Move to Jagran APP

आजादी के मायने

आज के युवा आज़ादी का मतलब बख़्ाूबी जानते हैं। वे न सि$र्फ अधिकारों की बात करते हैं, बल्कि अपने कर्तव्यों के प्रति भी बेहद सचेत हैं। ज़रूरत पडऩे पर अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति प्रेम दर्शाते हैं। देसी बोली और पहनावे को भी वे तवज्जो देते हैं। स्मिता की

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 02:55 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 02:59 PM (IST)
आजादी के मायने

आज के युवा आज़ादी का मतलब बख़्ाूबी जानते हैं। वे न सि$र्फ अधिकारों की बात करते हैं, बल्कि अपने कर्तव्यों के प्रति भी बेहद सचेत हैं। ज़रूरत पडऩे पर अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति प्रेम दर्शाते हैं। देसी बोली और पहनावे को भी वे तवज्जो देते हैं।

loksabha election banner

स्मिता की ख़्ाास रिपोर्ट।

आज़ादी का मतलब है ख़्ाुद मुख्तार होना। इसका स्वाद चखे तो हमें 68 साल हो गए। अब हम न सि$र्फ अधिकारों की बात करें, बल्कि देश के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए भी तैयार रहें।Ó कहते हैं स्कल्पचरिस्ट तुषार चतुर्वेदी। यह कथन न सिर्फ तुषार का है, बल्कि देश के ज्य़ादातर युवाओं का है। आज की यंग जनरेशन अपने तरी$के से जीती है। वह न सि$र्फ कड़ी मेहनत कर सालाना लाखों रुपये का सैलरी पैकेज पाती है और ऐशो-आराम के सभी साधनों का प्रयोग करती है, बल्कि उसके सीने में देशप्रेम का जज़्बा भी है। उसे अपने देश की सभ्यता और संस्कृति से ज़बर्दस्त लगाव है। आज के युवा चाहते हैं कि उनका देश न सि$र्फ विकास के पथ पर अग्रसर हो, बल्कि सा$फ-स$फाई से युक्त और भ्रष्टïाचार मुक्त भी हो। इसके लिए वे सिस्टम के प्रति अपना विरोध जताने से भी पीछे नहीं हटते है।

देश-समाज के प्रति गंभीर

बढिय़ा सैलरी पैकेज पर काम कर रहे सुमित विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं। ब्रैंडेड कपड़े, परफ्यूम, विदेशी गाडिय़ों का इस्तेमाल ही उनकी पहचान है। लेकिन जब बात आती है देश के सिस्टम की, तो उनका नज़रिया का$फी मुखर होता है। स्वच्छता अभियान के तहत यदि किसी गली-मोहल्ले या नदी की स$फाई की बात चलती है, तो वे $कतार में सबसे आगे होते हैं। वे कहते हैं कि बढिय़ा जीवन जीने का मतलब यह नहीं है कि आप अपने देश के प्रति निभाए जाने वाले कर्तव्यों के प्रति उदासीन रहें। समाज शास्त्री सुरेश कुमार कहते हैं कि युवाओं का यह नज़रिया देश और समाज दोनों के लिए बढिय़ा है। पहले की अपेक्षा आज के युवा देश और समाज के प्रति ज्य़ादा गंभीर हैं। दरअसल, जिन युवाओं को काम के सिलसिले में विदेश (अमेरिका, यूरोपियन देश) जाने का अवसर मिलता है, तो उन्हें वहां के युवाओं की अपने देश के प्रति संवेदनशीलता का दीदार होता है। इससे वे प्रभावित होते हैं। युवा अपने अनुभवों को सोशल साइट्स पर शेयर कर अपने दोस्तों को भी प्रेरित करते हैं।

विरोध जताने का माद्दा

अदिति एक न्यूज़ चैनल में काम करती हैं। शुरुआत से ही जब कभी उन्हें सिस्टम का साथ नहीं मिला, तो उन्होंने पूरे दमखम के साथ अपना विरोध दर्ज किया। वे कहती हैं कि यदि आप सब कुछ चुपचाप सह लेते हैं, तो सामने वाले का हौसला बढ़ जाता है। उसे यह बात कभी समझ में नहीं आती है कि उसने $गलती की है। वह आगे भी $गलतियों को दोहराएगा। आर्टिस्ट (ट्राइबल आर्ट) सुमन संथालिया कहती हैं कि मुझे याद है कि जब मैंने अपने काम की शुरुआत की, तो कभी-भी मुझे सिस्टम का साथ नहीं मिला। उलटे सरकार मेरे काम में खामियां गिनाती। फिर भी मैंने सिस्टम के ख़्िाला$फ जाना उचित नहीं समझा। इसके उलट आज की यंग जनरेशन विरोध प्रकट करने का माद्दा रखती है। उनमें सिस्टम को लेकर अवेयरनेस है। यह उनकी जीवटता का प्रतीक है। उनसे प्रेरणा लेकर सिस्टम और सरकार को भी बदलना चाहिए।

