फैशन कोरियोग्राफी से बनाए भविष्य का कैनवास
चमचमाती लाइट्स और सुरीले संगीत के बीच जब खूबसूरत मॉडल्स रैंप पर डिजाइनर कपड़ों के कलेक्शन एक खास अंदाज में पेश करती हैं तो ऑडियंस की तालियां रुकने का नाम नहीं लेतीं। भारत में फैशन शो का चलन इंटरनेशनल मार्केट से आया है, जिसमें कपड़ों का कलेक्शन पश्चिमी विचारों के साथ पेश किया जाता था। पर आज फैशन क
चमचमाती लाइट्स और सुरीले संगीत के बीच जब खूबसूरत मॉडल्स रैंप पर डिजाइनर कपड़ों के कलेक्शन एक खास अंदाज में पेश करती हैं तो ऑडियंस की तालियां रुकने का नाम नहीं लेतीं। भारत में फैशन शो का चलन इंटरनेशनल मार्केट से आया है, जिसमें कपड़ों का कलेक्शन पश्चिमी विचारों के साथ पेश किया जाता था। पर आज फैशन कोरियोग्राफी में भारतीयों की पसंद और नापसंद का पूरा खयाल रखा जाता है। म्यूजिक भी उन्हीें की पसंद की रखी जाती है। कोरियोग्राफी में ड्रामा क्रिएट किया जाता है ताकि कलेक्शन को प्रभावशाली तरीके से प्रेजेंट किया जा सके। फैशन कोरियोग्राफर को कपड़ों की नॉलेज के साथ-साथ उनकी बनावट, रंगों, डिजाइनों, सामग्रियों की पूरी जानकरी होती है। वे सीजन के साथ नए आइडियाज और ट्रेंड्स का भी ध्यान रखते हैं, तभी फैशन कोरियोग्राफी का बड़ा कैनवास तैयार हो पाता है।
नेचर ऑफ वर्क
फैशन कोरियोग्राफी बहुत सारे मूवमेंट और पैटर्न पर बेस्ड होता है, जिसमें मॉडल्स को डिजाइनर ड्रेस को आकर्षक व पेशेवर तरीके से पेश करना सिखाया जाता है। कोरियोग्राफर को म्यूजिक की बीट और मॉडल की वॉक के साथ तालमेल बिठाना होता है, ताकि इवेंट अपीलिंग और ग्लैमरस लगे। फैशन कोरियोग्राफर का काम लगभग एक शो के डायरेक्टर की तरह ही होता है। आजकल डिजाइनर अपने शो के लिए एक कोरियोग्राफर जरूर हायर करते हैं। फैशन कोरियोग्राफर फैशन डिजाइनर की सोच के साथ काम करता है। फैशन कोरियोग्राफर में म्यूजिक सलेक्शन की समझ, कलेक्शन की समझ, शो के लिए एक लुक तैयार करने की समझ होनी चाहिए।
योग्यता और कोर्स
इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करना जरूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अलावा और भी कई इंस्टीट्यूट्स हैं, जहां से कोर्स किया जा सकता है। फैशन डिजाइनिंग के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए 50 परसेंट मार्क्स के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। पीजी कोर्स में एडमिशन के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है। निफ्ट जैसे इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए रिटेन एग्जाम, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के दौर से गुजरना पड़ता है। पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए किसी भी विषय में ग्रेजुएशन जरूरी है।
फैशन इंड्रस्टी में बहुत से कोर्स आते हैं, जिसमें आप स्पेशलाइजेशन और सुपर स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। इनमें से एक फैशन कोरियोग्राफी भी है। इसके तहत अपैरल डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, क्लॉथिंग टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल साइंस, अपैरल कंस्ट्रक्शन मेथड, फैब्रिक डाइंग एवं प्रिंटिंग, कलर मिक्सिंग एवं कंप्यूटर एडेड डिजाइन आदि क्षेत्रों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं। इसमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, फाउंडेशन डिग्री, डिग्री व पीजी डिग्री तक कोर्स उपलब्ध हैं।
स्कोप
कोर्स कंप्लीट करने के बाद फैशन प्रोडक्शन मैनेजमेंट, फैशन मीडिया, क्वॉलिटी कंट्रोल, फैशन एक्सेसरीज डिजाइन और ब्रांड प्रमोशन में काम कर सकते हैं। इसके अलावा, कॉस्ट्यूम डिजाइनर, फैशन कंसल्टेंट, टेक्निकल डिजाइनर, ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्शन पैटर्न मेकर, फैशन कोऑर्डिनेटर आदि के रूप में भी करियर बना सकते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
प्रियंका गोयल (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी)
एक फैशन कोरियोग्राफर को क्रिएटिव होना चाहिए। कलर और स्टाइल की अच्छी समझ होनी जरूरी है। अपनी बात को अच्छी तरह से कम्युनिकेट करने की स्किल होना अतिरिक्त क्वॉलिटी है। उसे हर समस्या को फेस करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लंबे समय तक व दबाव में काम करने की क्षमता होनी चाहिए। कोरियोग्राफर के काम में कपड़ों के डिजाइन, म्यूजिक सिलेक्शन, शो को डायरेक्ट करने, रिहर्सल कराने, शो के समय डीजे म्यूजिक व लाइट इंजीनियर के साथ कोऑर्डिनेट करना शामिल होता है।