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    Deccan Queen: देश की पहली लग्जरी ट्रेन ने पूरे किए 94 साल, शुरुआत में नहीं थी भारतीयों को सफर करने की इजाजत

    देश की पहली डीलक्स ट्रेन डेक्कन क्वीन 94 साल की हो गई है। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (GIPR) द्वारा 01 जून 1930 को इसकी शुरुआत की गई थी। शुरुआती दिनों में इसमें सात डिब्बे और दो रेक थे जिनमें भारतीयों को सफर करने की इजाजत नहीं दी गई थी। मुंबई और पुणे के बीच चलने वाली इस ट्रेन को भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन भी कहते है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Fri, 31 May 2024 06:11 PM (IST)
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    Deccan Queen: 94 साल की हुई देश की पहली डीलक्स ट्रेन (Image Source: X)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 01 जून 1930 यानी अब से 94 साल पहले देश की पहली डीलक्स ट्रेन डेक्कन क्वीन (Deccan Queen) की शुरुआत हुई थी। चूंकि उस वक्त पुणे को डेक्कन कहा जाता था, ऐसे में मुंबई-पुणे के बीच शुरू हुई इस ट्रेन का नाम डेक्कन क्वीन या दक्कन की रानी पड़ गया था। डीलक्स होने के साथ-साथ यह भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन भी है, जिसे आज मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus) से पुणे के लिए चलाया जा रहा है।

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    7 कोच से हुई थी ट्रेन की शुरुआत

    शुरुआत में इसके दो रैक चलाए जाते थे, जिनमें सात कोच हुआ करते थे। एक का रंग सिल्वर, तो वहीं दूसरी रॉयल ब्लू कलर में थी। कोच के अंदर मौजूद फ्रेम्स को इंग्लैंड में बनाया गया था। वहीं, इसकी बॉडी मुंबई स्थित वर्कशॉप में डेवलप की गई थी। 

    शुरुआती दिनों में डेक्कन क्वीन सिर्फ फर्स्ट और सेकंड क्लास में ही मौजूद थी। बता दें, जब साल 1949 में फर्स्ट क्लास को बंद कर दिया गया, तब पैसेंजर्स की बढ़ती डिमांड की वजह से साल 1955 में ट्रेन में थर्ड क्लस श्रेणी भी जोड़ी गई। ऐसे में, कोच की संख्या भी 7 से बढ़कर 12 हो गई और आज इसे 17 कोच के साथ चलाया जा रहा है।

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    इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली पहली ट्रेन

    आपको जानकर हैरानी होगी, कि यह देश की पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसे चलाने के लिए इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही, यह भी पहला ही मौका था, जब किसी ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए फर्स्ट और सेकंड क्लास में चेयर कारों की शुरुआत हुई थी। 

    माना जाता है कि डेक्कन क्वीन देश की एकमात्र ऐसी ट्रेन है, जिसमें पैसेंजर्स के लिए बैठ कर खाना खाने के लिए टेबल कुर्सी वाली बोगी है। यहां एक बार में 32 पैसेंजर्स के बैठने की व्यवस्था है। इसके अलावा यहां माइक्रोवेव, पेंट्री और डीप फ्रीजर की सुविधा भी है।

    सिर्फ अंग्रेजों को ही थी सफर की इजाजत

    शुरुआती दिनों में इसे हफ्ते में एक ही दिन चलाया जाता था। बता दें, सिर्फ अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों और व्यवसायियों को ही इस ट्रेन से सफर करने की इजाजत थी, ऐसे में जब भारतीयों को अनुमति न होने के कारण धीरे-धीरे इसमें यात्रियों की संख्या घटने लगी, तो रेलवे को लाभ दिलाने के मकसद से 1943 में भारतीय नागरिकों को भी इसमें यात्रा की अनुमति दे दी गई। इसके बाद धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ और इसे साप्ताहिक से दैनिक ट्रेन में भी तब्दील कर दिया गया।

    पहली बार लगा था महिलाओं के लिए अलग कोच

    शुरुआती दिनों में डेक्कन क्वीन ट्रेन में भारतीय लोगों को सफर करने की अनुमति नहीं थी। यह सिर्फ अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों और व्यवसायियों के लिए लिए ही चलाई जाती थी। पहले यह ट्रेन सप्ताह में एक ही दिन चलती थी। लेकिन भारतीय लोगों को इसमें सफर की अनुमति नहीं मिलने के कारण यात्रियों की संख्या घटने लगी थी। 

    बाद में, रेलवे को लाभप्रद बनाने के लिए 1943 में भारतीय नागरिकों को भी यात्रा करने की अनुमति प्रदान की गई। इससे धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी और इस ट्रेन को साप्ताहिक से दैनिक ट्रेन बना दिया गया था। पहली बार इसी ट्रेन में महिलाओं के लिए अलग कोच भी लगाया गया था।

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