मुजफ्फरपुर से दिल्ली जा रही बस के साथ हुए हादसे में कई यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हृदय विदारक घटना है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को चार- चार लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया है। जो यात्री अधजली अवस्था में बस से निकाल लिए गए, उन्हें श्रेष्ठतम इलाज मुहैया कराया जाए ताकि उन्हें न सिर्फ बचाया जा सके बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी बची रहे। पहली नजर में यह एक हादसा मात्र है जिसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता यद्यपि हादसे की तह में जाने पर ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जो इस हादसे की परोक्ष या अपरोक्ष वजह माने जा सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इतने लंबे रूट पर यह बस अवैध ढंग से चल रही थी। यानी बस चलाने के लिए कोई परमिट नहीं लिया गया था। इसके बावजूद इस बस के लिए टिकट ऑनलाइन बुक होते थे।

यह खुलासा भी हो गया है कि बस का नंबर फर्जी था। यह बस जिस नंबर से चल रही थी, वास्तव में वह उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की किसी जीप का नंबर है। इससे इस बात की आशंका प्रबल हो गई है कि यह बस कहीं से चुराकर लाई गई होगी और मुजफ्फरपुर से दिल्ली में बीच चलाई जा रही थी। यह जानकारी सामने आने पर भी आश्चर्य नहीं होगा कि बस चालक का ड्राइविंग लाइसेंस भी फर्जी थी। यह तो लगभग तय है कि सिर्फ यही एक बस डग्गामारी नहीं कर रही थी। मुजफ्फरपुर और अन्य शहरों से इसी तरह तमाम और बसें चल रही होंगी। यह संभव नहीं कि इतनी बड़ी धांधली पुलिस और प्रशासन की जानकारी के बिना हो रही थी। इस पड़ताल की भी जरूरत नहीं कि इस धांधली पर पुलिस और प्रशासन मौन क्यों थे। सब कुछ स्पष्ट है। यदि शासन-प्रशासन इस हादसे से कोई सबक लेना चाहते हैं तो सर्वप्रथम बस मालिक के साथ सख्ती से पूछताछ करके इस अवैध धंधे की पारदर्शी सच्चाई सार्वजनिक की जाए। फिर पूरे प्रदेश में अवैध बस संचालन के खिलाफ अभियान छेड़ा जाए।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]