जब खरीदें पुरानी कार
नई कार ख़्ारीदने से ज्यादा टेंशन तब होती है जब हम पुरानी कार ख़्ारीदते हैं। उसे ख़्ारीदना भले ही आसान लगता हो लेकिन अगर कोताही न बरती जाए तो लेने के देने पड़ सकते हैं। पुरानी कार ख़्ारीदने से पहले कई बातों पर $गौर करना ज़रूरी होता है। कार कितनी
नई कार ख़्ारीदने से ज्यादा टेंशन तब होती है जब हम पुरानी कार ख़्ारीदते हैं। उसे ख़्ारीदना भले ही आसान लगता हो लेकिन अगर कोताही न बरती जाए तो लेने के देने पड़ सकते हैं। पुरानी कार ख़्ारीदने से पहले कई बातों पर $गौर करना ज़रूरी होता है। कार कितनी पुरानी है? प्रेज़ेंट कंडीशन क्या है? कभी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी? सारे पेपर्स अवेलेबल हैं? ये वे ज़रूरी सवाल हैं जिनके जवाब सैटिस्फैक्टरी मिलने के बाद ही आगे कुछ करना चाहिए। पुरानी कार ख़्ारीदते टाइम इन बातों का रखें ख़्ायाल :
पहले जुटाएं जानकारी
कोई भी $कदम उठाने से पहले कारों के बारे में पर्याप्त जानकारी हासिल करें। पता करें कि कौन सी कंपनी की सेकंड हैंड कार की वैल्यू सबसे ज्य़ादा है और कौन सी कार पुरानी होने के बावजूद विश्वसनीय रहेगी। उदाहरण के तौर पर अगर आपने ओपल एस्ट्रा ख़्ारीद ली तो आपको इसके पुर्जे ही नहीं मिलेंगे, ऐसी पुरानी कार ख़्ारीदने का क्या $फायदा होगा? ऐसी कंपनियों की कार जिनके स्पेयर पाट्र्स आसानी से न मिलते हों, नहीं ख़्ारीदनी चाहिए। यह भी देख लेना चाहिए कि जिस कंपनी की कार आप ले रहे हैं, उसके सर्विस सेंटर ज्य़ादातर जगहों पर हैं या नहीं।
अतीत में झांकें
गाड़ी भले ही एक मशीन है, लेकिन उसका साथ किसी व्यक्ति की दोस्ती से कम नहीं होता। इसलिए जब कार ख़्ारीदें तो पहले उसकी हिस्ट्री ज़रूर चेक कर लें। अच्छा रहेगा अगर कार ख़्ारीदने से पहले किसी मकैनिक की सलाह ले लें और ख़्ारीदने के बाद उससे उस कार की जांच भी करवा लें। अगर वह किसी गंभीर एक्सीडेंट का सामना कर चुुकी हो तो उसे न लेना ही बेहतर रहेगा। कार की सर्विस हिस्ट्री भी जांच लें।
इन बातों पर भी करें $गौर
- बोनट के नीचे कार की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखी होती है, उसे भी देख लें। साथ ही रजिस्ट्रेशन कम टैक्स सर्टिफिकेट (आरसीटीसी) पर लिखी डेट से उसका मिलान भी कर लें।
- कार चलाकर उसके पिकअप, गियर शिफ्टिंग आदि से जुड़ी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। पुरानी कार ख़्ारीदते टाइम इस बात पर ज़रूर ध्यान दें कि आप जो कार ख़्ारीदने जा रहे हैं, वह कितने किलोमीटर चल चुकी है। इससे कार की हालत का का$फी अंदाज़ा लग जाता है।
- पेमेंट करने से पहले कार के सारे ज़रूरी पेपर्स ले लें। यह श्योर कर लें कि कार के पहले ख़्ारीदार ने आरटीओ टैक्स (हर नई कार ख़्ारीदने वाले को एक बार देना होता है) चुका दिया हो।
- रजिस्ट्रेशन से संबंधित पेपर्स की भी जांच कर लें। यह देख लें कि रजिस्ट्रेशन पेपर में उसी स्टेट का नाम दजऱ् है या नहीं, जिस राज्य में आपको कार चलानी है। अगर नहीं, तो रजिस्ट्रेशन उस राज्य में ट्रांस्फर करवाना होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें पैसे भी खर्च होते हैं।
- इंश्योरेंस पेपर अपने नाम पर ट्रांस्फर करवा लें। यह भी देख लें कि कार बेचने की तारीख़्ा तक उस कार के मालिक की ओर से रोड टैक्स चुका दिया गया है या नहीं। आप कार की ओरिजिनल इनवॉइस की भी मांग करें।
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की ओरिजिनल कॉपी देख लें और एक $फोटो कॉपी अपने पास रख लें। यह सर्टिफिकेट इस बात का प्रूफ है कि कार ख़्ारीदने के लिए दी गई सारी रकम फाइनेंस कंपनी को वापस कर दी गई है। आपको फॉर्म 35 की एक कॉपी (जिस पर फाइनेंस कंपनी के सक्षम अफसरों के सिग्नेचर्स हों) भी ज़रूर रखनी चाहिए।
अमित द्विवेदी