स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल के कारण प्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं चरमराई हुई हैं और अब सरकार ने करीब दस हजार ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों की बर्खास्तगी का आदेश सुना दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं के मसले पर सरकार को कड़ा रुख अपनाना ही चाहिए लेकिन अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं बरकरार रखने का प्रयास पहले होना चाहिए। अधिकारी अभी तक सचेत नहीं हुए हैं और लोगों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छह दिन में स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है और अभी भी सरकार कर्मचारियों के काम पर लौटने का इंतजार कर रही है।
फतेहाबाद में एंबुलेंस उपलब्ध न होने के कारण हादसे में घायल की मौत हो गई। यह चिंता का विषय है। सरकार कर्मचारियों से भले ही वार्ता जारी रखे, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था प्राथमिकता में हो। कर्मचारियों को भी सोचना होगा कि क्या अपनी मांगें मनवाने के लिए लोगों को मौत के मुंह में धकेलना जायज है। लड़ाई लड़ने के और भी तरीके हो सकते हैं। कर्मचारियों की संख्या के मद्देनजर सरकार ठोस कार्रवाई को लगातार टालती आ रही थी। पिछली बार हड़ताल के दौरान भी कमोबेश यही स्थिति बन आई थी। क्या वैकल्पिक व्यवस्था न कर पाने पर अफसरों को इसके लिए जिम्मेवार नहीं माना चाहिए। सरकार को सब स्थिति छोड़ आपात स्थिति लागू कर देनी चाहिए और निजी एजेंसियों के माध्यम से तत्काल अन्य कर्मियों को तैनात किया जाए ताकि आमजन को जान न गंवानी पड़े।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]