अभिषेक कुमार सिंह। Coronavirus Symptoms अगर मर्ज पकड़ में आ जाए और उसका आसानी से इलाज मुमकिन हो तो कोई बीमारी बड़ी नहीं हो सकती। सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार से लेकर कई अन्य रोग ऐसे हैं जिनसे मानव समुदाय निजात तो नहीं पा सका है, लेकिन उन्हें ज्यादा बड़ा खतरा इसलिए नहीं माना जाता है कि क्योंकि उनका निदान संभव है। वे ऐसे संक्रामक भी नहीं होते कि किसी महामारी में बदल जाएं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि दुनिया दूसरी प्रजातियों से इंसानों तक पहुंचने वाले विषाणुओं की चपेट में आती है और वह संक्रमण इंसानों से ही दूसरे इंसानों में फैलकर एक महामारी में बदल जाता है।

ऐसा ही एक तूफान नोवेल कोरोना वायरस की शक्ल में चीन से उठ खड़ा हुआ है। इससे फिलहाल चीन में ही 106 मौतें होने और दुनिया भर में करीब डेढ़ हजार लोगों के संक्रमित होने की बात कही जा रही है। सबसे ज्यादा संक्रमित लोग चीन के ही नागरिक हैं, लेकिन विभिन्न देशों में उनके आवागमन के कारण दूसरे मुल्कों में भी कोरोना के संक्रमण का खतरा फैल गया है।

इंसान से इंसान में फैलने का खतरा : समस्या यह है कि इस वायरस के मानव से मानव में संचार की पुष्टि हो गई है और भारत में भी इसके मरीजों की मौजूदगी का दावा किया जा रहा है। यूपी, बिहार और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस से ग्रस्त लोगों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है और उनके लिए अलग वार्ड की व्यवस्था की जा रही है। खतरा यह है कि यह संक्रमण चीन के विभिन्न शहरों से होते हुए थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका आदि 11 देशों तक जा पहुंचा है। दुनिया के किसी भी हिस्से में इस वायरस के जा पहुंचने की आशंकाएं निराधार नहीं हैं।

असल में 25 जनवरी से शुरू हुए चीनी नए वर्ष के त्योहारी सीजन में चीनी नागरिक पूरी दुनिया की सैर पर निकल पड़े हैं। एक दावा है कि वुहान शहर के ही करीब 50 लाख बाशिंदे चीन समेत दुनिया के अलग हिस्सों में जा पहुंचे हैं। ऐसे में यदि किसी देश का स्वास्थ्य तंत्र कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर सावधान न हुआ तो उस देश के बड़े हिस्से इसकी चपेट में आ सकते हैं। यही कारण है कि एशिया के आधा दर्जन देशों समेत अमेरिका तक में चीन से आने वाले यात्रियों की गहन जांच की जा रही है।

कहां से आया कोरोना वायरस : हालांकि इस संक्रामक विषाणु के स्रोत की पक्की जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है, लेकिन दावा है कि आमतौर पर जानवारों में पाए जाने वाले कोरोना या करॉन वायरस की शुरुआत दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान प्रांत के फ्रेश फूड मार्केट से हुई थी। हालांकि इसकी पुष्टि होनी बाकी है कि इस वायरस की उत्पत्ति चमगादड़ों और सांप के मांस से तैयार की गई डिश (भोजन) से हुई है या फिर इसमें कुछ योगदान वुहान स्थित उस प्रयोगशाला का है, जिसमें खतरनाक वायरसों पर प्रयोग किए जाते हैं।

कुछ विश्लेषकों का अंदाजा है कि वुहान का वायरस लैब असल में जैविक हथियार तैयार करने का अड्डा है, जहां से एकदम नई किस्म का वायरस कोरोना की शक्ल में छिटक कर बाहर आ गया और सबसे पहले चीन को ही इसने अपना निशाना बना लिया। हालांकि ज्यादा ठोस अनुमान यही है कि चमगादड़ों को संक्रमित करने वाला यह वायरस उत्परिवर्तित होकर इंसानों तक जा पहुंचा है। चूंकि मेडिकल साइंस इस वायरस से लड़ने को अभी तैयार नहीं है, इसलिए यह समस्या बड़ी हो गई है। चिकित्सा विज्ञानियों का कहना है कि एक जीव से दूसरे जीव में छलांग लगाने की प्रवृत्ति के कारण इस वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति में आम जुकाम से लेकर गंभीर किस्म की श्वास संबंधी दिक्कतें पैदा हो सकता हैं।

कितना तैयार है भारत : उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में दक्षिणी चीन के कुछ लोग सार्स (एसएआरएस) से पीड़ित हुए थे और इसके बाद करीब 25 देशों में यह संक्रमण फैल गया था जिससे 800 लोगों की मौत हो गई थी। दावा किया गया कि चीन सरकार ने तब शुरुआत में इसे हल्के में लिया और इस पर पर्दा डालने की कोशिश की, जिससे बात हाथ से निकल गई और पूरी दुनिया एक मामूली बीमारी के सामने घुटनों पर आ गई। इसमें भी ज्यादा समस्या भारत जैसे विकासशील देशों के लिए पैदा होती रही है जहां का स्वास्थ्य तंत्र ऐसे मामलों की रोकथाम करने में कई बार नाकाम साबित हुआ है। जैसे करीब दो साल पहले वर्ष 2018 में मलेशिया के बाद पड़ोसी बांग्लादेश में निपाह वायरस की मौजूदगी के बाद भारत में इसके पहुंचने का खतरा था, लेकिन इसकी रोकथाम के प्रभावी उपाय नहीं किए गए, जिसका साफ असर दिखा।

