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पाक में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर यूएनएचआरसी की चुप्पी को विहिप ने आड़े हाथ लिया

विश्व हिदू परिषद (विहिप) ने विदेशी अंशदान नियमन कानून (एफसीआरए) में संशोधन पर संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार काउंसिल (यूएनएचआरसी) की चिता को गैर जरूरी बताते हुए उसपर कटाक्ष किया है। विहिप ने कहा कि उसे विदेशी दान का मामला तो दिखता है पर पाकिस्तान में हिदुओं व सिखों पर होता अत्याचार नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:47 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:47 PM (IST)
पाक में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर यूएनएचआरसी की चुप्पी को विहिप ने आड़े हाथ लिया

जासं., नई दिल्ली: विश्व हिदू परिषद (विहिप) ने विदेशी अंशदान नियमन कानून (एफसीआरए) में संशोधन पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल (यूएनएचआरसी) की चिता को गैर जरूरी बताते हुए कहा कि उसे विदेशी दान का मामला तो दिखता है, पर पाकिस्तान में हिदुओं व सिखों पर होता अत्याचार नहीं दिख रहा है। विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि जो बातें भारत बहुत पहले से पूरे विश्व को बताना चाह रहा था, उस बात को पाकिस्तान के संसदीय समित की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां हिदुओं का धर्मातरण, हिदू बेटियों का मुसलमानों से जबरन निकाह कराया जा रहा है। हिदूओं व सिखों व उनके धर्मस्थलों पर पर अमानवीय हमलों को रोकने में सरकारी तंत्र विफल रहा है। ऐसे में यूएनएचआरसी की उदासीनता साजिश का इशारा करती है। इसे एफसीआरए पर उसकी चिता से बल मिलता है। आखिरकार, पैसे के मामले को मानवाधिकार हनन से कैसे जोड़ा जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि सेवा के नाम पर किसी एनजीओ को विदेशी चंदे का इस्तेमाल धर्मातरण, मतांतरण, आतंकवाद, अलगाववाद और राष्ट्र विरोधी हथकंड़े को बढ़ावा देने को कोई भी देश इजाजत नहीं देगा।

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