ऑल टाइम फेवरिट यंग जेन
गर्मी का मौसम है, पर दिमाग को खुराक तो चाहिए न! यह खुराक मिलती है ऑफ टाइम में कुछ साहित्य पढ़ने से। भारी-भरकम नॉवेल में दिमाग खपाना भी तो कठिन है। यही वजह है कि इन दिनों यंग जेन के बीच चिकलिट्स यानी हलका-फुलका साहित्य पॉपुलर है। हालांकि इन्हें लड़कियों का रुमानी साहित्य भी कहा जाता है, पर इसके रीड
गर्मी का मौसम है, पर दिमाग को खुराक तो चाहिए न! यह खुराक मिलती है ऑफ टाइम में कुछ साहित्य पढ़ने से। भारी-भरकम नॉवेल में दिमाग खपाना भी तो कठिन है। यही वजह है कि इन दिनों यंग जेन के बीच चिकलिट्स यानी हलका-फुलका साहित्य पॉपुलर है। हालांकि इन्हें लड़कियों का रुमानी साहित्य भी कहा जाता है, पर इसके रीडर इसे मिल्स ऐंड बून नॉवेल का देसी रूप बताते हैं। स्मिता की एक रिपोर्ट।
इवा न्यूकमर इंटीरियर डेकोरेटर है। क्लाइंट्स से ऑडर लेने या फिर काम संबंधी जरूरी बातों पर डिस्कस करने के लिए उसे मेट्रो या बस में सफर करना पड़ता है। जैसे ही उसे बैठने के लिए सीट मिलती है, वह बैग से कोई एक नॉवेल निकालकर पढ़ने लगती है। पूछने पर इवा बताती हैं कि मैं कहीं भी ट्रैवल करते समय बैग में चिकलिट नॉवेल रखती हूं। जब भी मुझे मेट्रो या बस में सफर के दौरान वक्त काटना होता है, मैं इन्हें निकालकर पढ़ने लगती हूं। दरअसल, चिकलिट नॉवेल रूमानी साहित्य है। इस हलके-फुलके नॉवेल को पढ़ने में बहुत अधिक दिमाग खर्च नहीं करना पड़ता है। आम जीवन की कहानियां होने के कारण पाठक इससे जुड़ा हुआ महसूस करता है। इवा की तरह रोहित भी रात में सोने से पहले चिकलिटस पढ़ते हैं। वे मानते हैं कि जब ऑफिस में वर्क प्रेशर की वजह से व्यक्ति स्ट्रेस में रहता है तो फिर गंभीर नॉवेल पढ़कर ख़्ाली समय को क्यों बोझिल बनाया जाए? हालांकि रोहित पर दोस्त-यार लड़कियों का नॉवेल पढ़ने की तोहमत लगाते हैं, पर वे इन्हें मिल्स ऐंड बून का देसीकरण मानते हैं।
इवा और रोहित की तरह ऐसे कई युवा हैं, जो इन दिनों खाली समय में चिकलिट्स पढ़ना पसंद करते हैं।
भारत में जबर्दस्त हिट
फिल्ममेकर और राइटर राजाश्री की 'ट्रस्ट मी' नॉवेल रीडर्स के बीच इतनी पॉपुलर हुई कि पब्लिश होने के कुछ महीनों बाद ही इसकी ऑनलाइन और ऑफलाइन लगभग 25 सौ कॉपियां बिक गई। छह-सात साल पहले प्रकाशित होने के बावजूद यह आज भी पाठकों के बीच खूब लोकप्रिय है। दरअसल, यह एक भारतीय चिकलिट नॉवेल है। चिकलिट चिक (युवती) और लिट (लिट्रेचर) से बना है, यानी ऐसा साहित्य जो सिर्फ युवतियों को ध्यान में रखकर लिखा जाता है, पर यह युवकों के बीच भी खूब पॉपुलर है। तभी तो लेखक और गीतकार गुलजार भी कहते हैं कि वीकेंएड सेलिब्रेट करने का बेहतरीन आइडिया है चिकलिट नॉवेल पढ़ना। भारत में पिछले दस सालों में इसकी रीडर्स की संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। विदेश में यह पिछले पांच दशकों से पढ़ा जा रहा है। भारतीय चिकलिट के साथ एक अच्छी बात यह है कि विदेशी चिकलिट की तरह इसमें उत्तेजना को तरजीह नहीं दी जाती है। इनकी कहानियां रोमानी होने के बावजूद यथार्थ के काफी करीब होती हैं।
ताजगी की खुराक
