नई दिल्‍ली। Comcasa Agreement वर्ष 2002 में भारत अमेरिका ने जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया, जबकि 2018 में पहली टू प्लस टू वार्ता के तहत कॉमकासा एग्रीमेंट किया गया। कम्युनिकेशन कंपैटीबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट दोनों देशों के मध्य सैन्य सूचना बिल्कुल सटीक समय पर एक दूसरे को साझा करने का समझौता है।

भारत को मिलेंगे सी गार्डियन ड्रोंस: इससे भारत को सी17, सी 130जे जैसे अमेरिकी सैन्य और समुद्री निगरानी एयरक्राफ्ट के जरिये सूचनाएं मिलने लगेंगी। भारत को सी गार्डियन ड्रोंस मिलेंगे। इन सैन्य प्लेटफॉर्म का लाभ यह होगा कि यदि मलक्का जलडमरू मध्य में अमेरिका के जहाज ने चीन की किसी पनडुब्बी को देखा, तो वह उसकी गति, दिशा, अवस्थिति जैसी जानकारी मिनटों में भारतीय नौसेना के मुख्यालय पर 2019 में ही स्थापित कम्युनिकेशन सिस्टम तक रीयल टाइम में पहुंचा दी जाएगी, जबकि भारत ऐसी ही सूचना अमेरिकी सेंट्रल एंड पैसिफिक नेवल कमांड तक पहुंचा देगा।

यह सुविधा कॉमकैसा समझौते के तहत मिलेगी: यदि दोनों देशों के लिए घातक कोई आतंकी किसी तीसरे देश में वार्ता कर रहा है, या योजना बना रहा है तो इसकी भी सूचना मिनटों में पहुंचा दी जा सकेगी। यह सुविधा कॉमकैसा समझौते के तहत मिलेगी। हाल ही में भारतीय नौसेना ने ओमान के सलालाह क्षेत्र से समुद्री डकैती को रोकने के लिए पी-8आइ लॉन्ग रेंज मैरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट तैनात किया है। भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर के क्षेत्र में मिशन आधारित तैनाती के तहत अदन की खाड़ी में गश्त लगाने के लिए यह कदम उठाया है। मिशन आधारित तैनाती के तहत भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में हर चोक प्वाइंट पर किसी भी समय एक जहाज तैनात रखती है।

लीमोआ समझौता: इसके साथ ही भारत अमेरिका दोनों देशों ने 2016 में लीमोआ समझौता यानी लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन पर हस्ताक्षर किया जिसका मूल उद्देश्य दोनों देशों द्वारा एक दूसरे को सैन्य अभियानों के समय जरूरी उपकरण जैसे हथियार, ईंधन, दवाइयां, मशीनों के कल-पुर्जे आदि का विनिमय करना है। जैसे प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के किसी जहाज में कोई टूट-फूट हो गई, समुद्री डकैती की समस्या आ गई तो ऐसे में जरूरी उपकरण का आदान-प्रदान किया जा सके।

इसके साथ ही दोनों देशों ने बेका यानी बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट किया है। इसके जरिये भारत अमेरिका के भूस्थानिक मानचित्रों का इस्तेमाल कर ऑटोमेटेड हार्डवेयर सिस्टम्स और क्रूज एवं बैलिस्टिक मिसाइलों की सटीक सैन्य जानकारी प्राप्त कर सकेगा। किसी दूसरे डोकलाम विवाद की स्थिति में ऐसी जानकारी मददगार होगी। इस प्रकार ये चार प्रतिरक्षा समझौते भारत और नाटो के संबंधों को और मजबूती देने के लिए एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहे हैं, इससे भारत का वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में बढ़ता महत्व साफ नजर आता है।