[ प्रकाश जावडे़कर ]: 2019 के ऐतिहासिक चुनाव नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदृष्टिता का परिचय देने वाले तीन भाषण दिए हैैं। उन्होंने अपना पहला उद्बोधन मंत्रिमंडल बैठक में किया। वहां उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक जीत है। यह जनता द्वारा लड़ा हुआ चुनाव है। यह सकारात्मक मतदान है। मतदाताओं ने परफॉर्मेंस को वोट दिया है। अर्थात यह सरकार जाति पर नहीं, काम के आधार पर दोबारा चुनकर आई है। इसके पहले जिस दिन चुनाव के नतीजे घोषित हुए उसी दिन शाम को भी पार्टी दफ्तर में प्रधानमंत्री ने एक भाषण दिया। इसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने दशकों बाद ‘दो’ से ‘दोबारा’ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। यह भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती हुई लोकप्रियता की परिचायक है।

1984 में लोकसभा में केवल दो सदस्य चुनकर आए थे। अब 2014 और 2019 में केंद्र में दो बार लगातार पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार बनी है। 2014 में उन्होंने कहा था कि यह गरीबों को समर्पित सरकार है और आज उसी गरीब समुदाय ने इस बार भाजपा को इतना भारी ऐतिहासिक बहुमत दिया है। चुनाव में पार्टी को समाज के सभी वर्गों का साथ मिला है।

प्रधानमंत्री ने नेता चुने जाने के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में राजग के सांसदों के सामने जो भाषण दिया वह उनकी दूरदर्शिता, देश के लिए उनके विजन, लोगों पर उनके विश्वास और लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मोदी जी ने इसमें चार प्रमुख नए विचार दिए। पहला विचार यह कि हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ करने के साथ सबका विश्वास हासिल करना है। जिन्होंने वोट दिया वे भी हमारे हैं, जिन्होंने वोट नहीं दिया वे भी हमारे हैं और इस प्रकार सबको साथ लेकर चलना ही हमारा इरादा है।

उन्होंने कहा, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास।’ इसे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक दशकों तक अल्पसंख्यक समुदाय के मन में भाजपा के प्रति एक डर का माहौल पैदा करके विरोधी पार्टियों ने उनका वोट बैंक की तरह उपयोग किया है। अब इन पांच वर्षों में हमारा लक्ष्य रहेगा काम के आधार पर, संपर्क के आधार पर हर एक का विश्वास अर्जित करना, उनका दिल जीतना। मोदी जी ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के साथ छलावा हुआ है। कांग्रेस और अन्य दलों ने उनकी शिक्षा या बुनियादी सवालों पर कभी काम नहीं किया। सिर्फ डर का माहौल पैदा करके उनके वोट लेने का काम किया और इसलिए आने वाले पांच साल में हमारा प्रमुख लक्ष्य उनके विकास के साथ-साथ उनका विश्वास पाना रहेगा। फिर उन्होंने दूसरी एक कल्पना दी।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को खुद का बहुमत मिला है। फिर भी हमारी सरकार राजग के सभी साथियों को साथ लेकर बनेगी। ‘प्रादेशिक अस्मिता और राष्ट्रीय महत्वकांक्षा’ यह एक नया विचार उन्होंने देश के सामने रखा। अंग्रेजी में इसे ‘नेशनल एंबिशन, रीजलन एस्पिरेशन’ कहा जाता है। इस तरह से ‘एनएआरए’ नाम से एक नया नारा उन्होंने गढ़ा। यह बात उनकी संघ-राज्य पद्धति के बारे में प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत से आती है, लेकिन देश चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलाना होता है। इसी कड़ी में उन्होंने तीसरा महत्वपूर्ण सूत्र दिया। उन्होंने कहा, अब ‘सत्ताभाव नहीं सेवाभाव चाहिए’ और सेवाभाव में ‘वीआइपी कल्चर’ को खत्म करना है। नए जनप्रतिनिधियों को उन्होंने आवश्यक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधि बनने के बाद भी सामान्य कार्यकर्ता रहने के दौरान उनके जीवन में जो भाव था वह नहीं बदलना चाहिए। उन्हें सभी लोगों को विश्वास में लेकर और सभी लोगों के साथ एक जैसा ही व्यवहार करना चाहिए। उनमें सत्ताभाव नहीं होना चाहिए, घमंड नहीं होना चाहिए, अहंकार की भावना भी नहीं होनी चाहिए। लाल बत्ती हमने खत्म की। इसका संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि हम वीआइपी कल्चर को तवच्जो नहीं देते।

