शादी से पहले फाइनेंशियल प्लानिंग
शादी जिंदगी का सबसे अहम निर्णय होता है। शादी को लेकर सबके मन में तमाम सपने और योजनाएं होती हैं। लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि इन योजनाओं में फाइनेंशियल प्लानिंग को अहमियत नहीं दी जाती। शादी का माहौल ऐसा खुशनुमा होता है कि आदमी किसी विपरीत परिस्थिति या संकट के बारे में सोचता ही नहीं। लेकिन जो लोग शादी करने जा रहे ह
शादी जिंदगी का सबसे अहम निर्णय होता है। शादी को लेकर सबके मन में तमाम सपने और योजनाएं होती हैं। लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि इन योजनाओं में फाइनेंशियल प्लानिंग को अहमियत नहीं दी जाती। शादी का माहौल ऐसा खुशनुमा होता है कि आदमी किसी विपरीत परिस्थिति या संकट के बारे में सोचता ही नहीं। लेकिन जो लोग शादी करने जा रहे हैं, वे हनीमून की प्लानिंग के साथ ही यदि पहले से थोड़ी फाइनेंशियल प्लानिंग भी कर लें तो शादी के बाद भी जीवन में हनी जैसी ही मिठास कायम रहेगी।
तनाव से बचें
शादी से पहले ही अपने और पार्टनर की फाइनेंशियल स्टेटस की पूरी जानकारी कर लें। शादी से पहले वित्तीय मामलों पर खुली चर्चा से शादी के बाद तनाव से बचा जा सकता है। इससे इस बात का सही अंदाजा लग जाएगा कि आप दोनों की कुल आय और खर्च कितने हैं। सबसे पहले आपको पुराने दस्तावेजों को अपडेट करने की कोशिश करनी चाहिए। खासकर युवतियों के लिए यह जरूरी है। शादी के बाद आपका सरनेम बदल सकता है और पता तो बदलेगा ही, इसलिए पैन कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, बैंक खाता आदि में बदलाव के लिए आवेदन करना होगा।
कोई कर्ज तो नहीं
शादी से पहले यदि कॉफी टेबल पर मुलाकात होती है तो वहीं पर अपनी बचत, निवेश और कर्ज के आंकड़ों का आदान-प्रदान करना बेहतर रहेगा। इस बारे में बात करें कि एक-दूसरे के सिर से कर्ज का बोझ कैसे हटाया जा सकता है, इस बारे में भी चर्चा कर लें कि आगे कर्ज कैसे निपटाएंगे, संयुक्त रूप से या अलग-अलग।
क्या कोई निवेश किया है
यदि आप दोनों या किसी एक ने कोई निवेश किया है तो शादी के बाद उनको किस तरह से हैंडल किया जाएगा। क्या शादी के बाद आप इसको संयुक्त रूप से चलाना चाहते हैं, अगर हां तो पता करिए कि इसकी प्रक्रिया क्या होती है। क्या इससे टैक्स के लिहाज से कोई फायदा होगा। यह भी ध्यान रखना होगा कि आपको रिटर्न किस तरीके से बढि़या मिल सकता है।
फिजूलखर्ची से बचें
भारत में शादियों में फिजूलखर्ची और दिखावा बहुत होता है और इस चक्कर में कई लोग कर्ज का भारी बोझ हो जाता है। समझदारी तो यही है, आप शादी से पहले ही अपने पार्टनर से चर्चा कर लें कि किसी की मदद लिए बिना आप दोनों और आपके परिवार वाले कितना खर्च कर सकते हैं।
शादी के बाद
शादी के बाद आप दोनों को कहां रहना है, इसकी योजना भी शादी के पहले ही बना लें, खासकर यदि आप संयुक्त परिवार में नहीं, बल्कि अकेले रहते हों। यदि किराए का मकान लेना है तो आपस में चर्चा कर लें कि आप दोनों कितने तक का मकान किराए पर ले सकते हैं। ध्यान रहे कि मकान का किराया या यदि मकान खरीद रहे हैं तो उसकी ईएमआई, आप दोनों के कुल मासिक आय के करीब 25 से 30 फीसदी तक ही हो। जो पति-पत्नी
साथ मिलकर मकान खरीदने की योजना बना रहे हों, उन्हें कम से कम अगले छह महीने तक बचत कर डाउन पेमेंट के लिए फंड बनाना होगा।
सावधानी
शादी के बाद आपके लोन, अच्छी क्रेडिट रेटिंग और वित्तीय भविष्य, सब पर आपके पार्टनर का साझा ह़क हो सकता है। शादी के बाद आपकी जोखिम लेने की क्षमता कम हो जाएगी और आपको कुछ वित्तीय स्थिरता की भी जरूरत होगी। शादी के बाद कई तरह की जिम्मेदारियां भी आती हैं, इसलिए सबसे पहले आपको बीमा कवर बढ़ाना होगा। यदि आपके पास इंडिविजुअल मेडिकल कवर है तो उसे फेमिली फ्लोटर प्लान में बदलना चाहिए। पति-पत्नी दोनों के लिए यह जरूरी है कि शादी से पहले आपने जो निवेश या बीमा पॉलिसी किए हैं उनके नॉमिनी के नाम में बदलाव के लिए आवेदन करें।
आपातकालीन फंड बनाएं
आपको अपनी कुल निवेश राशि के करीब 25 फीसदी का एक आपातकालीन फंड तैयार करना चाहिए और उसे बैंक में एफडी के रूप में रखना चाहिए। इसके अलावा कम से कम तीन महीने का खर्च किसी बचत खाते या लिक्विड म्युचुअल फंड में भी रखना चाहिए।
खुल कर करें बात
एक अध्ययन के अनुसार जो पति-पत्नी वित्तीय मामलों में एक-दूसरे से खुलकर चर्चा करते हैं, उनकी गृहस्थी की गाड़ी अच्छे तरीके से चलती है। निवेश की पूरी रणनीति तैयार करने के लिए आपको किसी सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर की मदद लेनी चाहिए।
- डी. चंद्रा