दिल्ली की खस्ताहाल सड़कें लोगों के लिए समस्या की वजह बन रही हैं। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब यह सामने आता है कि टूटी सड़कों के कारण दिल्लीवासियों को जान से हाथ भी धोना पड़ रहा है। यदि मध्य दिल्ली की बात करें तो दिवाली करीब होने के कारण कनॉट प्लेस, सदर बाजार, चांदनी चौक और करोलबाग के बाजारों में लोगों का आना-जाना बढ़ गया है, लेकिन इन बाजारों में खरीदारी के लिए पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। खस्ताहाल सड़कों ने इन बाजारों तक पहुंचना मुश्किल बना दिया है। यह स्थिति मध्य दिल्ली की है तो दिल्ली के दूसरे इलाकों की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। विगत बृहस्पतिवार रात बुराड़ी में हैदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास सड़क में बने गड्ढे के कारण स्कूटी दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से व्यक्ति की मौत हो गई। ऐसी ही एक घटना विगत अगस्त माह में कंझावला इलाके में भी सामने आई थी। वहां सरकारी स्कूल टीचर के पति की स्कूटर सड़क पर बने गड्ढे में पड़कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और स्कूटर से गिरने पर टीचर पीछे से आ रहे कैंटर की चपेट में आ गई थीं, जिससे उनकी मौत हो गई थी।
राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों की मरम्मत न होना और उसके कारण जानलेवा हादसे होना गंभीर चिंता की बात है। सिर्फ हादसे ही नहीं, सड़कों पर गड्ढों के कारण यातायात जाम लगना और बारिश के दिनों में जलभराव होना भी सामान्य बात है। ऐसे में यह आवश्यक है कि लोक निर्माण विभाग सड़कों का ठीक ढंग से रखरखाव करे। विभाग को अपने स्तर पर सड़कों का सर्वे कराना चाहिए और टूटी सड़कों का पता लगाकर उनकी मरम्मत करनी चाहिए। यही नहीं, इस कार्य में यातायात पुलिस से भी इनपुट लेना चाहिए, ताकि कहीं एक भी स्थान पर सड़क पर गड्ढा शेष न रह जाए। मरम्मत कराने के साथ ही निगरानी तंत्र भी विकसित किया जाना चाहिए, ताकि सड़कों पर भविष्य में कहीं भी गड्ढा होने पर उसे कुछ घंटों में ही भरा जा सके। दिल्ली सरकार का दायित्व है कि वह नई सड़कें बनाने के साथ ही जहां जैसी आवश्यकता हो, सड़कों की मरम्मत कराए और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में खस्ताहाल सड़कों के कारण किसी की जान न जाने पाए। विश्वस्तरीय शहर दिल्ली को मुंह चिढ़ाती टूटी सड़कें किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हैं।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]