[प्रो बीवी फणी]। अनुसंधान के क्षेत्र में भारत पूरी दुनिया में अपना सिक्का जमा रहा है। देश के नामी गिरामी शोध संस्थान व तकनीकी शिक्षण संस्थानों की इसमें जबरदस्त भागीदारी है। लेकिन समय के साथ शोध व अनुसंधान की सीरत बदली है। केवल नई तकनीक विकसित करने के लिए अब अनुसंधान नहीं किए जा रहे हैं बल्कि जो देश की जरूरत को पूरा करें ऐसी चीजें तलाशने के लिए वैज्ञानिक शोध कार्य कर रहे हैं। इसमें सामाजिक सरोकार से लेकर आम व्यक्ति की आवश्यकताएं शामिल हैं।

शोध के क्षेत्र में सीएसआइआर, डीआरडीओ, आइसीएआर, इसरो, सी डैक व आइआइटी जैसे कई अन्य संस्थानों में चल रहे शोध कार्य देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आज 5जी, बॉयो डिवाइस, फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स, एयर प्यूरीफायर, एनर्जी सिस्टम व मानवरहित यान जैसे क्षेत्रों पर तेजी के साथ शोध कार्य चल रहा है। हमने ऐसे मानवरहित यान बना लिए हैं जो कहीं पर भी आसानी से पहुंचकर वहां की स्थिति का जायजा देने में सक्षम हैं। ऐसे टीवी व कंप्यूटर बनाए जाने पर तेजी से काम चल रहा है जिन्हें आप मोड़कर पर्स की तरह अपनी जेब में रख सकते हैं।

बिजली की कमी को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा के सस्ते पैनल बनाने में हम काफी हद तक सफलता पा चुके हैं। साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। साइबर अटैक व ई-बैंकिंग सिक्योरिटी के लिए विशेषज्ञों ने ऐसे सॉफ्टवेयर ईजाद किए हैं जो आपके कंप्यूटर में अपलोड किए गए प्रपत्रों पर नजर रख सकते हैं। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) के अंतर्गत वैज्ञानिक बिजली, पानी, सड़क, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ व ग्रामीण विकास के लिए तकनीक विकसित कर रहे हैं। इसमें योजना में देश के शीर्ष दस संस्थान शामिल हैं।

अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अब किसी भी आइडिया पर शोध करने के लिए सुविधाएं मिलनी प्रारंभ हो गई हैं। सकारात्मक परिणाम आने पर अनुदान भी दिया जा रहा है। इससे उभरते वैज्ञानिकों व स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं की भागीदारी बढ़ी है। एक जमाने में हम कभी रॉकेट साइंस की जो बात किया करते थे आज वह सपना साकार होता नजर आ रहा है। हां, यह भी सच है कि इसे अभी और गति दिए जाने की जरूरत है। कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जिनमें अनुसंधान की स्थिति धरातल पर उतनी मजबूत नहीं है।

इसके लिए युवाओं की शोध के प्रति रुचि बढ़ाने व उन्हें बेहतरीन संसाधन मुहैया कराए जाने की जरूरत है। हालांकि देश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों में इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन एकेडमी की स्थापना से युवाओं को लाभ मिलना शुरू हुआ है। इसके अंतर्गत उन्हें अपनी सोच को सही दिशा देने के लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों व वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलने लगा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी), ट्रिपल आइटी, एनआइटी के अलावा देश के दूसरे तकनीकी विश्वविद्यालय बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों पर अनुसंधान कर देश को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। अलग-अलग विषयों पर इन वैज्ञानिक संस्थाओं में शोध कराए जा रहे हैं। देश के वरीयता प्राप्त इन संस्थानों ने कई नए उपकरण बनाकर तकनीक के क्षेत्र को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। जिन क्षेत्रों में तकनीक विकसित करने के लिए तेज गति से काम चल रहा है उनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष अनुसंधान, कृषि, सौर ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, जल संचयन प्रमुख रूप से शामिल हैं।