डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को लेकर अदालत द्वारा 25 अगस्त को सुनाए जाने वाले फैसले के मद्देनजर पंजाब में सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है। प्रदेश के मालवा क्षेत्र में डेरे के लाखों अनुयायी हैं और हजारों डेरे हैं। इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन काफी एहतियात बरत रहा है। डेरा प्रेमियों द्वारा फैसले को लेकर बनाई जा रही रणनीति पर प्रशासन की पैनी नजर है। पुलिस प्रशासन के सामने कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती है। पंजाब पहले भी डेरे के मामले में अशांत हो चुका है जब बठिंडा के सलाबतपुरा डेरे में डेरा प्रमुख द्वारा एक कार्यक्रम किया गया था। तब सिख समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हुई थीं। यह अच्छी बात है कि प्रशासन हर तरीके से मुस्तैदी दिखा रहा है और जिलों में डीसी व एसएसपी खुद लगातार मौके का जायजा ले रहे हैं। डेरे के द्वारा यह अपील करना भी राहत वाली बात है कि डेरा प्रेमी अदालती फैसले को लेकर कोई भी ऐसी प्रतिक्रिया न दें जिससे परेशानी पैदा हो। अदालती फैसले का सम्मान किया ही जाना चाहिए। इससे पहले भी अदालतें फैसले सुनाती रही हैं। इस मामले में धैर्य का परिचय दिया जाना जरूरी है। कानून के दायरे में ही कोई भी काम किया जाना चाहिए। फिलहाल तो फैसले का इंतजार करना चाहिए। फैसला आने के बाद जो भी कानूनी प्रक्रिया है उसी के अनुसार कदम उठाया जाना चाहिए। डेरे की ओर से कई अच्छे सामाजिक कार्य किए जाते हैं जिसकी वजह से डेरे की एक अलग पहचान भी है। डेरे के अनुयायियों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा। डेरा प्रेमियों की ओर से ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था का संकट पैदा हो। यदि प्रदेश अशांत होता है तो इसका खामियाजा अंतत: प्रदेश की जनता को ही भुगतना पड़ता है। उद्योग, व्यापार व कारोबार बंद करने पड़ते हैं जिसके कारण आर्थिक रूप से भारी नुकसान होता है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज बंद होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है। पंजाब पहले भी काफी समय तक अशांत रह चुका है। काफी मशक्कत के बाद प्रदेश में अमन-चैन का माहौल कायम हो सका है। इसलिए हर हाल में कानून व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए पुलिस प्रशासन को जो भी कदम उठाने जरूरी हों वो तत्काल उठाए जाने चाहिए और इसके साथ ही लोगों को भी समझदारी का परिचय का देना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]