सक्सेस की एबीसीडी
यह साल अपने अंतिम पड़ाव पर है। फिर हम अगले स$फर के लिए तैयार हो जाएंगे। एक दौर ख़्ात्म हुआ नहीं किदूसरा शुरू हो जाता है। एक जीत मिली नहीं कि अगली हार से बचने की तैयारी शुरू हो जाती है। जीतना सब चाहते हैं पर आख़्िार जीत होती क्या
यह साल अपने अंतिम पड़ाव पर है। फिर हम अगले स$फर के लिए तैयार हो जाएंगे। एक दौर ख़्ात्म हुआ नहीं किदूसरा शुरू हो जाता है। एक जीत मिली नहीं कि अगली हार से बचने की तैयारी शुरू हो जाती है। जीतना सब चाहते हैं पर आख़्िार जीत होती क्या है? किसे कहते हैं कामयाबी? किसी मंजि़ल को पा लेने का नाम है यह या अगले पड़ाव के लिए फिर से सौ प्रतिशत जुट जाने वाली लगातार तय की जाने वाली जर्नी? क्या है कामयाबी का मीटर? सीमा झा की एक रिपोर्ट....
हमारी अच्छी कोशिशों की बदौलत जो मिल जाए, वही है कामयाबी। पर क्या यह एक भ्रम है? कभी हम इसके पीछे बदहवास होकर दौड़ते हैं तब भी यह नहीं मिलती और कभी यह ख़्ाुद ही हमारे पास धीमे से पहुंच जाती है। कोई कहता है $िकस्मत भी मांगती है यह, पर ज्य़ादातर लोग इसे $िकस्मत से परे हमारे प्रयासों का परिणाम कहते हैं। वास्तव में अलग-अलग लोग, अलग-अलग अनुभव और कामयाबी को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कुछ सफल लोगों से ही जान लें कि आख़्िार वे कामयाबी को किस मीटर से मापते हैं, क्या है उनका तरी$का, ऐसे कौन से प्रयासों को ज़रूरी मानते हैं जिनकी बदौलत वे लोगों की नज़रों में कहलाते हैं सफल, कामयाब...!
होड़ नहीं होनी चाहिए
मैं अपने काम में बेस्ट देने में जुटी रहती हूं। कामयाबी का अर्थ और कुछ नहीं बेस्ट देने के संकल्प को बनाए रखने का नाम है। इसलिए होड़ से बचना चाहिए। काम को पूरा करने की होड़ लग जाए तो आंतरिक आनंद हमसे छिन जाता है। यह आनंद ही खो जाए, तो क्या बचता है? कामयाबी हम ख़्ाुशी पाने के लिए पाना चाहतेे हैं पर आंनद न रहे तो हम डिप्रेशन में चले जाते हैं। सारी परेशानी यहीं से शुरू होती है।
कुंदन बनने के लिए तपना होगा
कामयाबी की ख़्ाुशी मिलती है यदि आप हर बार एक नए और बेहतर इंसान के रूप में लोगों को दिखाई देते हैं। हार मिलने पर निराश नहीं होते। बुरे अनुभवों में ही छुपा होता है कामयाबी का बीज, इस बात को बख़्ाूबी समझते हैं। सब जानते हैं कि कामयाबी पाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी है, बेहतर इंसान बनना है पर जो इस बात को सचमुच जीते हैं, इन अनुभवों से नया रचते हैं, वही कामयाब हैं।
अच्छे इंसान हैं तो का$फी है
कामयाबी को लेकर हम दरअसल बहुत कंफ्यूज़ रहते हैं। इसलिए जिसे देखो वही भाग रहा है इसके पीछे। आपको ठहरकर सोचना होगा कि आपके पास कितना भी पैसा हो, शोहरत हो, आपको लगता हो कि आप सफल इंसान हैं, लेकिन यह तब तक बेकार है यदि आपमें इंसानियत नहीं है। आपकी पीठ पीछे चार लोग आपकी बुराइयां करें, आपको भला-बुरा कहें तो आप कामयाब नहीं हैं। सबसे ज्य़ादा ज़रूरी है अपने लिए रिश्ते कमाना और अच्छा करते रहने की इच्छा शक्ति पैदा करना।
कहीं तो रुकें
कामयाबी आज के दौर में सबसे लोकप्रिय शब्द हो गया है। बचपन से ही इसकी अहमियत बताई जाती है। मेरे घर में भी मेरे मां-बाप को यही चिंता थी कि मैं बड़ी होकर क्या बनूंगी, कितना कमाऊंगी वगैरह, वगैरह। पर हमें समझना होगा कि ऐसी दौड़ का क्या $फायदा जब हमें पता ही नहीं कि किसके लिए दौड़ रहे हैं। आपको मालूम ही नहीं कि कामयाबी का मतलब क्या है? मैं ऐसीे किसी दौड़ में शमिल नहीं, जिसमें पैसा कमाना प्राथमिकता हो। मैं सबसे बड़ी कामयाबी ख़्ाुद के भीतर ख़्ाुशी और संतुष्टिï पैदा करने में मानती हूं। यदि यह नहीं है तो आप भागते ही रहेंगे, हासिल कुछ नहीं होगा। हमें एक लक्ष्य तय करना पड़ेगा, जहां रुकना है, जहां मिल सकती है कामयाबी की असली वाली ख़्ाुशी!
तब आप कामयाब हैं-
-आप सामाजिक रूप से सक्रिय हैं।
-हर स्थिति में सकारात्मक रहते हैं।
-मदद के लिए तत्पर रहते हैं।
-आप किसी पर आरोप नहीं मढ़ते।
-भविष्य की संतुलित योजना बनाते हैं।
-पैसों को साधन मानते हैं, साध्य नहीं।
-स्वास्थ्य को प्राथमिक मानते हैं।
-आप समान रूप से सबका सम्मान करते हैं।
आपने किसी लक्ष्य को सफल बनकर पाया है तो मैं गारंटी नहीं दे सकता कि आप उसके लायक हैं या नहीं, लेकिन यदि सुयोग्य बनकर पाया है तो मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि आप विजेता हैं।
डेल कार्नेगी, अमेरिकी लेखक, मोटिवेशनल गुरु