ड्राइविंग का ट्रेनिंग स्कूल
प्रेज़ेंट टाइम में दुनिया में सबसे ज़्यादा मौतें सड़क दुर्घटना के कारण हो रही हैं।ऐसे में अगर ड्राइवर कुशल हों और यातायात के नियमों का पालन करे लोग रोज़ सुरक्षित अपने घर पहुंच सकें
सुरक्षित ड्राइविंग को बढ़ावा देने के लिए आज के समय में कई कार निर्माता कंपनियों ने एक सराहनीय प्रयास किया है। ये कंपनियां अपने ड्राइविंग स्कूल चला रही हैं जिनके माध्यम से लोग ड्राइविंग के उचित तरीके सीख पा रहे हैं। जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जिनसे आप बिना टेंशन लिए परफेक्ट ड्राइवर बन सकते हैं।
स्कूल क्यों है ज़रूरी
ड्राइविंग स्कूल्स सड़क पर ड्राइविंग सिखाने से पहले प्रशिक्षुओं को एडवांस ड्राइविंग ट्रेनिंग सिमुलेटर से रूबरू करवाते हैं। इसके तहत प्रशिक्षु सड़क पर गाड़ी के संतुलन, दूसरी गाड़ी से दूरी, मोड़ों पर गति सीमा, ओवरटेकिंग के दौरान आत्मविश्वास, ब्रेक लगाना आदि ज़रूरी चीज़ों को सिमुलेटर पर ही सीख लेते हैं। इसके बाद जब वे सड़क पर जाते हैं तो उन्हें ड्राइविंग की बेसिक ज़रूरतें पता होती हैं।
सिमुलेटर क्या है
सिमुलेटर वीडियो गेम की तरह होता है। इसमें एक केबिन, स्टीयरिंग एवं थ्रीडी स्क्रीन पर दिखने वाली सड़कें होती हैं। इसके ज़रिये एक सुरक्षित केबिन में बैठकर ट्रेनी ड्राइविंग की कठिन परिस्थितियों को समझते हुए ड्राइविंग की स्किल हासिल करता है। ऐसी परिस्थितियों की संरचना के लिए सिमुलेटर में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रशिक्षु के पास ड्राइविंग वातावरण जैसे कि शहरी सड़क या हाईवे आदि चुनने का विकल्प होता है। आजकल यह तरीका ड्राइविंग के हर ट्रेनिंग स्कूल में अपनाया जा रहा है।
बारीक जानकारी
ड्राइविंग कार्यक्रम के तहत कार कंपनियों द्वारा संचालित ड्राइविंग स्कूलों में ड्राइविंग स्किल, खतरे का बोध, यातायात सुरक्षा, आपातकालीन हैंडलिंग परिस्थिति, ईंधन बचाने के तरीके, वाहन का बुनियादी रखरखाव, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा प्रबंधन और ड्राइविंग के दौरान निर्णय लेने की कला का प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग स्कूल्स ट्रेनीज़ को वीडियो ट्रेनिंग भी देते हैं। इसके ज़रिये ड्राइविंग स्कूल अपने प्रशिक्षुओं को वीडियो फुटेज दिखाकर ड्राइविंग नियमों, सुरक्षित ड्राइविंग का अभ्यास और क्या करें एवं क्या न करें आदि की ट्रेनिंग भी देते हैं।
ट्रेनिंग व्हीकल
ड्राइविंग स्कूल ऐसी कारों का प्रयोग करते हैं जिनमें ट्रेनी और ट्रेनर दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दोहरे क्लच लगाए गए होते हैं। प्रशिक्षु अपनी इच्छा के अनुसार कार को प्रशिक्षण के लिए सेलेक्ट कर सकता है। ट्रेनिंग के लिए अपनी कार के बजाय स्कूल की कार का इस्तेमाल ही करना चाहिए।
कठिन रास्ते
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु को हरसंभव कठिन रास्तों पर ले जाया जाता है जिससे सीखने वाले की ड्राइविंग योग्यता निखर कर सामने आए। इसमें योजनाबद्घ तरीके से संकरी जगह, कठिन मोड़, रिवर्स पार्किंग, भारी यातायात व हाईवे आदि को शामिल किया जाता है।
प्रशिक्षण सर्टिफिकेट
प्रशिक्षु की ड्राइविंग स्किल्स को सुनिश्चित करने के लिए ड्राइविंग स्कूल उसकी प्रगति के आधार पर एक रिपोर्ट बनाते हैं। यह रिपोर्ट कार्ड हर प्रशिक्षण के बाद भरा जाता है। ड्राइविंग सीखने के बाद ड्राइवर को एक परिपक्व ड्राइवर की योग्यता मिल जाती है।
अमित द्विवेदी