[डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’]। कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुई बीमारी कोविड-19 से चीन, फ्रांस, अमेरिका, स्पेन, इटली समेत पूरा विश्व स्वास्थ्य आपातकाल के साथ आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है। इस कठिन घड़ी में शिक्षा जगत भी एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। विश्व की एक बड़ी आबादी किसी न किसी प्रतिबंध के तहत अपने घरों में बंद है। इस महामारी की विकरालता को देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के प्रकोप को महामारी घोषित किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी प्रभावित देशों से उन सभी बचाव प्रयासों को जारी रखने की अपील की है जो इस वायरस के प्रसार को धीमा करने में प्रभावी रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी आह्वान पर पूरा देश संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन का पालन कर रहा है। जाहिर है आपदा की इस घड़ी ने सबको झकझोर कर रख दिया है। देश भर में लोगों का दैनिक जीवन ठहर सा गया है। हवाई, रेलमार्ग और सड़क मार्गों पर आवाजाही बंद है।

संकट के इन पलों में उम्मीद की किरण के रूप भारत समेत दुनिया भर के देशों के शीर्ष विश्वविद्यालय, शोध संस्थान कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हमारे संस्थान भी सार्वजनिक भलाई में योगदान दे रहे हैं। भारत के शीर्ष शिक्षण संस्थान अपनी शक्ति अनुसार आगे आकर पूरी तन्मयता से इस चुनौती से मुकाबला करने में जुटे हैं। हमें इस बात का ध्यान रहना चाहिए कि हम एक असाधारण और अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे हैं। इसने दुनिया के दस लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। हजारों लोगों की इस महामारी के कारण मृत्यु हो चुकी है। करीब 200 देश इस महामारी से प्रभावित हुए हैं। इस रोग का मुकाबला करने के लिए जागरूकता एवं शारीरिक दूरी अत्यंत आवश्यक हैं। इसके दृष्टिगत इस बड़े संकट से उबरने के लिए भारत के 1000 विश्वविद्यालयों और 45000 से अधिक महाविद्यालयों, 16 लाख से अधिक स्कूलों, एक करोड़ से अधिक अध्यापकों तथा 34 करोड़ विद्यार्थियों के नेटवर्क का बेहतर उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।

सरकार, समाज और व्यापार के साथ हम सार्थक भागीदारी और सहयोग सुनिश्चित कर अग्रणी कार्य कर सकते हैं। हमारे 34 करोड़ विद्यार्थी जहां लोगों की जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वहीं हमारे वैज्ञानिक, शोधार्थी, इंजीनियर, प्रौद्योगिकीविद्, प्रोफेसर अपनी प्रतिभा और क्षमता के अनुसार कोविड-19 महामारी से उत्पन्न तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान हेतु प्रयासरत हैं। इस कठिन समय में यह संतोषजनक है कि देश के शिक्षा संस्थानों में इस चुनौती से निपटने के लिए एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है।

देश में 20 से अधिक शोध संस्थान कोरोना वायरस के उपचार के लिए टीके विकसित करने के लिए कार्य कर रहे हैं। इसमें हमारे श्रेष्ठ शैक्षणिक और शोध संस्थाओं के अतिरिक्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) पुणे और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च भी बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कोविड-19 से लड़ने के लिए सरकारी संस्थानों एवं कई निजी कंपनियों को हजारों तकनीक-आधारित प्रस्ताव मिले हैं। हमारे आइआइटी पोर्टेबल वेंटिलेटर के अनुसंधान और विकास पर कार्य कर रहे हैं। हमारे संस्थानों में जीनोम अनुक्रमण और रक्त के नमूनों से कोरोनो वायरस के स्ट्रेन के पृथक्कीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ता कोविड-19 का पता लगाने के लिए एक विधि विकसित करने में जुटे हैं जो परीक्षण लागत को काफी कम करेगी। हमारे देश के विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय अपनी प्रयोगशालाओं में चिकित्सा उपकरण बनाने हेतु आपस में सहयोग कर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेजों, अन्य संस्थानों ने अपने आस पास के क्षेत्रों में जहा विशेष जागरूकता अभियान चलाया है वहीं हमारे कई संस्थान टेस्टिंग किट विकसित करने के साथ ही ऐसी इलाज पद्धतियों पर कार्य कर रहे हैं जो इस महामारी के प्रति प्रभावी हो सकते हैं।

विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हमारे उत्तर-पूर्व एवं अन्य हिमालयी प्रांतों में संभावित कोरोना वायरस मरीजों के लिए आइसोलेशन केंद्र स्थापित करने के लिए हमारे कई शैक्षणिक संस्थान आगे आए हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के मेडिकल कॉलेजों जिनमें कई निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं, ने अपने यहां पर कोरोना जांच के लिए विशेष केंद्र स्थापित किए हैं। देश में सैनिटाइटर कमी के बीच हमारे संस्थान न केवल स्वयं के सैनिटाइटर बना रहे हैं, बल्कि सरकारी कर्मचारियों एवं पुलिस को भी सैनिटाइटर मुफ्त दे रहे हैं। भारत के कई शोध संस्थान निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ मिलकर कोरोना के मरीजों को ट्रैक करने के लिए प्लेटफॉर्म विकसित कर रहे हैं एवं दवा की खोज पर भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

आज आवश्यकता है कि हम सब अनुशासन में रहकर शारीरिक दूरी के महत्व को समझें। आज पूरा देश एकजुट होकर इस महामारी से लड़ने के लिए संकल्पबद्ध है। मुझे विश्वास है कि संपूर्ण विश्व में कोहराम मचाने वाले इस वायरस की चुनौती से भारत अवश्य पार पा लेगा।

[केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री]