प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनाव के बाद खुद को ‘प्रधान सेवक’ कहा था। इसी तरह वह यही बताना चाहते थे कि सभी सांसद भी जनसेवक हैं। नए सांसदों को उन्होंने एक नया सूत्र किया कि ‘सत्ताभाव नहीं सेवाभाव चाहिए’ और समाज के साथ व्यवहार करते समय ‘ममता और समता’ चाहिए, ‘ममभाव और समभाव’ चाहिए। सभी जनप्रतिनिधि सबको एक नजर से देखें और सबके साथ ममत्व से सराबोर हो व्यवहार करें।

मोदी जी ने चौथा विचार ‘जनभागीदारी’ का व्यक्त किया। 2014 से ही उनका जोर जनभागीदारी पर है। स्वच्छ भारत अभियान इसका उदाहरण है। आज स्वच्छ भारत केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा है, जन आंदोलन बन गया है। महिलाओं ने अनेक जगह शौचालय को ‘इज्जत घर’ नाम दिया है। सरकार के सभी कार्यक्रमों में जनभागीदारी हो और समाज भी इसके लिए जागरूक रहे, ऐसी वह कल्पना करते हैैं।

दरअसल इस चुनाव में सामान्य जनता ने अपने इरादे अपनी भाषा में बखूबी रखे। जनता ईमानदारी देखती है। मुझे राजस्थान में रोज मजदूरी करने वाला एक कुली मिला। उसने कहा ‘मोदी जी को वोट हम इसलिए देंगे, क्योंकि उनके पास न घर-बार है, न परिवार, 24 घंटे काम करते हैं। एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेते। ऐसा ईमानदार प्रधानमंत्री हमें चाहिए।’ एक गरीब किसान महिला ने कहा, ‘वह गरीबी से आए हैैं इसलिए गरीब की सोचते हैैं।’

एक सुदूर गांव के एक आदिवासी युवक ने कहा, ‘पहले पाकिस्तानी सेना हमारा कोई जवान पकड़ती तो उसका अंग-भंग कर देती थी, लेकिन यह बहादुर प्रधानमंत्री 24 घंटे के अंदर पाकिस्तान से हमारे पायलट को जिंदा वापस लाया।’ चुनाव प्रचार के दौरान मुझे मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के ढेरों लाभार्थी भी मिले। उन्होंने बताया कि कैसे उनके जीवन में भारी बदलाव आए हैैं। सारी योजनाओं के लाभार्थियों को मोदी जी के प्रति एक विश्वास जगा है और इसी का नतीजा है कि ऐतिहासिक मतों के साथ एक ऐतिहासिक जीत भारतीय जनता पार्टी ने हासिल की है।

मुझे लगता है कि अपने इन उद्बोधनों से जरिये उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह आने वाले दिनों में देश की राजनीति को कैसे चलाना चाहते हैं? इन तीन भाषणों को सुनने के बाद सेक्युलरिज्म की बात करने वाले, खुद को लिबरल बुद्धिजीवी और तथाकथित प्रगतिशील मानने वाले समझ जाएंगे कि मोदी जी की दृष्टि उनसे कहीं अधिक सर्वसमावेशी, बहुसांस्कृतिक एवं 21वीं सदी की भावनाओं को समझने वाली है।

( लेखक पूर्व केंद्रीय मंत्री हैैं )

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