ईटिंग हैबिट्स के लिए माफी
आज जब मैं अपने ऑफिस के कुछ कलीग्स की ईटिंग हैबिट्स से परेशान होती हूं तो मुझे अपनी गलती का एहसास होता है। इंजीनियरिंग करने के दौरान मैं अकसर हॉस्टल में देर से जगती। आनन-फानन तैयार होती और बिना कुछ खाए-पिए सुबह की क्लास ज्वॉइन कर लेती। जब लेक्चर शुरू हो जाता तो मैं सबसे नजरें बचाकर कभी बैग में
आज जब मैं अपने ऑफिस के कुछ कलीग्स की ईटिंग हैबिट्स से परेशान होती हूं तो मुझे अपनी गलती का एहसास होता है। इंजीनियरिंग करने के दौरान मैं अकसर हॉस्टल में देर से जगती। आनन-फानन तैयार होती और बिना कुछ खाए-पिए सुबह की क्लास ज्वॉइन कर लेती। जब लेक्चर शुरू हो जाता तो मैं सबसे नजरें बचाकर कभी बैग में रखे सेब खाने लगती तो कभी स्नैक्स निकालकर। न चाहते हुए भी मेरे मुंह से चपड़-चपड़ की आवाज आती। थोड़ी देर बाद ही मुझे चाय या कॉफी की तलब होने लगती और सभी के एतराज के बावजूद पीने लगती। मेरी इस बुरी आदत से मयंक और आकांक्षा काफी चिढ़ते। वे बार-बार मुझसे कहते कि तुम्हारी वजह से सारी क्लास डिस्टर्ब होती है। पर मैं उनकी बातें एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देती। अब मैं एक आइटी कंपनी में काम करने लगी हूं। मेरे कुछ कलीग्स हैं, जो पूरे ड्यूटी ऑवर में कुछ न कुछ खाते-पीते रहते हैं। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की तो उन्होंने कहा, 'अरे घर में खाने की फुर्सत नहीं मिलती है। ऑफिस आकर खाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।' मैं अपनी बुरी आदत को याद कर सोचती हूं कि मैंने क्लास के दोस्तों को कितना नाराज किया होगा। मेरी वजह से उन्हें कितनी कुढ़न होती होगी! काश मैंने अपनी ईटिंग हैबिट्स से उन्हें परेशान न किया होता। (सुप्रिया)