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रोशनी हो दिलों में

इनकी सोच में क्रांति है। आंखों में सपने हैं। कुछ अलग कर गुज़रने की चाहत है। यही चाहत फेस्टिवल के अलग मायने गढ़ती है इनके लिए। नए कपड़े पहनना, पटाखे चलाना और मिठाई या गिफ्ट बांटना मात्र नहीं है इनके लिए फेस्टिवल, बल्कि लोगों के दिलों में रोशनी फैलाने को

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2015 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2015 12:34 PM (IST)

इनकी सोच में क्रांति है। आंखों में सपने हैं। कुछ अलग कर गुज़रने की चाहत है। यही चाहत फेस्टिवल के अलग मायने गढ़ती है इनके लिए। नए कपड़े पहनना, पटाखे चलाना और मिठाई या गिफ्ट बांटना मात्र नहीं है इनके लिए फेस्टिवल, बल्कि लोगों के दिलों में रोशनी फैलाने को मानते हैं ये त्योहार। अपने मिशन की कामयाबी के लिए चुनौतियों का सामना करने को तैयार युवा प्रतिबद्ध हैं अपने अंतस में छुपी क्रान्ति की चिंगांरियों को दहकाने के लिए, चारों ओर उजाला फैलाने के लिए

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अंकित फाडिया साइबर क्राइम के एक्सपर्ट हैं, वे किताबें लिख रहे हैं, वर्कशॉप्स कर रहे हैं। इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल के इस्तेमाल में छुपे जोखिम से बचाने के लिए लोगों को हैकिंग के प्रति जागरूक कर रहे हैं। माणिक थापर ने कचरा हटाने को अपना व्यवसाय बना लिया है। वे कचरे से खाद बनाते हैं और पर्यावरण का ध्यान रखते हुए वेस्ट मैनेजमेंट करते हैं। अंतरिक्ष यात्री बनने के ख़्वाब संजोने वाले रिकिन गांधी भारतीय किसानों की जि़ंदगी बेहतर करने की कोशिश में लगे हैं। डिजिटल इनोवेशन से खेती की टेक्नोलॉजी को और बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब वे युवा हैं जो अपने क्रांतिकारी विचारों से रोशनी फैला कर अपने तरी$के से फेस्टिवल सेलब्रेट कर रहे हैं।

हुक लाइन से परहेजगीत-संगीत के बिना सूना है हर फेस्टिवल। हर घर में संगीत गूंजता है त्योहार पर लेकिन पॉप सिंगर जसलीन रॉयल को लोगों के हुक लाइन ढूंढने पर आपत्ति है। उन्हें लगता है कि फेस्टिवल के समय जब लोग ख़्ाुशनुमा महसूस करें तो संगीत को टाइम दें। लिरिक्स को संयम के साथ सुनें। एक पॉप आर्टिस्ट के तौर पर बदलाव की उम्मीद रखने वाली जसलीन कहती हैं, 'पॉप सिंगिंग में लोग हुक लाइन ढूंढते हैं। कोई लाइन उन्हें किक कर गई तो वे उसे ही हिट बना देते हैं जबकि एक आर्टिस्ट अपने गाने में एक्सप्रेशन डालता है, अपने इमोशंस और अपनी पूरी जर्नी डालता है। गाने में पोइट्री होती है, आर्टिस्ट का स्टेट ऑफ माइंड होता है। मैं तो चाहूंगी कि लोग फेस्टिवल में गानों को पूरा सुनें। उसे टाइम दें और जानें कि आर्टिस्ट क्या कहना चाह रहा है।Ó जसलीन घर के सपोर्टिंग स्टाफ के साथ समय बिताना चाहती हैं, उन्हें ख़्ाुश करना चाहती हैं। कहती हैं, 'फेस्टिवल है, जो आपके दिल को ख़्ाुशी दे, वही करें।Ó

ह$क मिले पिछड़े कामगारों को

'मैं ग्रामीण कलाकारों के जीवन में ख़्ाुशियां भरने के लिए फेस्टिवल को अहम मानती हूं। ये दिन मुझे एनर्जी देते हैं और पिछड़े कलाकारों के जीवन में सुधार का अवसर भी। मैं उड़ीसा की कला पत्ताचित्र चित्रकारी के कलाकारों पर फोकस करती रही हूं। अपने यंग वॉलंटियर्स के साथ उनका सामान बनवाने और टारगेट पूरा करने में मदद करती रही हूं। इनकी कला जब-जब प्रदर्शित हुई तब-तब फेस्टिवल इनके जीवन में ख़्ाुशियां लेकर आया।Ó युवा उद्यमी मेधावी गांधी ग्रामीण कलाकारों को अपना काम करने का प्रशिक्षण देती हैं और उनकी कला को सही दाम मिले इसके लिए सही प्लेटफॉर्म भी ढूंढती हैं। पिछड़े कामगारों को उनका ह$क दिलाना उनके लिए फेस्टिवल है।

