झारखंड, प्रदीप शुक्ला। Tablighi Jamaat: तब्लीगी जमात को लेकर समाज में जो कुछ फैल रहा है, और वह भविष्य में कितना घातक होने वाला है, इसे दो घटनाओं से समझ सकते हैं। पहला रांची का है। लालपुर सब्जी मंडी गए हमारे ही एक साथी सिर्फ तीस रुपये किलो कटहल इसलिए नहीं खरीदते हैं, क्योंकि विक्रेता उन्हें एक संप्रदाय विशेष का लगा। वह मास्क हटाकर बार-बार थूक भी रहा था। ठीक बगल की दुकान से उन्होंने कटहल खरीदा वह भी पचास रुपये में।

दूसरी घटना गुमला जिले के सिसई की है जहां यह बात फैल गई कि तब्लीगी जमात के लोग घूम-घूम कर कुएं में थूक रहे हैं और पूरे इलाके को संक्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अफवाह तनाव के बाद सांप्रदायिक संघर्ष में तब्दील हो गई। इसमें एक की जान चली गई और दो की हालत गंभीर हुई है।

इन्हें यदि सिर्फ बानगी भर मान लें तो यह तो समझ ही सकते हैं कि आने वाले दिनों में हम सामाजिक दुराव की किन दिक्कतों से दो-चार होने वाले हैं। और इसके लिए कोई जिम्मेदार होगा तो सिर्फ और सिर्फ तब्लीगी जमात। समाज में ऐसी धारणा गहरी पैठ बनाती जा रही है कि कोरोना जैसी आपदा में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना रहा है। झारखंड में बुधवार तक चौदह मामले सामने आ हो चुके हैं, इनमें से एक कोरोना पीड़ित की मौत भी हो गई है। इन चौदह में से बारह मामले सीधे-सीधे तब्लीगी से जुड़े पाए गए हैं।

प्रशासन लगातार तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों से आग्रह कर रहा है कि वह सामने आएं। बावजूद इसके स्वयं अब तक कोई सामने नहीं आया है। छापों में जरूर मदरसों, मस्जिदों और यहां तक घरों में कई तब्लीगी पाए गए हैं जिन्हें क्वारंटाइन किया जा चुका है। रांची का हिंदपीढ़ी इलाका जहां सबसे पहला मामला आया था उसे पूरी तरह सील किया जा चुका है। रांची के सभी सात मामले यहीं से जुड़े हुए हैं। बोकारो में भी जो केस सामने आए वे भी तब्लीगी से जुड़े हुए हैं। सवाल उठ रहा है कि मरकज से लौटे लोग सामने आकर अपनी, अपने परिजनों और प्रशासन की मदद क्यों नहीं कर रहे हैं? स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं-डॉक्टरों का सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं? यही सवाल पूरे समाज को खाए जा रहा है और बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

राज्य सरकार महसूस कर रही है कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। इस बाबत पुलिस-प्रशासन को चौकन्ना कर दिया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपील कर चुके हैं कि ऐसे लोगों को छुपने की जरूरत नहीं है, वे सामने आएं। धनबाद में तब्लीगी जमात के दस इंडोनेशियाई समेत बारह लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। इन पर टूरिस्ट वीजा पर गोविंदपुर में आने की सूचना पुलिस को नहीं देने का आरोप लगाया गया है। राज्य में इनके खिलाफ यह पहली कार्रवाई है। आने वाले दिनों में ऐसे कई और मामले दर्ज हो सकते हैं। फिलहाल तब्लीगी जमात ने पूरे राज्य को परेशानी में तो डाल ही दिया है। इस बीच चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए, क्योंकि राज्य का स्वास्थ्य ढांचा इतना मजबूत नहीं है कि यदि बड़ी संख्या में लोग इससे पीड़ित होते हैं तो उससे निपटा जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा है कि 13 अप्रैल को लॉकडाउन बढ़ाने अथवा खोलने पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि हेमंत सोरेन 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री के साथ संवाद में इसे बढ़ाने की अपील कर सकते हैं।

राज्य में कम जांच होने पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। केंद्र से लगातार जांच किट मांगी जा रही है। हाईकोर्ट ने भी केंद्र सरकार को निर्देशित किया है कि राज्य को जरूरत के हिसाब से वेंटिलेटर, जांच किट और पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट सहित अन्य जरूरी स्वास्थ्य उपकरण मुहैया करवाएं। मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलकर भी इसकी गुहार लगा चुके हैं। इस बीच राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से पांच हजार जांच किट मंगवाई हैं।

उम्मीद है जल्द ही जांच की संख्या बढ़ाई जा सकेगी। यह जरूरी भी है, क्योंकि राज्य में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से मजदूर भी इस बीच आए हैं। ये सभी गांवों में चले गए हैं। बेशक सरकार यह दावा कर रही है कि पंचायत भवनों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, लेकिन वहां नाममात्र भी मजदूर नहीं हैं। जिन गांवों के लोग जागरूक थे वहां जरूर बाहर से आने वाले मजदूर चौदह दिन क्वारंटाइन में रहने के बाद अपने घर में घुस पा रहे हैं। संकट विकट है। शासन-प्रशासन के साथ-साथ पूरे समाज को एकजुट होकर इससे मुकाबला करना होगा।

[स्थानीय संपादक, झारखंड]