उज्जवा गांव के यूजीआर में जलापूर्ति रही ठप
नांगलोई के समीप रनहौला में पानी की लाइन टूट जाने की वजह से रविवार को रात उज्जवा गांव के भूमिगत जलाशय (यूजीआर) में पानी नहीं पहुंचा। जिसकी वजह से इलाके के वे 20 गांवों ग्रामीण परेशान रहे है जिन गांवों में उज्जवा के यूजीआर से जलापूर्ति होती है। हालांकि रविवार की रात को पाइप लाइन दुरुस्त किए जाने के बाद रविवार की सुबह साढ़े तीन बले जलापूर्ति शुरू हो गई लेकिन ग्रामीणों को उसी समय पर पानी मिल सकेगा जिस समय पर आपूर्ति तय की गई है।जलबोर्ड की पाइप लाइन में दिक्कत की वजह से पिछले दिनों एक सप्ताह तक दौलतपूर यूजीआर को पानी नहीं मिला था।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : नांगलोई के समीप रनहौला में पानी की लाइन टूट जाने की वजह से रविवार को रात उज्जवा गांव के भूमिगत जलाशय (यूजीआर) में पानी नहीं पहुंचा। जिसकी वजह से इलाके के उन 20 गांवों के ग्रामीण परेशान रहे जिन गांवों में उज्जवा के यूजीआर से जलापूर्ति होती है। हालांकि, रविवार की रात को पाइप लाइन दुरुस्त किए जाने के बाद रविवार की सुबह साढ़े तीन बजे जलापूर्ति शुरू हो गई, लेकिन ग्रामीणों को उसी समय पर पानी मिल सकेगा जिस समय पर आपूर्ति तय की गई है। जलबोर्ड की पाइप लाइन में दिक्कत की वजह से पिछले दिनों एक सप्ताह तक दौलतपुर यूजीआर को पानी नहीं मिला था। ग्रामीणों के शोर-शराबे के बाद जल बोर्ड ने पाइप लाइनों को दुरुस्त कर जलापूर्ति शुरू कर दी। ग्रामीणों की परेशानी यह है कि दिल्ली जल बोर्ड की व्यवस्था के तहत गांवों के घरों में एक दिन के अंतराल पर पानी पहुंचता है। किसी भी कारण से एक दिन जलापूर्ति रुक जाती है तो अगले दिन पीने के पानी को लाले पड़ जाते हैं।
उज्जवा गांव निवासी मनोज राजपूत चोटीवाला का कहना है कि गर्मी बढ़ते जा रही है। पशु-पक्षियों को समय पर पानी नहीं मिलने पर दिक्कत हो जाएगी। जल बोर्ड को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन जलापूर्ति की व्यवस्था करनी चाहिए।
गर्मी बढ़ने के साथ शहरी क्षेत्र में विशेषकर इंद्रपुरी, मायापुरी और नारायणा रेलवे लाइन के किनारे बसी झुग्गियों में जलापूर्ति की समस्या गंभीर हो गई है। यहां पर रह रहे लोगों को पानी के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ रहा है। लेकिन नियमित तौर पर हर रोज टैंकर भी नहीं भेजा जा रहा है।
मायापुरी निवासी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि यहां का ट्यूबवेल एक माह से खराब पड़ा है, इसलिए पाइप लाइनों से जलापूर्ति बंद है। तीन दिनों बाद रविवार को एक टैंकर पानी आया। जब भी पानी का टैंकर पहुंचता है, लोग पानी लेने के लिए टूट पड़ते हैं। शारीरिक दूरी का यहां कोई मायने नहीं रह जाता। झुग्गियों में नियमित जलापूर्ति के लिए जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई, लेकिन अभी तक कोई पाइप लाइन से जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं की गई।