रजनीश कुमार। महामारी जनित कारणों से लगाए गए लॉकडाउन के कारण तकनीक का इस्तेमाल जरूरी हो गया है। न्यू नॉर्मल परिवेश में समुदायों, व्यक्तियों और व्यवसायों की जरूरतों को पूरा करने में डिजिटाइजेशन ने अहम भूमिका निभाई है। उत्पादन और खपत के बदलते परिदृश्य में ई-कॉमर्स ने प्रोडक्ट वैल्यू-चेन की सहायता करने, छिपी हुई मांग को बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के बीच सही संतुलन बनाया है।

ई-कॉमर्स को बढ़ावा मिलने से लॉजिस्टिक्स, डाटा एनालिटिक्स और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों पर डोमिनो ग्रोथ इफेक्ट पड़ा है। काम करने के तरीके में अचानक आए बदलावों से नई तरह की सोच सामने आई जिससे सभी क्षेत्रों में नई खोज को प्रोत्साहन मिला है। इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि डिजिटाइजेशन केवल एक कंपनी या एक क्षेत्र में बदलाव नहीं ला रहा है, बल्कि वैल्यू और कार्यक्षमता बढ़ाने के मामले में सभी क्षेत्रों के बीच कुछ न कुछ आपसी संबंध है। डिजिटाइजेशन के प्रभाव और पहुंच को देखते हुए पूरे देश में उपभोक्ताओं और स्थानीय एमएसएमई ईकोसिस्टम से जुड़ने के लिए ई-कॉमर्स को स्वाभाविक माध्यम माना जा रहा है।

आपूर्ति में सहयोग : एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है। केंद्र सरकार ने कई रणनीतिक उपायों की घोषणा की है ताकि एमएसएमई देश को आíथक विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में अपना योगदान करते रहें। इन उपायों में आत्मनिर्भर भारत की पहल भी शामिल है। इन उपायों के बीच यह सही समय है कि एमएसएमई तकनीक का फायदा उठाएं और संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करने तथा क्षमता बढ़ाने के लिए ई-कॉमर्स का पूरा उपयोग करें। इस समय एमएसएमई और विक्रेता ई-कॉमर्स के जरिये पूरे भारत के बाजार तक अपनी पहुंच बना सकते हैं।

ऑनलाइन माध्यमों के जरिये बाजारों तक मिली पहुंच और एमएसएमई के हाथ में आई लिक्विडिटी से छोटे विक्रेताओं और निर्माताओं की आíथक हालत सुधरने की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। पिछले कुछ महीनों में बहुत से एमएसएमई ने इसको अपनाया है। देश के कई राज्यों में स्थानीय व्यापारियों ने ऑनलाइन व्यापार करने में ज्यादा रुचि दिखाई है।

भारत के अनूठे हैंडीक्राफ्ट ईकोसिस्टम को बदलने में ये माध्यम बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी गति मिलेगी। हाल ही में एक ई-कॉमर्स कंपनी ने स्थानीय कला, शिल्प व हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार की ओडीओपी (वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट) पहल और उत्तर प्रदेश खादी बोर्ड के साथ इसकी साङोदारी से स्थानीय एमएसएमई विक्रेताओं को अपने कारोबार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे राज्य के व्यापार और अनोखे उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम से लाखों उपभोक्ताओं तक ले जाने और बेचने का मौका मिलेगा।

मांग बढ़ाना : हमारी अर्थव्यवस्था में मांग का बड़ा हिस्सा अभी दबा हुआ है। ऐसा खासतौर से टियर टू और टियर थ्री शहरों में हो रहा है। इस दबी मांग को ई-कॉमर्स के जरिये बढ़ाया जा सकता है। बेहतरीन गुणवत्ता के उत्पादों तक आसान पहुंच और कम कीमत पर चुनने के ढेरों विकल्प भारतीय ई-कॉमर्स की पहचान रहे हैं। इस कारण उपभोक्ताओं का एक नया वर्ग ऑनलाइन खरीदारी की तरफ मुड़ रहा है। गांवों तक सस्ता व सुलभ इंटरनेट पहुंचने पर उपभोक्ताओं का एक नया वर्ग आएगा। इससे भारत के लाखों एमएसएमई तथा विक्रेताओं के लिए विकास के नए अवसर सामने आएंगे।

लॉकडाउन ने वस्तुओं को खरीदने के तरीके को बदल दिया है। ऑनलाइन उपभोक्ताओं के डेमोग्राफिक प्रोफाइल में व्यापक विस्तार हो रहा है और शारीरिक दूरी के वर्तमान माहौल में इसमें खासा तेजी आई है। आज हर वर्ग का उपभोक्ता पसंदीदा वस्तुएं खरीदने या सेवाओं का इस्तेमाल करने के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर रहा है। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट बताती है कि चालू वित्त वर्ष में भारत के ई-कॉमर्स व्यापार में 18 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि होगी और इसमें 2021 में 33 प्रतिशत और 2022 में 28 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

डोमिनो प्रभाव : ई-कॉमर्स को आगे बढ़ने का अनुकूल माहौल मिलने से लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, डाटा एनालिटिक्स व डिजिटल भुगतान सहित कई दूसरे क्षेत्रों में भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। छोटे शहरों व गांवों में सेवा देने वाले व्यापार बढ़ रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और सप्लाई चेन में रोजगार के मौके पैदा हो सकते हैं। इससे देश में ज्यादा मजबूत, कुशल और पारदर्शी सप्लाई चेन बनाने में मदद मिलेगी। इससे निर्माण और कृषि से जुड़े ईकोसिस्टम में आ रहे सुधारों को सहयोग मिलेगा और मेक इन इंडिया तथा किसानों की आय बढ़ाने में आसानी होगी।

देश अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालांकि महामारी ने सभी पर किसी न किसी तरीके से असर डाला है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोगों की सहायता के लिए समझदारी के साथ कदम उठाने होंगे। इसमें संदेह नहीं कि एमएसएमई के साथ-साथ मांग और आपूíत के माहौल को बदलने में ई-कॉमर्स अहम भूमिका निभाएगा। जरूरत इस बात की है कि डिजिटल की तरफ बढ़ने पर बल दिया जाए ताकि विकसित होते खुदरा ईकोसिस्टम के साथ आíथक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिले।

[सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, फ्लिपकार्ट ग्रुप]