प्रयोगों से बढ़ें आगे
दोस्तों के साथ अपनी फेवरिट हैंगआउट प्लेस पर चाय की चुस्कियां लेते व$क्त हर किसी के पास यू.एस. एम्बसी से कॉल नहीं आता है... डीयू की इंग्लिश ऑनर्स की स्टूडेंट महामेधा नागर का यू.एस. एम्बसी ने एक एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए सलेक्शन किया था उनके कौशल के दम पर। महामेधा
दोस्तों के साथ अपनी फेवरिट हैंगआउट प्लेस पर चाय की चुस्कियां लेते व$क्त हर किसी के पास यू.एस. एम्बसी से कॉल नहीं आता है... डीयू की इंग्लिश ऑनर्स की स्टूडेंट महामेधा नागर का यू.एस. एम्बसी ने एक एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए सलेक्शन किया था उनके कौशल के दम पर। महामेधा से एक ख़्ाास मुलाकात...।
यू.एस. कैसे पहुंचीं?
मेरे पास यू.एस. एम्बसी से कॉल आया। मुझे बताया गया कि मेरा सलेक्शन एक एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए किया गया है। मैंने प्रैंक कॉल समझ कर कॉल कट कर दी। जब यू.एस. से एक सीनियर रिप्रेज़ेंटेटिव का कॉल आया, तब मुझे विश्वास हुआ कि वा$कई में ऐसा कुछ हुआ है। एक इंटरव्यू और टेस्ट के बाद मेरा सलेक्शन हुआ और पहुंच गई वहां।
उन्होंने आपको ढूंढा कैसे?
मैं एक नेता के ख़्िाला$फ प्रोटेस्ट कर रही थी। अगले दिन 18 नैशनल न्यूज़पेपर्स में मेरी $फोटो पब्लिश हुई थी। बस वहीं से एम्बसी ने मुझे ढूंढ निकाला।
प्रोग्राम में क्या था?
एक्सचेंज प्रोग्राम में लगभग 80 देशों के स्टूडेंट्स थे। मैंने यूथ वुमन लीडर के तौर पर इंडिया को रिप्रेज़ेंट किया था। अपनी कंट्री के वुमन बेस्ड इशूज़ और लीडरशिप के तौर-तरी$कों पर डिस्कशन करना था।
पेरेंट्स ने क्या कहा?
मेरी फेमिली के लिए यह बहुत बड़ा अचीवमेंट था। उन्हें इस बात की टेंशन ज़रूर हुई थी कि मैं वहां अकेले सब कुछ कैसे मैनेज करूंगी.. पर सब ख़्ाुश थे।
क्या सीखा वहां?
वहां का स्टडी पैटर्न यहां से बिलकुल अलग है। वहां ओपन डिस्कशंस होते हैं और फिर प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं। ख़्ाुद को जानने, समझने और परखनेे का भरपूर मौका भी दिया जाता है।
यूथ के लिए मेसेज?
कभी भी एक्सपेरिमेंट करने से मत घबराइए। हमेशा कुछ नया करते रहिए। किसी न किसी काम में इन्वॉल्व रहिए, कभी ख़्ााली मत बैठिए।
दीपाली पोरवाल