World Earth Day 2021: पैंगोलिन और घड़ियाल की लुप्त प्रजातियों पर फिल्म में अभिनेत्री गुल पनाग देंगी अपनी आवाज, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल की पहल लाएगी रंग
अभिनेत्री गुल पनाग- मेरी जेनरेशन के लोग नेशनल ज्योग्रोफिक चैनल के साथ काम करके प्रभावित होते हैं। इसकी डॉक्यूमेंट्रीज जीवन बदलने वाली होती हैं। इनकी कोर वैल्यू के साथ काम करना मुझे अच्छा लगता है क्योंकि पर्यावरण और धरती को संभालने की जरूरतों की मुझे चिंता रहती है।
नई दिल्ली, यशा माथुर। बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री गुल पनाग पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की महत्ता को समझती हैं और इन पर अपनी आवाज उठाती हैं। इस बाबत किसी भी पहल में भी वे हिस्सा लेती हैं। आज अर्थ डे पर भी वे साझा कर रही हैं खुद के पर्यावरण बचाने की कोशिशों के बारे में...
इको वॉरियर हूं मैं
मैंने धरती को बचाने के कई मुद्दों पर जागरुकता फैलाई है। करीब छह साल पहले इसकी शुरुआत हुई जब मेरे पति ने मुझे बिजली से चलने वाली गाड़ी दी और रोज के कामों के लिए मैं उसका प्रयोग करने लगी। हम जानते हैं कि पर्यावरण बचाने का यही सरल उपाय है।
सोलर ऊर्जा पर चलता है हमारा घर
हम सौर ऊर्जा को बहुत प्रोमोट कर रहे ळैं। हमारे फतहगढ़ साहब के घर में सोलर प्रोजेक्ट लगा है। इससे हम ग्रिड को बिजली देते भी हैं। पंजो का हमारा यह घर नेट मीटरिंग और ग्रिड टाइड का पहला पायलट प्रोजेक्ट है। अपने नोएडा के घर में भी मुझे यही करना है। हम सौर ऊर्जा बनाते हैं और जितनी जरूरत होती है उतनी प्रयोग करते हैं बाकी की एनर्जी ग्रिड में चली जाती है और हमें हमारे प्रोडक्षन और खर्च के बीच का भुगतान सरकार द्वारा कर दिया जाता है। एक तो पर्यावरण की बचत और दूसरे पैसों का भी फायदा। हम सभी को इसे प्रयोग करना चाहिए।
लुप्त प्रजातियों की होगी बात
मेरी जेनरेशन के लोग नेशनल ज्योग्रोफिक चैनल के साथ काम करके प्रभावित होते हैं। इसकी डॉक्यूमेंट्रीज जीवन बदलने वाली होती हैं। इनकी कोर वैल्यू के साथ काम करना मुझे अच्छा लगता है क्योंकि पर्यावरण और धरती को संभालने की जरूरतों की मुझे चिंता रहती है। इस बार अर्थ डे पर नेशनल ज्योग्रोफिक चैनल ‘टाइगर क्वीन ऑफ तारु’ और ‘ऑन द ब्रिंक’ फिल्में लेकर आया है। जिन्हें आज क्रमश: दिन के बारह बजे और एक बजे प्रसारित किया लाएगा। जहां ‘टाइगर क्वीन ऑफ तारु’ शेरनी के उस बच्चे की कहानी है जो शिकारियों का शिकार हो जाती है। छह साल तक शेरनी के बच्चे पर फिल्माई गई यह फिल्म भावप्रधान है। ‘ऑन द ब्रिंक’ में हमने पेंगुलिन और घडि़याल की लुप्त होती प्रजातियों की बात कही है। इन फिल्मों का उद्देश्य पर्यावरण और लुप्त होती प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरुक करना है।