डॉ. ध्रुबज्‍योति भट्टाचार्जी। डोनाल्ड ट्रंप अभिभूत हैं, गदगद हैं। ये हाल है उनका भारत से वापस लौटकर अमेरिका पहुंचने पर है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की धरती को छूते ही उन्होंने जो पहला वाक्य ट्वीट किया वो वैश्विक राजनीति-कूटनीति और सामरिक संबंधों की दशा-दिशा का निर्धारण करने वाला था।

प्रधानमंत्री मोदी को महान नेता और भारत को अद्भुत देश बताकर उन्होंने पांच दशक पुरानी अपनी रिपब्लिकन पार्टी की परिपाटी से जुड़ी निक्सनी सोच और समझ को दुरुस्त करने का काम किया है। अपने इस एक वाक्यांश वाले वक्तव्य से उन्होंने दुनिया को बताया है कि भारत और अमेरिका अब बहुत करीब है। इतने करीब कि उनके बीच में तीसरे की जगह नहीं है। आज जिस रिपब्लिकल पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने हैं, उसी राजनीतिक दल से 1969 रिचर्ड निक्सन अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति बने थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनकी खटास जगजाहिर रही। 

दोनों के एक दूसरे को संबोधन वाले विशेषण आज भी लोगों की जुबान पर हैं। ट्रंप का आना बड़ी बात नहीं है। तीन अरब डॉलर के रक्षा सौदे और भविष्य में मुक्त व्यापार के लिए बड़ा सौदा करने का वादा भी हुलसाता नहीं है। दोनों संरक्षणवादी देशों के शीर्ष नेताओं के बीच की केमेस्ट्री दक्षिण एशिया पर ही नहीं, वैश्विक कूटनीति पर भारी पड़ती दिख रही है। चीन को मिर्ची लगी है। पाकिस्तान अफसोस जता रहा है कि आलाहुजूर हमारे यहां नहीं आए। खाड़ी देश और नाटो सहयोगी देश भारत की बढ़ती धमक को मन ही मन आत्मसात करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में ट्रंप के भारत दौरे के फलाफल की पड़ताल आज बड़ा मुद्दा है।

मुगालते में पाकिस्तान कर रहा गुमान

मानते हैं कि भारत दौरे के दौरान ट्रंप ने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों और आतंकवाद विरोधी सहयोग में प्रगति की सराहना की। साथ ही दक्षिण एशिया के सभी देशों के बीच तनाव कम होने के साथ अधिक स्थिरता और भविष्य के सद्भाव बनाए रखने पर जोर दिया है। पाकिस्तान के सभी प्रमुख अंग्रेजी दैनिकों की अधिकांश वेबसाइटों ने इस तर्ज पर हेडलाइन चलाई कि ट्रंप ने अहमदाबाद में कहा,‘अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बहुत अच्छा रिश्ता है।’

हालांकि ट्रंप जिन्हें इस साल के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक और कार्यकाल जीतने की संभावना को मजबूत करने के लिए अफगान तालिबान के साथ शांति समझौते की बेहद आवश्यकता है, ने पाकिस्तान का उल्लेख केवल अपने राजनीतिक हित के लिए किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पाकिस्तान के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं और इस क्षेत्र में तनाव कम होने की उम्मीद है। यद्यपि पाकिस्तानी मीडिया ने इस बयान को एक कूटनीतिक जीत के रूप में पेश किया लेकिन ट्रंप ने अहमदाबाद रैली में पाकिस्तान के बारे में जो बात की वास्तविकता यह है कि उन्होंने यह केवल दिखावे के लिए किया था और इससे तहरीक ए इंसाफ के शासन में पाकिस्तान की वर्तमान गतिहीन और अदूरदर्शी विदेश नीति का भी पता चलता है।

इस बीच यद्यपि पाकिस्तान ने एफएटीएफ से उत्पन्न खतरे से मुकाबले के लिए आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कमजोर कदम उठाए हैं। उसने जून 2020 तक आतंकवाद के खिलाफ कठोर स्थायी कदम नहीं उठाए और करतारपुर कॉरिडोर की तरह शांतिपूर्ण पहल नहीं की तो उसके खिलाफ कदम उठाने की धमकी दी गई है।

(लेखक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्‍ड अफेयर के रिसर्च फेलो हैं)

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