शांतनु गुप्ता। योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेना कई मायनों में ऐतिहासिक है। पिछले करीब चार दशकों में योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करके फिर मुख्यमंत्री बने हों। उन्होंने दशकों पुराने 'नोएडा जाना मुख्यमंत्री पद के लिए मनहूस होता है' जैसे मिथक को भी तोड़ दिया है। उन्होंने प्रदेश में राजनीति का एक नया व्याकरण भी स्थापित किया है कि केवल जातीय समीकरण से नहीं, बल्कि अच्छी कानून एवं व्यवस्था और कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतार कर भी चुनाव जीते जा सकते हैं। यह स्पष्ट हो गया है कि योगी का दूसरा कार्यकाल राजनीतिक रूप से अधिक सशक्त, प्रशासनिक रूप से अधिक अनुभवी और रणनीतिक रूप ज्यादा प्रभावी होगा।

विधानसभा चुनाव से पहले जब मैं योगी आदित्यनाथ को अपनी पुस्तक-'द मांक हू ट्रांसफार्म्ड उत्तर प्रदेश' देने गया तो उनसे कहा कि उनका वर्तमान कार्यकाल यूपी के लिए परिवर्तनकारी रहा है। साथ ही पूछा कि अगले कार्यकाल के लिए उनकी प्राथमिकता क्या होगी? उन्होंने जोर देकर कहा कि अगले कार्यकाल में वह प्रदेश को एक लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। यूपी में बहुत लंबे समय तक लचर और भ्रष्ट सरकारों का बोलबाला रहा है। उन्होंने यूपी को समृद्ध प्रदेश बनाने का संकल्प जताया। आश्चर्य नहीं हुआ जब पिछले हफ्ते मैंने सभी प्रमुख समाचार पत्रों में 'एक विज्ञापन' देखा, जो उत्तर प्रदेश को एक लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद करने के लिए एक अनुभवी एजेंसी का चयन करने के लिए था। इससे जाहिर होता है कि शपथ लेने से पहले ही एक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में वह यूपी को और समृद्ध बनाने में जुटे हुए थे। हम कह सकते हैैं कि योगी आदित्यनाथ के इस कार्यकाल में उस सुशासन की निरंतरता दिखेगी, जिसे उत्तर प्रदेश के लोगों ने पिछले पांच वर्षों में देखा है, लेकिन वर्ष 2022 के योगी आदित्यनाथ वर्ष 2017 के योगी आदित्यनाथ से कई मायनों में अलग भी होंगे।

वर्ष 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने 'पंचम तल' में प्रवेश किया तो उनके आलोचकों ने एक नेता और प्रशासक के रूप में उनमें तीन कमियों को इंगित किया। पहली कमी यह थी कि योगी आदित्यनाथ ने तब तक कभी भी प्रशासनिक भूमिका नहीं निभाई थी। वह केंद्र सरकार में कभी मंत्री भी नहीं रहे। उन्होंने राज्य की प्रशासनिक और नौकरशाही मशीनरी को भी पहले कभी नहीं चलाया था। आलोचकों के अनुसार दूसरी कमी यह थी कि योगी आदित्यनाथ पिछले 19 वर्षों में एक सांसद के रूप में गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित थे। आलोचकों द्वारा व्यक्त की गई तीसरी कमी यह थी कि योगी आदित्यनाथ ने कभी भी पार्टी संगठन में कोई भूमिका नहीं निभाई। इसलिए भाजपा के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनका जुड़ाव बहुत मजबूत नहीं है। अपने पहले कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने इन कमियों को दूर करने के लिए डटकर काम किया। उन्होंने 18 से 20 घंटे तक काम किया, फाइलों को कवर से कवर तक पढऩे की आदत डाली, यूपी के सभी 75 जिलों का दौरा किया। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अपशकुन कहे जाने वाले नोएडा में भी कई बार गए। यूपी के हर हिस्से की जमीनी हकीकत को समझा। विभिन्न मामलों में खुद को प्रशिक्षित करने के लिए कई आइएएस अधिकारियों, कानूनी विशेषज्ञों, सलाहकारों के साथ लंबे समय तक बैठे। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने अपनी कथित कमियों को दूर करने के लिए कठिन परिश्रम किया और पिछले पांच वर्षों में विजेता बनकर उभरे।

साफ है योगी अपने दूसरे कार्यकाल में कहीं अधिक मुखर नेता होंगे, जिसके पीछे बड़ी चुनावी जीत खड़ी है। 'गुजरात माडल' के बाद अब 'यूपी माडल' भाजपा शासित राज्यों के लिए अनुकरणीय हो गया है। योगी के शासन के विभिन्न पहलुओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, नीति आयोग और कई अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से प्रशंसा मिली है। वर्ष 2022 के चुनाव अभियान के दौरान योगी आदित्यनाथ को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के एक अन्य स्टार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह से दुर्लभ प्रशंसा मिलीं। राजवीर सिंह ने उल्लेख किया कि योगी आदित्यनाथ उनके पिता से भी बेहतर मुख्यमंत्री साबित हुए हैैं और राजनाथ सिंह ने भी योगी को खुद से बेहतर मुख्यमंत्री बताया। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी योगी के नेतृत्व का पुरजोर समर्थन किया। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने योगी आदित्यनाथ के लिए 'यूपी+योगी = उपयोगी' शब्द भी गढ़ डाला। इस जीत के बाद योगी आदित्यनाथ निश्चित रूप से एक राजनीतिक दिग्गज के रूप में सामने आए हैं।

अपनी शपथ से एक दिन पहले 24 मार्च को भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बाद अपने भाषण में योगी आदित्यनाथ ने विनम्रतापूर्वक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को उन्हें तथा उनकी टीम को एक अभिभावक एवं कोच के रूप में सुशासन के पाठ पढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया। उसी सभा में अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ पर अपना विश्वास व्यक्त किया और आगामी पांच वर्षों में उनके नेतृत्व में यूपी के भारत की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनने की आशा भी व्यक्त की। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का यूपी को एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यह निरंतर फोकस राज्य के लिए बहुत अच्छा संकेत है और यही योगी के दूसरे कार्यकाल का शासन मंत्र प्रतीत होता है।

(स्तंभकार 'द मांक हू ट्रांसफार्म्ड उत्तर प्रदेश' पुस्तक के लेखक हैैं)