विजय कपूर। India China Standoff चीन को लगता है कि उसकी चाल किसी को समझ में नहीं आती है, लेकिन यह उसका महज भ्रम है। पांच मई, 2020 को जब भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना वायरस के संक्रमण की दहशत से भयभीत थे, उसी दौरान चीन की पीपुल्स आर्मी के 200 से ज्यादा जवान पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के पास जानबूझकर भारतीय सैनिकों के आमने सामने हो गए। शायद चीनी सैनिकों को यह लग रहा था कि भारतीय सैनिक उनके सामने आने पर इधर-उधर निकल जाएंगे, उनसे टकराएंगे नहीं और इस तरह चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों पर अपना मनौवैज्ञानिक दबदबा कायम कर लेंगे। किंतु ऐसा नहीं हुआ।

भारतीय सैनिकों ने न केवल चीन के सैनिकों के साथ आंखों में आंखें डालकर सामना किया, बल्कि उन्हें पूरी ताकत से पीछे हटने के लिए कहा। इस पर चीन के सैनिक खिसिया गए और जिद पर उतर आए। पूरी रात दोनों ही देशों के सैनिक आमने-सामने रहे, पर चूंकि चीनी सैनिकों ने योजनाबद्ध ढंग से यह झड़प आयोजित की थी, इसलिए उन्होंने पीछे से अपनी सप्लाई लाइन बढ़ा दी। इसलिए सुबह होते होते चीन के सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा हो गई। बावजूद इसके भारत के सैनिक एक इंच भी टस से मस नहीं हुए।

वर्ष 1987 के बाद से भारत और चीन के बीच कभी किसी तरह का हथियार सहित सैन्य टकराव नहीं हुआ। वर्ष 2017 में डोकलाम में लंबे समय तक दोनों देशों के सैनिक भयानक मुद्रा में आमने-सामने जरूर रहे, लेकिन 1987 के बाद के सैन्य हथियारों का न इस्तेमाल करने का संयम दोनों तरफ से बना रहा। डोकलाम में भी चीन ने अंत में भारत से इसलिए चिढ़ी कसक के साथ तनाव खत्म किया, क्योंकि उसे सपने में भी आशंका नहीं थी कि भारत भूटान के लिए चीन के सामने खड़ा हो जाएगा। इसलिए पांच मई को उसने पूर्वी लद्दाख में जो झड़प की थी, वह कोई यकायक घट गई घटना नहीं थी और न ही कोई संयोग। वह बाकायदा सुनियोजित टकराव था।

पांच मई की चीन की पैंगोंग झील के पास की मुठभेड़ अभी चल ही रही थी कि चीन ने बड़े ही शातिर तरीके से नौ मई को उत्तरी सिक्किम में नाकू ला सेक्टर में एक और मोर्चा खोल दिया। यहां मोर्चा खोलना इतना आसान नहीं था, क्योंकि नाकू ला सेक्टर में जहां भारत और चीन की फौजें आमने सामने हैं, वह जगह समुद्र से 16,000 फीट की ऊंचाई पर है। नौ मई को जब दोनों ही देशों के सैनिक अपने अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे थे, तभी कुछ चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों की तरफ लपके और उन पर मुक्के बरसाने लगे।

यकायक इस हमले से कुछ मिनटों के लिए तो भारतीय सैनिक अवाक रह गए। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि चीनी जानबूझकर टकराव मोल ले रहे हैं। बहरहाल कुछ ही देर में भारतीय सैनिकों ने उन्हें जवाब दिया। इससे दोनों ही तरफ के कई सैनिक घायल हो गए। चीन की इस हरकत को देखते हुए लेह एयरबेस से भारत ने अपने सुखोई-30 एमकेआइ फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। चीन के लिए यह हैरानी का विषय था। चीन कल्पना ही नहीं कर रहा था कि उसकी हरकत का भारत इतना कड़ा प्रतिवाद करेगा।

इससे चीन बौखला गया है और 15 जून को जब दोनों ही देशों की सेनाएं आपस में हुए समझौते के चलते डी-एस्केलेशन कर रही थीं, तभी चीनी सैनिको ने भारतीय सैनिकों पर पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से हमला कर दिया। आरंभिक रिपोर्ट के मुताबिक तीन भारतीय सैनिक शहीद हो गए जिनमें एक कमांडिंग अफसर, एक हवलदार और एक सिपाही था। गौरतलब है कि उस जगह चीन ने धोखेबाजी दिखाई थी, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीय शहीद हुए थे। वर्ष 1962 के बाद से यह पहला ऐसा मौका था, जब दोनों देशों के बीच इतने बड़े पैमाने पर सैन्य झड़प हुई और सैनिक हताहत हुए। देर रात तक ये तीन भारतीय सैनिक बीस शहीद सैनिकों में बदल गए। अगर सेना द्वारा इंटरसेप्ट की गई बात की मानें तो चीन ने भी इस मुठभेड़ में 43 सैनिक गंवाए हैं। लेकिन चीन के लोग अपने मारे गए सैनिकों की वास्तविकता को कभी नहीं जान पाएंगे, क्योंकि चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है। इसलिए न कोई इस चुप्पी के विरुद्ध सवाल उठाने वाला और ना ही किसी तरह की बेचैनी होने वाली है।

बहरहाल इस विश्वासघाती घटना के बाद चीन डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुट गया और सुबह ही मेजर जरनल स्तर की बातचीत की पेशकश की। जब बातचीत के दौरान चीन को लगा कि भारत किसी भी तरह से न तो कमजोर होता लग रहा है, न झुकने को तैयार है तो दिन के करीब एक बजे जब यह बात दुनिया को उजागर हो गई कि चीन ने धोखे से हमारे सैनिकों पर हमला करके 20 से ज्यादा सैनिकों मार डाला है, तो पूरी दुनिया में चीन के प्रति गुस्से की लहर दौड़ गई। चीन ने अपने नियंत्रित मीडिया के जरिये भारत को यह संदेश देने की कोशिश की कि हम अपने रुख में परिवर्तन करें नहीं तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

दरअसल चीन इस बिना पर उछल रहा है कि उसके पास दुनिया का सबसे ज्यादा करीब तीन लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी भंडार है। इसलिए उसे अगले कई वर्षो तक आयात भुगतान की कोई समस्या नहीं होगी यानी चीन मानकर चलता है कि मंदी के बावजूद उसकी इंडस्ट्री चलती रहेगी। भारत को चीन को सबक सिखाने के लिए अपने कारोबार को चीन के साथ कम करना होगा और सभी भारतीयों को चीन के सामान का बहिष्कार करना होगा, तभी चीन काबू में आएगा। आज पूरी दुनिया चीन के प्रति नफरत और गुस्से से भरी है। अगर भारत, चीन को सबक सिखाने की कोशिश करता है तो दुनिया का उसे साथ मिलेगा। 

[वरिष्ठ पत्रकार]