Kisan Rail Scheme: किसान हितैषी बन पाएगी रेल, किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कारगर कदम
Kisan Rail Scheme सब्जी-फल उत्पादक किसानों के उत्पाद को ज्यादा दूर व अधिक कीमत पर खरीदने वालों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई किसान ट्रेन वाकई में लाभकारी साबित हो सकती है।
विजय कपूर। Kisan Rail Scheme देश में एक छोर से दूसरे छोर तक ताजा सब्जी, फल, फूल और मछली आदि पहुंचाने के लिए शुक्रवार से स्पेशल किसान ट्रेन शुरू की गई है। भारतीय रेलवे की यह पहली किसान ट्रेन महाराष्ट्र के देवलाली (नासिक) से बिहार के दानापुर के लिए चलाई गई है। आने वाले समय में यह ट्रेन महाराष्ट्र से अंगूर और प्याज जैसी चीजें लेकर जाएगी और बिहार से पान, मखाना, ताजा सब्जियां और मछली लेकर लौटेगी।
भारतीय रेलवे और कृषि मंत्रलय के संयुक्त प्रयास के बाद स्पेशल किसान ट्रेन की शुरुआत की जा रही है। इस ट्रेन का लंबे अर्से से इंतजार किया जा रहा था। यह वही किसान ट्रेन है जिसका वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में उल्लेख किया था। हालांकि फलों-सब्जियों की ढुलाई करने वाली कई विशेष ट्रेनें पहले से ही चल रही हैं, लेकिन यह ट्रेन इस मायने में विशिष्ट है, क्योंकि यह उस योजना का हिस्सा है जिस पर चलकर 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य है।
चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा फलों व सब्जियों का उत्पादक देश है। इस साल जून में कृषि मंत्रलय द्वारा अनुमान लगाया गया था कि फलों और सब्जियों का उत्पादन लगभग 32 करोड़ टन से ज्यादा होगा जो पिछले साल के मुकाबले करीब तीन फीसद ज्यादा है। इसकी वजह अच्छे मानसून की भविष्यवाणी है। एक तथ्य जानने योग्य है कि भारत में जितनी सब्जियों और फलों का उत्पादन होता है, अगर इतना ही उत्पादन अमेरिका के किसान करें तो उन्हें भारतीय किसानों के मुकाबले सात गुना अधिक आमदनी होगी।
कहने का मतलब यह कि भारत में किसान सिर्फ इसलिए गरीब नहीं हैं कि वे उत्पादन कम करते हैं, बल्कि गरीबी के कई कारण हैं जिन्हें अगर दूर कर दिया जाए तो सचमुच भारतीय किसानों की आर्थिक आय में व्यापक वृद्धि संभव है, लेकिन इसकी शुरुआत बाजार से पहले समाज के भीतर से करना होगा। उसकी वजह यह है कि चीन में जहां सब्जियां उगाने वाले किसान न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से अच्छी स्थिति में हैं, बल्कि उनका सामाजिक स्तर भी दूसरे लोगों से बेहतर है। जबकि भारत में इसके उल्टा है।
भारत में सब्जी उगाने वाले किसान कमाई भले कुछ बेहतर कर लें, लेकिन ऐसे किसानों का सामाजिक स्तर पारंपरिक गेहूं, धान और गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों से नीचा रहता है। इसकी वजह शायद यह है कि दशकों से हमारे यहां सब्जियां उगाने का काम बहुत छोटी जोत वाले किसान या फिर बिना अपनी कृषि जमीन वाले निम्नवर्ग के लोग किसानों से बटाई में जमीन लेकर करते रहे हैं। इसलिए सब्जियों से आमदनी भले कुछ हो जाती हो, लेकिन इसे उगाने वाले किसानों को सामाजिक प्रभाव के आईने में नीची नजर से देखा जाता है। यह एक ऐसी सामाजिक विकृति है जिस कारण सर्वाधिक नकदी आय देने वाली सब्जियों के उत्पादन उच्च जाति के किसान कम करते रहे हैं। वास्तव में हमारे यहां किसानों की आíथक दुर्दशा के कई सारे समीकरण हमारी सामाजिक व्यवस्था से जाकर जुड़ते हैं।
बहरहाल केंद्र सरकार ने अगले दो वर्षो में किसानों की आय को दोगुना करने का जो संकल्प लिया है, उस प्रक्रिया में यह किसान ट्रेन उम्मीदों की एक नई रफ्तार बनकर किसानों की जिंदगी को बदल सकती है। इस ट्रेन में महाराष्ट्र से अंगूर, प्याज, केले और कुछ अन्य स्थानीय फल बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश आएंगे, जबकि बिहार से पान, मखाना और कई तरह की ताजा सब्जियों के अलावा मछलियां महाराष्ट्र जाएंगी।
यूं तो ट्रेन शुरुआत से लेकर गंतव्य तक कई प्रमुख जगहों पर रुकेगी, लेकिन शुरू में ज्यादातर माल चढ़ाने और उतारने का काम इसके शुरुआती स्टेशनों पर ही होगा। यह ट्रेन स्पेशल पार्सल ट्रेन की तरह होगी। इसमें किसान और व्यापारी अपनी इच्छा के अनुरूप रियायती भाड़े पर माल का लदान कर सकेंगे। इसका भाड़ा किस कदर रियायती होगा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रक से माल भिजवाने में प्रति क्विंटल जो दर आती है, उस दर के करीब एक चौथाई भाड़ा इस ट्रेन में वसूला जाएगा।
इस ट्रेन का इस्तेमाल करने के चलते किसान मंडी कानून के झंझटों से मुक्त हो जाएंगे। यह ट्रेन किसानों को आढ़तियों और बिचौलियों के शोषण से भी मुक्त करेगी। वे अपने उत्पादनों को ठीक उस जगह ले जा सकेंगे, जहां उनके उत्पाद की जरूरत है और जिसके लिए लोग बेहतर कीमत दे सकते हैं। मालूम हो कि भारत में विशेषकर सब्जियां उत्पादन करने वाले किसान इस वजह से भी कई बार कमाई से वंचित रहते हैं, क्योंकि उनके पास अपने उत्पादों को कई दिनों तक तरोताजा रखने का उपाय नहीं होता।
इसलिए यह ट्रेन रेल की पटरियों पर दौड़ती हुई कोल्ड स्टोरेज होगी यानी इसमें सब्जियां कई दिनों तक ताजा रहेंगी। इस ट्रेन के डिब्बे फ्रिज की तरह होंगे, जिससे उसमें लदे फल और सब्जियां खराब नहीं होंगे। रेलवे ने किसानों, मार्केट कमेटी और लोडर्स से आग्रह किया है कि वे इस ट्रेन का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाकर इसके परिचालन को सुनिश्चित बनाने में अपना योगदान दें।
यदि किसान ट्रेन उम्मीद के मुताबिक सफल होती है तो ऐसी सैकड़ों नई ट्रेनों के लिए रास्ता खुल जाएगा और इस रास्ते के साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि का बड़ा रास्ता खुल जाएगा। ऐसा होने पर फल और सब्जियां उत्पादन करने वाले किसान भी वाकई में दुग्ध क्रांति के हिस्सेदार किसानों की तरह ही लाभान्वित होंगे। (ईआरसी)
[वरिष्ठ पत्रकार]