लाइट इन रेड लाइट एरिया

'सोशल फील्ड में यूथ की बढ़ती भागीदारी भी तो फेस्टिवल की तरह ही है। चाइनीज़ बल्ब जलाने से ज्य़ादा ज़रूरी मार्जिनल कम्युनिटी के साथ चार दिए जलाना है। मेरे जैसा बंदा तो रेड लाइट एरिया में जाकर फेस्टिवल मनाता है। हजारों की फिज़ूलख़्ार्ची के बजाय एक मिठाई का डिब्बा और पांच दीए लेकर अगर मैं सेक्सवर्कर्स के पास जाऊं और उनके बच्चों के साथ फुलझड़ी छोड़ूं तो इससे अच्छा मेरे लिए और क्या हो सकता है।Ó अमित कुमार ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्सवर्कर्स से जुड़े हैं। सेक्सवर्कर्स को अधिकार और डिग्निटी दिलाने के लिए वे इस फील्ड में आए हैं। इन पिछड़ी महिलाओं के कल्याण की ज़रूरत पर बल देते हैं अमित और इनके बच्चों की शिक्षा को ज़रूरी मानते हैं। उनके लिए फेस्टिवल के मायने समाज के प्रति अपनी ड्यूटीज़ निभाने से है।

चिंता समाज की

युवा स्कल्पचरिष्टï कपिल कपूर दूसरों की जि़ंदगी से अंधेरा दूर कर फेस्टिवल मनाने के ह$क में हैं। किसी बच्चे की पढ़ाई का ख़्ार्च या किसी एड्स या कैंसर के रोगी की दवाइयों का भार उठा कर या किसी ज़रूरतमंद की मदद कर त्योहार मनाते हैं वे। कपिल की तरह ही रूटीन लाइफ से कुछ अलग सोशल कॉज़ के लिए काम करने की इच्छा कम नहीं है युवाओं में। यही इच्छा ही तो एक उम्मीद जगाती है।

कर्म है बिलीव मेरा

चाहे कोई मुझे $गलत ही कहे लेकिन मेरे लिए फेस्टिवल का मतलब ख़्ाुद की स$फाई से है। फेस्टिवल के दिनों में मैं अंदर की जितनी भी नेगेटिविटी है उसे पॉजि़टिविटी से रिप्लेस करता हूं। बाकी दिनों में हमसे जो $गलतियां होती हैं, जो गिल्ट हमारे मन में रहता है उसे सा$फ करना ज़रूरी है। मैं कर्म में बिलीव करता हूं। एक ऐक्टर के लिए यह जरूरी भी है। दीपावली के दिन मेरा जन्मदिन होता है। इसके 54 दिन पहले मैं अपनी क्लींजि़ंग शुरू कर देता हूं। मैं बाहरी स$फाई भी चाहता हूं। प्रधानमंत्री के स$फाई अभियान का पूरी तरह से समर्थन करता हूं। अपने घर-बाहर की स$फाई से हम शुरुआत कर सकते हैं। किसी की सेवा करके फेस्टिवल सेलबे्रट कर सकते हैं।

बेस्ट देना होगा

युवा कुछ नया करने की सोचते हैं तो उन्हें ज़रूर सफलता मिलती है। हम किसी परिवर्तन की बात करते हैं तो हमें अपना बेस्ट देना होगा। कोई भी क्षेत्र हो, कैसा भी काम हो, नए विचारों की हर जगह दरकार है। युवाओं को तो ईश्वर ने सबसे बड़ी नेमत दी है कि वे सीमाओं की परवाह नहीं करते हैं।विज़न हो क्लियर

युवाओं का छोटा सा योगदान भी बड़ा बदलाव ला सकता है। बदलाव की पहल हमें ही करनी है। कहीं न कहीं से तो शुरुआत होती है। विज़न क्लियर होगा तो चीज़ेंं आसान हो जाएंगी। मैं जो भी किरदार निभाती हूं तो सोचती हूं कि उसके इंपैक्ट से समाज बेहतर बने। परिवार और समाज में बदलाव लाने वाले किरदार मुझे महत्वपूर्ण लगते हैं।

सोनम कपूर

ऐक्टर

यशा माथुर


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