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मुख्यमंत्री के अनुच्छेद 35 ए पर दिए गए बयान से दोनों दलों में तल्खियां बढ़ गई हैं, राष्ट्रवादी संगठनों ने इसको तिरंगे का अपमान बताते हुए भाजपा पर तंज कसने शुरू कर दिए हैं
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मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को लेकर दिए गए उस बयान से राजनीति गर्माने लगी है जिसमें उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर धारा 370 को मजबूत करने वाले अनुच्छेद 35 ए से केंद्र सरकार ने कोई छेड़छाड़ की तो जम्मू कश्मीर में तिरंगा थामने वाला कोई नहीं रहेगा। महबूबा के इस बयान से पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के बीच तल्खियां बढ़ी है। क्योंकि यह बयान ऐसे समय में आया है, जब केंद्र सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में ठोस कदम उठाए है। हुर्रियत के सैयद अली शाह गिलानी के बेटों से एनआइए की पूछताछ से भी जोड़ कर इस बयान को भी देखा जा रहा है। महबूबा की विचारधारा में अचानक आए बदलाव से भाजपा भी सकते में है, क्योंकि उनके इस विवादास्पद बयान से सभी राष्ट्रीय और जम्मू आधारित क्षेत्रीय दलों को भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया है, जिसे भाजपा नागवार समझ रही है। कुछ राष्ट्रवादी संगठनों ने इस बयान को तिरंगे का अपमान बताते हुए महबूबा से ताकीत भी की है कि ऐसे बयानों से पाकिस्तान को शह मिलती है। कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों ने व्यापक अभियान चला रखा है, महबूबा अगर ऐसे बयान देंगी तो अलगाववादी जिनके इशारे पर घाटी में खून खराबा हो रहा है, को शह मिलेगी। महबूबा को लग रहा है कि कहीं केंद्र की भाजपा सरकार जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे से छेड़छाड़ कर धारा 370 को समाप्त कर सकता है। और यह भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र के साथ उनका एजेंडा भी है। यह दीगर बात है कि राज्य में भाजपा सरकार ने पीडीपी के साथ सरकार बनाते समय धारा 370 को अलग रखा है। फिर भी पीडीपी को लग रहा है कि कहीं भाजपा सरकार अपने एजेंडे को उन पर थोपना चाहती है। महबूबा को भी अब समझ आ गया है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की पकड़ कश्मीर में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से कमजोर हुई है। इसलिए महबूबा का भाजपा के प्रति मोहभंग होता नजर आ रहा है। महबूबा को समझ आ गया है कि पीडीपी का आस्तित्व केवल कश्मीर में ही है और उसकी गिरती साख बचाने के लिए विवादित बयानों का ही सहारा क्यों न लेना पड़े।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]