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रीडिंग शुड बी अ हैबिट

तरह-तरह की किताबें पढऩे के शौकीन संदीप शर्मा के दोनों नॉवेल्स को रीडर्स ने खूब सराहा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 14 Sep 2016 12:20 PM (IST)Updated: Wed, 14 Sep 2016 12:40 PM (IST)
रीडिंग शुड बी अ हैबिट

तरह-तरह की किताबें पढऩे के शौकीन संदीप शर्मा के दोनों नॉवेल्स को रीडर्स ने खूब सराहा। बिलकुल अलग पृष्ठभूमियों पर लिखे गए इन नॉवेल्स के लिए उन्होंने खूब रिसर्च की थी। कम उम्र में अपनी पहचान बनाने वाले राइटर्स में उनका नाम भी शुमार हो चुका है। पेश है उनसे हुई एक बातचीत।

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अ डिसिप्लिन्ड किड
मैंने अपने पैशन को प्रोफेशन बना लिया है और इसलिए अब ऑथर हूं। शुरू में घरवालों को गुस्सा आता था कि इंजीनियरिंग छोड़कर मेरा रुझान कहीं और बढ़ रहा है पर अब उन्होंने इस बात को एक्सेप्ट कर लिया है।
इंस्पिरेशन इज़ नेसेसरी
मैं खुद को एक ऐसा राइटर मानता हूं जो कहानी पर ध्यान देता है न कि थीम पर। किताबें पढऩे से लिखने की प्रेरणा भी मिलती है। मैं खुद को एक 'स्टोरीटेलर' कहलवाना ज़्यादा पसंद करूंगा बजाय एक ऑथर के।
ट्रस्ट योरसेल्फ
खुद पर भरोसा रखें कि आपने जो लिखा है, वह बहुत अच्छा है और अपने नाम को आगे बढ़ाते रहें। बाकी फील्ड्स की ही तरह यहां भी 'नाम' का रुतबा है। अब तो राइटर्स अपने रीडर्स से कम्युनिकेट करते रहते हैं।
बुक्स आर वन्स बेस्ट फ्रेंड
कोई पीडीएफ कॉपी पढ़े या नॉर्मल बुक, यह उनकी पर्सनल चॉइस है। मेरे हिसाब से पढऩा ज़्यादा ज़रूरी है, न कि यह सोचना कि कहां से पढ़ा।
टु रीड इज़ टु लिव
जितना हो सके, उतना पढ़ें। एक जीवन में जितनी जिंदगियां किताबें दे सकती हैं, उतनी कोई भी नहीं दे सकता। पढऩे से व्यक्ति का ओवरऑल डेवलपमेंट भी होता है।
दीपाली पोरवाल


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