सभ्यता-संस्कृति से प्रेम

मेरठ की तनुश्री दिल्ली में जॉब करने के बाद वेलेंटाइन डे, मदर्स डे और फादर्स डे सेलब्रेट करने लगीं। न सिर्फ ज़ुबान से, बल्कि पहनावे और विचारों से भी वे वेस्टर्न ट्रेंड को फॉलो करने लगीं। कुछ ही महीने पहले तनुश्री ने जब शादी की, तो शादी के वक़्त उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वे आधुनिक विचारों और पहनावों वाली हैं। उन्होंने भारतीय पहनावे में पूरे विधि-विधान के साथ शादी की। वे अपने शहर के लोगों से देसी भाषा में ही बात करती हैं। शिक्षाविद् विभा सिंह कहती हैं कि आज के युवाओं का नज़रिया सा$फ है। करियर की डगर सेफ करने के लिए भले ही शुरुआत में वे पश्चिमी रहन-सहन और भाषा को फॉलो करें, लेकिन जैसे ही उनका लाइफ स्टेटस स्टेबल होता है, वे अपनी सभ्यता-संस्कृति को भी संजोने और सहेजने लगते हैं। ज़रूरत पडऩे पर वे अपने पहनावे और भाषा के प्रति भी प्रेम प्रदर्शित करते हैं।

अपने काम से करें प्रेरित

आस-पास सा$फ-स$फाई पर ध्यान देने की आदत मुझमें बचपन से ही थी। मैं अपने दोस्तों के साथ पार्क में खेलने जाता था। वहां लोग कूड़ा फेंक देते थे। मैं और मेरे दोस्त उन्हें रोकने-टोकने की बजाय चुपचाप गड्ढा खोदकर कूड़े को डंप कर देते। एक समय ऐसा आया जब उन लोगों को अपने ऊपर शर्म आ गई। बाद में वे भी हमारे साथ पार्क की सा$फ-स$फाई के साथ ही पौधे भी लगाने लगे। आज वे पौधे पेड़ बन गए हैं, जिससे पार्क में हरियाली छाई रहती है। मेरा मानना है कि यदि आप लोगों को देश के कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना चाहते हैं, तो उनके सामने खुद उदाहरण बनें। मैं अपील करना चाहता हूं कि आज़ादी का एक मतलब अपने साथ-साथ दूसरों को अच्छे

कार्यों के लिए प्रेरित करना भी है। देश के कई कतव्र्यों में से एक उसे स्वच्छ कर सुंदर बनाना भी है।

कपिल

वीर जवानों को करें याद

मेरा बैकग्राउंड आर्मी का है। दादाजी, पिताजी और भाई के अलावा पति भी इंडियन आर्मी में हैं। इसलिए देश व समाज के प्रति कर्तव्यों की बात मैंने बचपन से ही सुनी थी। अपने देश के प्रति प्रेम दिखाने के लिए मैंने अब तक 21 परमवीर चक्र से सम्मानित वीर सैनिकों पर आधारित 'शूरवीरÓ किताब लिखी है। मैं मानती हूं कि सि$र्फ बयान देने से ही हमारे कर्तव्यों का पालन नहीं हो जाता है। आज़ादी का आनंद उठाने के लिए हमें छोटे नियम-$कायदों का भी अनुकरण करना चाहिए। क्यू में अनुशासित रूप से खड़े होने, बुज़ुर्गों की मदद करने, नागरिक कर्तव्यों का पालन करने से भी देश को तरक्की की राह पर लाया जा सकता है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं युवाओं से यह गुज़ारिश करती हूं कि कुछ भी $गलत करने से पहले अपने उन वीर जवानों को याद कर लें, जिन्होंने देश की

सुरक्षा के लिए लड़ते-लड़ते अपनी जान गंवा दी।

रचना बिष्टï रावत, लेखक

न टूटे हौसला कभी

बचपन से मेरी रनिंग कैपेसिटी बेहद अच्छी थी। मैं बेहतर ट्रेनिंग लेना चाहती थी, पर सरकार की तरफ से कभी कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। फिर भी मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी। अपनी हिम्मत की बदौलत ही मैं न सिर्फ स्टेट लेवल, बल्कि नेशनल लेवल पर भी खेल पाई। मेरा मानना है कि सिस्टम का विरोध तो ज़रूर करना चाहिए। लेकिन लक्ष्य पर नज़र रखने के लिए तंत्र की तरफ ताकने से ध्यान बंटता है।

बिगन सॉय, हॉकी प्लेयर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.