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    सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल का पता लगाती थी यह घड़ी, आज National Archaeological Museum में है मौजूद

    Updated: Sun, 07 Jul 2024 03:14 PM (IST)

    पहली सदी ईसा पूर्व में ग्रीक द्वीप एंटीकाइथेरा के तट से तूफान में दुर्घटनाग्रस्त हुए जहाज का मलबा मिला था जिसमें एक घड़ीनुमा उपकरण पाया गया था। जी हां 1901 में मिले इस मशीन के अवशेष आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान और तकनीक से मेल खाते हैं और विशेषज्ञों को इसमें कई रहस्य छिपे होने के संकेत भी मिले हैं। आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

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    इस घड़ी से मिलती थी सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल की जानकारी (Image Source: X)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ग्रीक द्वीप एंटीकाइथेरा के तट से दुर्घटनाग्रस्त हुए जहाज के मलबे से मिला यह घड़ीनुमा उपकरण आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान और तकनीक से काफी ज्यादा मेल खाता है। विशेषज्ञों की मानें, तो यहां कई रहस्य छिपे होने के सबूत भी मिले हैं। दुर्लभ मशीन के अवशेष आज आप एथेंस के नेशनल आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम में देख सकते हैं।

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    विशेषज्ञों ने बताया प्राचीन ग्रीक कंप्यूटर

    विशेषज्ञों ने इस मशीन को ऊपरी तौर पर देखा, तो पाया कि यह कीचड़ और गंदगी से सना है, वहीं इसका निर्माण कांसे की धातु से किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपकरण को हेलेनिस्टिक काल के वैज्ञानिकों ने डिजाइन करके बनाया था और इसे एंटीकाइथेरा मैकेनिज्म कहा गया।

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    ग्रहों की चाल का लगता था पता

    खोज में इस बात की जानकारी सामने आई कि यह एक प्राचीन और हाथ से संचालित ग्रीक ऑरेरी (सौर मंडल का मॉडल) है, जिसे एनालॉग कंप्यूटर का सबसे पुराना उदाहरण बताया जाता है। यह एंटीकाइथेरा मैकेनिज्म दुनिया का पहला एनालॉग कंप्यूटर है और अध्ययनों से पता चला है कि इसका मुख्य उपयोग सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल को दर्शाने, चंद्र और सौर ग्रहणों की भविष्यवाणी करने और यहां तक कि अगले ओलंपिक खेलों का संकेत देने के लिए किया गया था।

    एक्स-रे टोमोग्राफी और हाई रेजोल्यूशन स्कैनिंग

    जानकारी के लिए बता दें, कि कुछ विशेषज्ञ इसे लगभग 87 ईसा पूर्व का बना मानते हैं, तो कुछ का कहना है कि यह 205 ईसा पूर्व में बनाई गई होगी। 1902 में इसकी पहचान पुरातत्वविद् वेलेरियोस स्टेस ने एक गियर के रूप में की थी। फिर 2005 में कार्डिफ विश्वविद्यालय की एक टीम ने कंप्यूटर एक्स-रे टोमोग्राफी और हाई रेजोल्यूशन स्कैनिंग का इस्तेमाल किया। उन्होंने मैकेनिज्म के अंदर के टुकड़ों की छवि बनाई और इस पर लिखी बारीक लिखाई को पढ़ने की कोशिश की जो इसके बाहरी आवरण पर थी। इससे पता चला कि इसमें 37 जालीदार कांस्य गियर थे। ध्यान से देखने पर इसमें कुछ स्केल भी नजर आते हैं।

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