आई CONFESS
कसूर तुम्हारा नहीं था... रमन आज इतने सालों बाद भी मेरी ग्लानि जस की तस बनी हुई है। इसे तुमसे साझा कर नहीं सकी, आखिर करूं भी तो किस मुंह से? बायोलॉजी में इतने अच्छे होने के बाद भी तुम्हें मैथ्स दिला दिया था मैंने। इसका दूरगामी असर तुम्हारे करियर पर
कसूर तुम्हारा नहीं था...
रमन आज इतने सालों बाद भी मेरी ग्लानि जस की तस बनी हुई है। इसे तुमसे साझा कर नहीं सकी, आखिर करूं भी तो किस मुंह से? बायोलॉजी में इतने अच्छे होने के बाद भी तुम्हें मैथ्स दिला दिया था मैंने। इसका दूरगामी असर तुम्हारे करियर पर हुआ। अपनी पसंद की फील्ड नहीं चुन पाए तुम...। डॉक्टर बनने से चूक गए...। जब भी जि़क्र करते हो तुम अपने टूटे सपने का और थोपे हुए आइटी के करियर का, तो तुमसे ज्य़ादा दर्द मुझे होता है। मैंने यदि तुम्हारी बात मान ली होती तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता। मेरा क्या बिगड़ जाता यदि तुम्हारी दिली इच्छा को जानकर मैं तुम्हें बायो में आगे बढऩे देती। तुम ज़रूर एक बेहतर डॉक्टर बन पाते। तुम भी खुश होते और मैं भी...!
तुम्हारी बहन
टीस उठती है आज भी
रजनी मेरे मना करने के बाद भी राजीव से बात करती, उसके $करीब जाती, उसके साथ लंच करती तो मुझे वह सहन नहीं होता था। कभी टोका नहीं, अपनी फीलिंग्स को जताया भी नहीं, लेकिन अक्सर उन दोनों के आगे असहज हो जाती थी मैं। एक दिन मुझसे रहा नहीं गया, राजीव से मैंने रजनी की झूठी शिकायत कर दी। नहीं मालूम था कि राजीव की दोस्ती इतनी कच्ची रही थी रजनी से। उसे मेरी शिकायत पर य$कीन आ गया, रजनी से कटा-कटा रहने लगा और मेरे $करीब। न जाने क्यों यह मुझे अच्छा नहीं लगा। राजीव को मन ही मन पसंद करती थी पर अब न$फरत हो गई यह जानकर कि उसकी दोस्ती की डोर कितनी कमज़ोर है। उसकी सारी अच्छाइयां हवा हो गईं। एक टीस रह गई कि रजनी मेरी अच्छी दोस्त थी, पर उसके दोस्त को मैंने बेखय़ाली में, ईष्र्या की जद में आकर दूर कर दिया।
टीना