आई CONFESS
शक का कीड़ा क्या तुम मुझे माफ कर पाओगे विवेक? मैंने तुम पर शक किया और एक अच्छे दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया। पता नहीं क्यों जब भी तुम किसी फीमेल से बात करते तो मुझे बहुत बुरा लगता। दरअसल, मैं तुम्हें अपनी प्रॉपर्टी मानने लगी थी। इस
शक का कीड़ा
क्या तुम मुझे माफ कर पाओगे विवेक? मैंने तुम पर शक किया और एक अच्छे दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया। पता नहीं क्यों जब भी तुम किसी फीमेल से बात करते तो मुझे बहुत बुरा लगता। दरअसल, मैं तुम्हें अपनी प्रॉपर्टी मानने लगी थी। इस बुरी आदत पर मेरे दोस्त भी टोका करते। वे कहते कि अगर तुम विवेक के साथ इसी तरह व्यवहार करोगी तो एक दिन वह परेशान होकर तुम्हें छोड़ देगा। और ऐसा ही हुआ। मेरे श$क्की मि$जाज से ऊबकर तुमने मुझसे दोस्ती तोड़ ली। शुरुआत में मैं बहुत दुखी रही। सबसे मिलना-जुलना व बातचीत करना छोड़ दिया। कभी-कभी तो खीजकर दूसरों पर चिल्ला भी उठती। कुछ दिनों बाद आकांक्षा की सलाह पर मैं एक मनोचिकित्सक से मिलने गई। कई सेशन अटेंड करने के बाद अब सही हो गई हूं। मेरी श$क करने की बीमारी हमेशा के लिए $खत्म हो गई है। अ$फसोस मैं अब तुम्हें नहीं पा सकती, पर कोई बात नहीं। तुम जहां भी रहो, खुश रहो। यही दुआ है।
- मोनिका
बातूनी होने की स$जा
आज जो हुआ, उसके लिए सि$र्फ मैं $िजम्मेदार हूं। मैं बहुत बातूनी हूं। अगर कोई मेरा नाम पूछता तो मैं नाम के अलावा, घर, पता, जॉब आदि बताना नहीं भूलता। साथ ही, सामने वाले से भी उसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहता। ऑफिस में अपनी टेबल के सामने बैठते ही घर की सारी राम-कहानी बयां करना शुरू कर देता। अपनी बात कहने के फेर में मैं इस बात को अनदेखा कर देता कि बगल की सीट पर बैठा सहकर्मी किसी $जरूरी काम में जुटा हुआ है। उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैंने बिना देखे बोलना शुरू कर दिया। मुझे यह पता नहीं था कि बॉस जल्दी आकर बैठे हुए हैं। उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा कि मैंने तुम्हें कई बार अधिक बात न करने की हिदायत दी थी, पर तुमने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया। तुम्हारी इस आदत से कई सहकर्मी परेशान हैं। उनमें से कुछ लोगों ने तुम्हारे खिला$फ शि$कायत भी द$र्ज की है। मैं यह सुनकर सन्न रह गया। सर, मैं आपके सामने यह बोल तो नहीं पाऊंगा, इसलिए लिखकर कन्फेस कर रहा हूं कि आगे से ऐसी गलती नहीं करूंगा।
- राहुल