और शौक चढ़े हैं परवान...
हायर स्टडीज और अपना पसंदीदा काम कर लेने के दो पल। ये दो किनारे लगते हैं नदी के, लेकिन आज के यूथ ने इसे संभव कर दिखाया है।
रामजस कॉलेज की रिद्धी नेगी नाटकों को अपना दिल दे बैठी हैं। कॉलेज में आने के बाद से का$फी एक्टिव हो गईं हैं। यहां तक कि हिमाचल में रह रहीं अमा आधे के बायोपिक किरदार को समझने के लिए रिद्धी ने धर्मशाला की विजिट की। वेस्टर्न सिंगिंग के तरीकों को फॉलो करने और गले से मुश्किल आवाज निकालने के फेर में आयुष को डॉक्टर के पास भी जाना पड़ा है लेकिन जोश में कोई $फर्क नहीं। एकलव्य रात भर बैठ कर गिटार बजाते हैं। मेहनत से इन्हें परहेज नहीं। विदेशों में प्रयोग होने वाली टेक्नीक्स समझने में उन्हें कोई मुश्किल नहीं। सौरभ ने इंजीनियरिंग कॉलेज में रहते-रहते ही एक डिटेक्टिव अपन्यास लिख डालाा। जोश से भरा यह यूथ वेस्टर्न म्यूजिक से लेकर फैशन ब्लॉग, टेक रिव्यू और हिंदी, इंगलिश बुक राइटिंग तक अपने हाथ आजमा रहा है।
शॉर्ट फिल्म तक कर डाली
'मैंने जब इंगलिश ऑनर्स में एडमिशन लिया तो एक बजे तक क्लासेज होती थीं। उसके बाद हम फ्री रहते थे। स्पोट्र्स एक्टिविटीज में तो मैं स्कूल में भी बिजी रहती थी लेकिन साइंस सबजेक्ट होने के कारण थिएटर का शौक पूरा करने का टाइम नहीं मिल पाता था। कॉलेज में आने के बाद टाइम मिला और अवसर भी। कॉलेज की थिएटर सोसायटी जॉइन की। हम ढाई बजे से प्रैक्टिस शुरू करते तो कभी-कभी रात के आठ भी बज जाते। लेकिन मैं यह सब बहुत एंजॉय करती हूं।Ó इंगलिश ऑनर्स कर रहीं रिद्धी नेगी को टाइम मिला तो उन्होंने अपने इंट्रेस्ट की ओर कदम बढ़ाए। बास्केटबॉल तो स्कूल के जमाने से ही खेलती रही हैं लेकिन अब वे नाटकों से लेकर डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्मों और टीवी कमर्शियल्स तक का स$फर तय कर चुकी हैं। उन्हें लगता है कि राइट डायरेक्शन में हैं वे।
बॉडी बिल्डिंग विद स्टडीज
पढ़ो, पढ़ो, पढ़ो के शब्द सुनते-सुनते उकता गए मनजोत का सेलेक्शन इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया और वे हॉस्टल में रहने लगे। स्लिम और अच्छी बॉडी वाले लड़के उन्हें हमेशा से ही अट्रैक्ट करते थे। बारहवीं की पढ़ाई तक तो उन पर दबाव इतना था कि घरवालों ने उन्हें जिम जाने की इजाजत ही नहीं दी। हॉस्टल में शिफ्ट होने के बाद अपने थुलथुल शरीर को स्मार्ट बॉडी में बदल लेने के लिए वे फ्री थे। मनजोत के हॉस्टल में ही जिम था। रेगुलर एक्सरसाइज और संतुलित डाइट ने उन्हें जो लुक दिया उसे देखकर हर कोई हैरान था। अब मनजोत ख़्ाुश हैं, टाइम मैनेजमेंट के जरिये वे पढ़ाई और बॉडी बिल्डिंग, दोनों के लिए ही टाइम निकाल लेते हैं।
पैशन गिटार का