केरल जैसे राज्य में तो इसके कारण महामारी का ही संकट पैदा हो गया था। इससे पहले 2017 में जीका वायरस के मामले में भी ऐसी ही लापरवाही दिखी थी। मच्छरों से फैलने वाले जानलेवा जीका वायरस से भारत महफूज नहीं है-इसे लेकर एक आशंका 2016 में ही जता दी गई थी। सितंबर, 2016 में सिंगापुर में 13 भारतीयों में इस वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी और तब कहा गया था कि यहां से इस वायरस के भारत पहुंचने में ज्यादा देर नहीं है।

यह आशंका 2017 में सच साबित हो गई। जनवरी और फरवरी 2017 के बीच अहमदाबाद के तीन लोगों के जीका वायरस से प्रभावित होने की बात सामने आ गई थी, पर गुजरात सरकार इसके बारे में समय रहते सूचना जारी नहीं कर पाई। पहले भी इसी तरह देश में बर्ड फ्लू की सूचनाओं को लंबे समय तक दबाया गया था। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि विकसित देशों के मुकाबले हमारे देश का जो स्वास्थ्य ढांचा व सेहत का सूचना तंत्र इतना लचर है, उसमें कैसे अचानक फूट पड़ने वाले ऐसे वायरसों से लोगों का बचाव हो सकेगा।

समय के साथ चालाक हो रहे वायरस : समस्या का एक पहलू विषाणुओं के ज्यादा चालाक होते चले जाने का भी है। अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका-साइंस में एक वैज्ञानिक ने लिखा था- जिस तरह इंसानों ने पृथ्वी पर हर परिस्थिति और वातावरण में ढलना सीख लिया, उसी प्रकार वायरसों ने जीवाणुरोधी दवाओं यानी एंटीबायोटिक्स के खिलाफ भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। कुछ मामलों में तो बैक्टीरिया ने एंटीबायोटिक को नष्ट करने की क्षमता रखने वाले एंजाइम तक बनाने सीख लिए हैं। इसका एक और सच यह है कि ऐसी भीषण बीमारियों का सामना करने वाले कारगर टीके भी अभी मुकम्मल तौर पर विकसित नहीं हो पाए हैं। जैसे इबोला के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन जेडमैप अभी प्रायोगिक चरण में ही है।

विश्व स्वास्थ्य सुरक्षा पर जारी अपनी एक रिपोर्ट में कुछ बरस पहले डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि दुनिया में अब जितनी तेजी के साथ संक्रामक बीमारियां फैल रही हैं, वैसा मानव इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। दुनिया के खुलते बाजार और देशों के परस्पर सहयोग में इजाफे का एक नतीजा यह निकला है कि कोरोना, सार्स, निपाह, स्वाइन फ्लू और पोलियो के अलावा एचआइवी, मैड काऊ, इबोला और श्वास तंत्र को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों के फैलने की गति बढ़ गई है और यह स्थिति बेहद खतरनाक है। वायरसों को लेकर दुनिया की बड़ी चिंता बात की है कि हाल में ऐसे संक्रामक वायरसों की तादाद में कुछ ज्यादा ही इजाफा हो गया है, जो एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में छलांग लगाने की काबिलियत रखते हैं।

पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि दुनिया दूसरी प्रजातियों से इंसानों तक पहुंचने वाले विषाणुओं की चपेट में आती है और वह संक्रमण इंसानों से ही दूसरे इंसानों में फैलकर एक महामारी में बदल जाता है। ऐसा ही एक तूफान नोवेल कोरोना वायरस की शक्ल में चीन से उठ खड़ा हुआ है। इससे फिलहाल चीन में ही 106 मौतें होने और दुनिया भर में करीब डेढ़ हजार लोगों के संक्रमित होने की बात कही जा रही है। सबसे ज्यादा संक्रमित लोग चीन के ही नागरिक हैं, लेकिन विभिन्न देशों में उनके आवागमन के कारण दूसरे मुल्कों में भी इसका जोखिम बढ़ रहा है।

[संस्था एफआइएस ग्लोबल से संबद्ध]

यह भी पढ़ें:-

कोरोना वायरस को लेकर धनबाद में भी अलर्ट, दो एक्सपर्ट टीम बनी; चीन व दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर होगी नजर Dhanbad News

Corona virus: दिल्ली के अस्पताल में भर्ती संदिग्ध मरीजों के खून की जांच रिपोर्ट का इंतजार

स्वाइन फ्लू की तरह ही कोरोना वायरस का संक्रमण, न हो परेशान-केवल बरतें सावधानियां