भारतीय युवा आलसी या एक्टिव?
एक शोध के अनुसार भारतीय युवा अन्य देशों के युवाओं की तुलना में अधिक सुस्त हैं। इस बारे में डीडी ने दिल्ली के युवाओंकी राय जानी। तकनीक ने बनाया सुस्त
एक शोध के अनुसार भारतीय युवा अन्य देशों के युवाओं की तुलना में अधिक सुस्त हैं। इस बारे में डीडी ने दिल्ली के युवाओंकी राय जानी।
तकनीक ने बनाया सुस्त
जि़ंदगी में तकनीक की बढ़ती भूमिका की वजह से ही भारतीय युवा सुस्त हो रहे हैं। मुझे लगता है कि बाकी देशों का हाल भी लगभग ऐसा ही है। तकनीक ने जहां हमें सुविधाएं दी हैं, वहीं हमारी मशीनों पर निर्भरता भी बढ़ा दी है। इस वजह से हमारा काम तो प्रभावित हो ही रहा है, साथ ही हमें विभिन्न बीमारियां भी घेर रही हैं।
आलस के चलते पिछड़े
मैं इस रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत हूं। मुझे लगता है कि आलस के चलते ही हम कई क्षेत्रों में पीछे हैं। हमने पश्चिमी देशों की उपभोक्तावादी संस्कृति तो अपना ली लेकिन उनकी अच्छाइयों पर ध्यान नहीं दिया। उनकी तरह वक़्त के पाबंद नहीं बने। इतना ही नहीं, हम अपनी संस्कृति की अच्छाइयों को भी भूल गए।
एक्टिव होते हैं भारतीय युवा
मैं इस रिसर्च से सहमत नहीं हूं। मुझे लगता है कि आज भारतीय हर क्षेत्र में आगे आ रहे हैं। चाहे वो खेल का क्षेत्र हो, सिनेमा हो या फैशन। वे ऊर्जा से भरे हुए हैं और विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस तरह की नकारात्मक बातें भारत की ब्रैंड इमेज के लिए घातक साबित हो सकती हैं।
स्ट्रेस भगाने के लिए करते हैं नशा
मुझे लगता है कि शहरी युवा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले युवाओं की तुलना में ज्य़ादा आलसी हैं। इसकी वजह यह है कि उनके पास लगभग हर काम के लिए गैजेट्स हैं जिनके चलते उन्हें शारीरिक श्रम नहीं करना पड़ता। पर इसकी कीमत उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के रूप में चुकानी पड़ती है।
विपरीत परिस्थितियों में भी सफल
भारतीय युवा का$फी संघर्ष करते हैं। विकसित देशों की तरह यहां उन्हें उतने संसाधन नहीं मिलते। इसके बावजूद अपनी इच्छाशक्ति और जिजीविषा के दम पर वे ख़्ाुद को बराबर साबित कर रहे हैं। ज़रूरत है तो उनकी उपलब्धियों को प्रसारित करने की। उन्हें पहचान दिलाने और प्रोत्साहित करने की।
ज्योति द्विवेदी