'उस समय तो मैं इतने प्रेशर में था कि कुछ समझ हीं नहीं आता था। कोचिंग्स और स्टडी में ही उलझा रहता। म्यूजिक और किताबें पढऩे के अपने शौक के बारे में तो सोच भी नहीं पाता था। अब सीएस कर रहा हूं। कॉलेज आने पर मैं अपना गिटार भी साथ ले आया। हम रात को प्रैक्टिस करते हैं। अब तो हमारा एक बैंड भी बन गया है। ग्रुप में हम सभी संगीत के ख़्ाासे शौकीन हैं। पढ़ाई के समय पढ़ाई भी कर लेते हैं लेकिन शौक के लिए टाइम निकाल पाना बेहद ख़्ाुशी देता है।Ó एकलव्य को पैशन है गिटार बजाने का। अब वे बैंड के साथ परफॉर्म भी करते हैं।
राइटिंग की कोई उम्र नहीं
सौरभ माथुर जब कॉलेज से निकले तो उनका जासूसी उपन्यास 'द सिक्रेटिव सिक्सÓ उनके हाथ में छप कर तैयार था। कॉलेज के दिनों में किताब लिख लेने वाले युवा राइटर्स की तादाद दिनों-दिन तेजी से बढ़ रही है। जैसे ही इन्हें सही आसमान मिलता है, पंख अपने आप खुलने लगते हैं। ब्लॉगिंग के शौक को परवान चढ़ाया शिवम ने और प्रश्नोत्तर की विभिन्न वेबसाइट्स पर एक्टिव रहने और लगातार पढ़ते रहने के शौक ने अक्षत को ग्लोबल लेवल पर हर फील्ड के दोस्त दिए हैं जो उनसे इंटरैक्ट करते रहते हैं।
ब्लॉग और रैप म्यूजिक
कॉलेज में आने के पहले से ही मुझे रैप म्यूजिक का शौक था। यहां आने के बाद सभी ने कहा कि तुम अच्छा गाते हो। अब तो मैं गाने लिख भी लेता हूं। घर पर रिकॉर्डिंग इंस्ट्रूमेंट है जिससे अपने गाने रिकॉर्ड करता हूं। फैशन में इंट्रेस्ट है इसलिए फैशन ब्लॉग भी बनाया है। टाइम मैनेजमेंट कर हम पिक्चर्स लेते हैं और अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं।
-कार्तिकेय शर्मा, बीटेक, कंप्यूटर साइंस
इंडिपेंडेंट हो गई हूं
फस्र्ट ईयर में ही मैंने स्टेज प्ले और स्ट्रीट प्ले किए। लीड रोल में रही। सेकंड ईयर में मैंने एक नाटक 'अलगावÓ में अमा आधे का किरदार निभाया तो उनसे मिलने धर्मशाला गई। 'अमा आधेÓ 27 साल तक चीन की कैद में रहीं। मैं उनसे मिली और उनके अनुभवों को सुन कर उनके और तिब्बतियों के कष्टों को समझा। अब तक मुझे थिएटर, शॉर्ट फिल्म्स और टीवी कमर्शियल्स के कई मौके मिल चुके हैं। लेकिन यह सब शौक ही ह,ै मेनस्ट्रीम करियर नहीं, परंतु इससे मुझे इकोनॉमिक इंडिपेंडेंस भी मिली है। अब मुझे पैरेंट्स से पैसे नहीं लेने पड़ते। बास्केटबॉल भी लगातार खेलती हूं। मैं बहुत ख़्ाुश और सैटिस्फाइड रहती हूं। मेरी पर्सेंटेज पर भी कोई असर नहीं हुआ है। इंगलिश ऑनर्स में सेवंटी पर्सेंट आए हैं। इससे मम्मी-पापा भी ख़्ाुश हैं। हम यू ट्यूब से ही सीखते हैं। हमारी स्क्रिप्ट ऑनलाइन होती है। हम शॉर्ट फिल्म बनाकर उन्हें प्रमोट भी करते हैं।
-रिद्धी नेगी,
इंगलिश ऑनर्स, फाइनल ईयर
तूंबी बजाना अच्छा लगता है
मैं रेगुलर जिम जाता हूं। मुझे गाने का शौक है और पियानो और हारमोनियम भी बजा लेता हूं। पंजाबी फोक इंस्ट्रूमेंट तूंबी बजाना भी मुझे अच्छा लगता है। ख़्ाुश हूं कि इंजीनियरिंग करने के साथ ही अपने शौक भी पूरे कर पा रहा हूं।
-हरनूर सिंह, सीएस स्टूडेंट
यशा माथुर