डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव। वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर हाल के दिनों में कुछ विशेषज्ञों ने प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने के सिद्धांत पर जोर दिया है। पहले तो इसे साजिश के रूप में खारिज कर दिया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी हाल ही में प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने के सिद्धांत सहित कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जांच करने के लिए दोबारा प्रयास करने के आदेश दिए हैं।

कोरोना की उत्पत्ति को लेकर एक नया दावा भी सामने आया है। ब्रिटिश पत्रकार जैस्पर बेकर की रिपोर्ट के मुताबिक वुहान लैब में जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से एक हजार से अधिक जानवरों के जीन बदलने के दौरान कोरोना वायरस लीक हुआ। इन जानवरों में चूहे, चमगादड़, खरगोश एवं बंदर आदि शामिल थे। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि वुहान से ही पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का फैलाव हुआ था।

ब्रिटिश पत्रकार जैस्पर बेकर ने चीनी मीडिया में प्रकाशित अनेक लेखों के हवाले से यह दावा किया है। जैस्पर के मुताबिक चीन की अधिकांश प्रयोगशालाओं की निगरानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी करती है। इस काम में सेना दो बातों पर विषेश ध्यान रखती है। पहला, जीन में बदलाव, ताकि बेहतर सैनिक तैयार हो सकें और दूसरा, ऐसे सूक्ष्म जीवों की खोज हो सके जिनका जीन नए जैविक हथियार बनाने में बदला जा सके। ये ऐसे हथियार होंगे जिनका मुकाबला दुनिया की कोई ताकत नहीं कर पाएगी।

कुछ चीनी विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि वुहान की विषाणु विज्ञानी शी ङोंगली ने दूरस्थ गुफाओं का दौरा किया था और वे यहां चमगादड़ों पर शोध कर रही थीं। ङोंगली चीन में बैट वुमन नाम से जानी जाती हैं। इसलिए विशेषज्ञों का शक उन पर जाता है। इसी कड़ी में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बीते माह एक साक्षात्कार में कहा, ‘हमारे लिए इसकी तह तक जाने का अहम कारण यह है कि हम अगली महामारी को रोकने में सक्षम हो सकते हैं।

बाइडन प्रशासन कोरोना की उत्पत्ति की जड़ तक पहुंचने के लिए तत्पर है। चीन ने वह पारदíशता नहीं दिखाई जिसकी जरूरत है। उसे जवाबदेह ठहराए जाने की जरूरत है।’ कोरोना वायरस की उत्पत्ति की गहन जांच की मांग के मामले में आइआइटी दिल्ली के भारतीय विज्ञानी भी उन लोगों की सूची में शामिल हैं जिन्होंने ‘लैब रिसाव थ्योरी’ को लेकर संदेह जताया था।

आइआइटी दिल्ली में बायोलॉजिकल साइंसेज में जीवविज्ञानियों की एक टीम ने 22 पेज का शोध पत्र लिखा था। इस टीम में पुणो के रहने वाले विज्ञानी डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर भी थे। इनका कहना है कि इस आशंका के पक्ष में उनकी टीम को सबूत मिले हैं। इस टीम ने अप्रैल 2020 में अपना शोध आरंभ किया था। इनका यह भी कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की जांच के पर्याप्त शोध नहीं किए गए। इन तमाम तथ्यों से यह उभरकर सामने आता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस मामले को गंभीरता से लेकर इसकी जांच करवाए और चीन भी इस मामले में पूरा सहयोग करे जिससे सही तथ्य दुनिया के सामने आ सके।

(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक रहे हैं)