अनुजा चौहान के 'द जोया फैक्टर' की कहानी एक राजपूत लड़की जोया सिंह सोलंकी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भारतीय क्रिकेट की लकी चार्म बन जाती है। इस कहानी से अभिनेता शाहरूख खान इतने प्रभावित हुए कि इसकी कहानी पर फिल्म बनाने की उन्होंने योजना भी बना ली।
अद्वैता कला की 'ऑलमोस्ट सिंगल' की कहानी पर फिल्म बनी और जबर्दस्त हिट साबित हुई। दरअसल, चिकलिट की कहानियां आम युवाओं खासकर लड़कियों की चाहतों, उनकी परेशानियों और उसका सामना करने के तरीकों पर आधारित होती हैं। रुमानी साहित्य को पसंद करने वाली रुचिका सेन कहती हैं कि अगर आपको किसी बात को लेकर तनाव है, तो इसकी कहानी आपको ताजगी की खुराक देंगी।' गुड़गांव में एक फूड चेन चलाने वाले रोहित मानते हैं कि पुरुष अपनी पार्टनर या गर्लफ्रेंड का हाले दिल जानने के लिए
चिकलिट जरूर पढ़ें
मुरीद हैं मेल राइटर्स और रीडर्स
चंचलदीप सिंह संधू ने लिखा 'आई नेवर थॉट आई कुड फॉल इन लव ', जो पुरुषों के बीच ख़्ाूब पॉपुलर हुई। भारत में यह मान्यता थी कि चिकलिट्स सिर्फ फीमेल ही लिख सकती हैं, पर इधर कुछ वर्षो में मेल राइटर्स खूब लिख रहे हैं चिकलिट्स। अजय खुल्लर की 'नथिंग मैन यंगस्टर्स' के बीच खूब पॉपुलर हुई। इसके अलावा, रविंदर सिंह, जिन्होंने लिखा-आइ टु हैड ए लव स्टोरी, कैन लव हैपेन ट्वाइस। समीक्षक रोमांस फिक्शन की कैटगरी में शामिल इन किताबों को पुरुषों का चिकलिट कहते हैं। डीयू स्टूडेंट अनुज मानते हैं कि अपने प्यार को पाने की चाह रखने वाला कोई भी व्यक्ति चिकलिट को पसंद कर सकता है।
अपनी कहानी का अक्स
गम में डूबे हुए रविंदर कई साल बाद खुशबू चौहान से शादी करते हैं। अपने जीवन की सच्ची गाथा वे अपने नॉवेल 'आई टु हैड ए लव स्टोरी' में पिरोते हैं। रविंदर के किताब की रिव्यू इंफोसिस के चेयरमैन एन आर नारायणमूर्ति ने की। वे लिखते हैं कि यह सिंपल, हार्ट टचिंग स्टोरी किसी भी आम इंसान की हो सकती है। ऐसे नॉवेल उन युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, जो जीवन संवारने, करियर बनाने और सच्चा प्यार पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। इनकी कहानियों में वे अपना अक्स देखते हैं।
अलग है माइंडसेट
नटराज पब्लिकेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर दिव्या अरोड़ा कहती हैं, 'चिकलिट को मिल्स ऐंड बूंस का देसीकरण माना जा सकता है। दरअसल, इसे शहरों के कॉलेज गोअर्स को ध्यान में रखकर लिखा जाता है। युवाओं की ऐसी जमात, जो टाइम पास करने के लिए कुछ रुमानी साहित्य पढ़ना चाहती है। वे अपनी बात एसएमएस और शॉर्ट टेक्स्ट के जरिए दोस्तों तक पहुंचाते हैं। इसलिए उनके लिए भाषा कोई मायने नहीं रखती है। उनके इस माइंडसेट और लैंग्वेज कन्वर्सेशन को यंग राइटर्स ने जाना-समझा और वैसा ही लिखकर उनके सामने पेश किया। आज से 6-7 साल पहले सृष्टि पब्लिकेशन ने भारत में चिकलिट की शुरुआत की थी। इनकी कहानियों में ग्रामर की गलतियां भी हो सकती हैं, लेकिन पाठकों के बीच खूब लोकप्रिय हैं। कीमत काफी कम होने के कारण इनकी बिक्री अधिक होती है।