[शशांक द्विवेदी]। BrahMos Supersonic Cruise Missile: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर से दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को जमीन और हवाई प्लेटफार्म से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसमें अधिकांश उपकरण स्वदेशी थे। इसमें मिसाइल एयर फ्रेम, फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम को डीआरडीओ ने डिजाइन किया था।

ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले से ही शामिल

पहले जमीन पर मार करने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर से चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज में लॉन्च कॉम्प्लेक्स-3 से परीक्षण किया गया। मिसाइल का दूसरा प्रक्षेपण भारतीय वायु सेना द्वारा एसयू-30 एमकेआइ से किया गया। ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले ही शामिल है और अब इसे थल सेना के बेड़े में भी शामिल किया जा सकता है। नए संस्करण का कई अहम उपकरण देश में ही विकसित किए गए हैं। वैसे ब्रह्मोस को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस दुनिया में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है जो सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जा सकती है।

दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल 

भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण बनाए गए हैं। थल सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल माना जा रहा है, क्योंकि इसकी रफ्तार 2.8 मैक यानी ध्वनि की रफ्तार से लगभग तीन गुना ज्यादा है। दुश्मन की सीमा में घुसकर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल इसी गति से हमला करने में सक्षम है।

ब्रह्मोस की रेंज लगभग 300 किमी है जिससे युद्ध के समय पड़ोसी देश में हर जगह प्रहार करना संभव नहीं है। भारत के पास नई जेनरेशन की ब्रह्मोस मिसाइल से अधिक रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल हैं, लेकिन ब्रह्मोस की खूबी यह है कि इससे खास टारगेट को तबाह किया जा सकता है। यह पाकिस्तान के साथ किसी टकराव की सूरत में गेम चेंजर साबित हो सकती है। बैलेस्टिक मिसाइल को आधी दूरी तक ही गाइड किया जा सकता है। वहीं क्रूज मिसाइल की पूरी रेंज गाइडेड होती है।

जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से दागा जा सकता है

ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल है। यह बिना पायलट वाले लड़ाकू विमान की तरह होगी जिसे बीच रास्ते में भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसे किसी भी एंगल से अटैक के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। ब्रह्मोस से पहाड़ी इलाकों में बने आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया जा सकता है। ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। क्रूज मिसाइल उसे कहते हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और राडार से भी बची रहती है। इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कहीं से भी दागा जा सकता है। भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम से तैयार हुई इस मिसाइल का जल और थल से पहले भी सफल परीक्षण किया जा चुका है। इस तरह यह तय हो गया है कि ब्रह्मोस जल, थल और वायु से छोड़ी जा सकने वाली मिसाइल बन गई है। इस क्षमता को ट्रायड कहा जाता है।

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की आवश्यकता

ट्रायड की विश्वसनीय क्षमता इससे पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और सीमित रूप से फ्रांस के पास मौजूद है। अधिकतम स्वदेशी उपकरणों से लैस ब्रह्मोस के नए संस्करण का इस्तेमाल थल सेना करती है। थल सेना, वायु सेना और नौ सेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल प्रणाली का तीसरा सफल परीक्षण था जिसे भारतीय सेना की तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की आवश्यकता के लिए विकसित किया जा रहा है।

तेज गति की मिसाइल को खरीदने की कोशिश

इस कामयाबी के बाद भारत दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में भी सफल हुआ है। भारत इस मिसाइल के निर्यात की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में लग गया है। एमटीसीआर का सदस्य बनने के बाद यह कार्य और आसान हो गया है। वियतनाम वर्ष 2011 से इस तेज गति की मिसाइल को खरीदने की कोशिश में लगा हुआ है। वह चीन से बचाव के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल लेना चाहता है। इस अत्याधुनिक मिसाइल को बेचने के लिए भारत की नजर में वियतनाम के अलावा 15 अन्य देश भी हैं।

वियतनाम के बाद फिलहाल जिन चार देशों से बिक्री की बातचीत चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली व ब्राजील हैं। शेष 11 देशों की सूची में फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड व संयुक्त अरब अमीरात आदि शामिल हैं। इन सभी देशों के साथ दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन के साथ तनातनी चल रही है। दुनिया की सबसे तेज गति वाली मिसाइलों में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है। यह ना तो राडार की पकड़ में आती है और ना ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है। एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना लगभग असंभव है।[डायरेक्टर, मेवाड़ यूनिवर्सिटी]

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