से इतर कहीं ज्यादा दूर तक महत्व है। पटना अपने अराजक यातायात के लिए भी जाना जाता है। शहर के प्रमुख मार्ग दिनभर जाम से जूझते हैं। मेट्रो रेल सेवा चालू होने के बाद राजधानी की संकरी सड़कों को राहत मिलना तय है। इसके अलावा लोगों की जीवनशैली में व्यवहारगत बदलाव आने के भी आसार हैं। मेट्रो रेल सेवा वाले सभी शहरों में नागरिक-व्यवहार में बदलाव देखे गए हैं। तय है कि पटना भी इससे अछूता नहीं रहेगा। इस बीच पटना में कई व्यस्त मार्गों पर फ्लाईओवर और एलीवेटेड रोड भी बनाए गए हैं जबकि कई निर्माणाधीन या प्रस्तावित हैं। जाहिर है कि राजधानी का परिवहन स्ट्रक्चर बेहतरी की ओर बढ़ रहा है। नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे सरकार के प्रयासों को अपना सहयोग और समर्थन दें। सर्वाधिक अहम मुद्दा ट्रैफिक बोध का है। जेब्रालाइन और रेडलाइट की अवहेलना से लेकर हेलमेट न पहनने जैसी आदतें सड़कों का परिदृश्य अराजक बना देती हैं जबकि व्यक्तिगत प्रयास से इसे ठीक किया जा सकता है। यह नसीहत पटना के अलावा सूबे के बाकी शहरों के लिए भी है। जब राज्य में मेट्रो रेल जैसी सुविधाएं दस्तक दे रही हैं, तब नागरिकों को भी व्यवहार के स्तर पर इनके स्वागत की तैयारी करना चाहिए। विकास और स्वेच्छाचारिता एक साथ नहीं चल सकते। यदि हम बिहार को विकास के पथ पर तेजी से बदलता देखना चाहते हैं तो हमें खुद को भी बदलना होगा।
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मेट्रो रेल सेवा परिवहन सुविधा के साथ-साथ एक नई जीवन-संस्कृति भी साथ लेकर चलती है। अगले कुछ सालों में यह संस्कृति पटना के रास्ते बिहार में प्रवेश करेगी। वक्त की मांग है कि राज्यवासी इस बदलाव के लिए खुद को तैयार करें।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]