आज बिहार के लिए तोहफे का दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं। वे पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह में गौरव के क्षण के साक्षी बनेंगे, फिर हाजीपुर में सेवाओं व आधारभूत संरचना से जुड़ी परियोजनाओं काउद्घाटन व शिलान्यास करेंगे। बिहार के लोगों के लिए खुशखबरी यह कि अब पाटलिपुत्र स्टेशन से लखनऊ के लिए नई ट्रेन की शुरुआत हो रही है। हाजीपुर में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री हरी झंडी दिखाकर यह तोहफा बिहार और यूपी के लोगों को देंगे। हालांकि इस ट्रेन का पहला दिन ऑपरेशनल होगा, यानी टिकट नहीं कटेगा और यात्री उस दिन इससे यात्रा नहीं कर सकेंगे।

सप्ताह में तीन दिन चलने वाली यह ट्रेन इंटरसिटी होगी, जिसमें दो एसी चेयर कार भी होगी। दूसरा तोहफा बहुप्रतीक्षित दीघा रेल पुल है, जिसे पीएम राष्ट्र को समर्पित करेंगे। हालांकि इस औपचारिकता के पूर्व इस पुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया था, लेकिन पुल का उद्घाटन शेष था। इसी समारोह में प्रधानमंत्री मुंगेर में गंगा पर नवनिर्मित रेल सह सड़क पुल का उद्घाटन करेंगे। साथ ही मोकामा में राजेंद्र पुल के सामानांतर प्रस्तावित रेल पुल का शिलान्यास करेंगे। पीएम के आगमन को लेकर जहां प्रशासन के स्तर पर पुख्ता व्यवस्था की गई है, वहीं राज्य की जनता को उनसे और ज्यादा की उम्मीद है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए आरा में विशेष पैकेज का वादा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न योजनाओं के रूप में विशेष पैकेज की घोषणा की गई। विपक्ष ने इसे विशेष पैकेज न मानकर पुरानी योजनाओं की रीपैकेजिंग बताया। इसे लेकर भी खूब राजनीति हुई। विपक्षी दलों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद ऐसे किसी वादा से मुकर गए। बिहार और केंद्र के दो चेहरों को लेकर भी राजनीतिक हलके में खूब चर्चा होती रही है। आम जनता भी इस मामले में खास रुचि रखती है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यदि एक मंच पर हों तो आम जनता भी उनके उठने-बैठने, मिलने-जुलने के तरीके के साथ-साथ संवाद पर विशेष निगाह रखती है। समझा जा सकता है कि इन दोनों राजनीतिक दिग्गजों का कद देश की राजनीति में क्या मायने रखता है। हालांकि राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री ने हर दरवाजे को खटखटाने का पूर्व में ही बयान देकर आम जनता को इस ओर से आश्वस्त कर दिया है कि राजनीतिक कटुता की वजह से राज्य का अहित न होने देंगे। उन्होंने ऐसा किया भी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बिहार के विकास में रुचि रखने वाले प्रधानमंत्री भी राज्य-हित में पूर्ण उदार होंगे। होना भी चाहिए, क्योंकि राजनीतिक क्षितिज पर चमकने के पीछे जनता से किए वादे और उसे निभाने का संकल्प बहुत बड़ा आधार होता है।

जनता पहले सुनती है, फिर परखती है और उसके बाद अपना निर्णय सुनाती है। आज भी बिहार की जनता के लिए तोहफों के साथ उम्मीदों का दिन है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जर्जर गांधी सेतु के कायाकल्प और उसके सामानांतर छह लेन के पुल पर प्रधानमंत्री अपनी मंशा जाहिर कर यहां की जनता का दिल जीतने की कोशिश करें। हालांकि राज्य सरकार ने छह लेन पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।