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वेदों से ही है भारत की भारतीयता : स्वामी रामदेव

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : वेदों से ही भारत की भारतीयता है। वेद में सारी सृष्टि का विधान है

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 09:59 PM (IST)
वेदों से ही है भारत की भारतीयता : स्वामी रामदेव

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली :

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वेदों से ही भारत की भारतीयता है। वेद में सारी सृष्टि का विधान है। वेदों के अध्ययन से आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान, जीवन ज्ञान व सर्व विज्ञान का अध्ययन हो जाता है, इसलिए वेद के नाम पर भेद की बातें करने वाले लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। ये बातें योगगुरु स्वामी रामदेव ने मंगलवार को लोधी रोड स्थित चिन्मय मिशन हॉल में आयोजित भारतात्मा अशोकजी ¨सघल वैदिक पुरस्कार-2018 वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही।

उन्होंने कहा कि कुरान व बाइबल में बहुत सी अच्छी बातें हैं। इन्हें धार्मिक पुस्तक कहा जा सकता है, लेकिन इन्हें धर्मग्रंथ नहीं कह सकते हैं। रामदेव ने कहा कि वेदों को मजहब से ऊपर उठकर देखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वे देश में वेद आधारित शिक्षा प्रणाली लागू करें। वह गोहत्या रोकना भी सुनिश्चित करें। देश में बाइबल के बजाय वेदों के आधार पर कैलेंडर तैयार किए जाने चाहिए। रामदेव ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति वेद पर हाथ रखकर शासन करें तो वेद को संविधान में भी सम्मान प्राप्त होगा। हमारे देश में अगर मस्जिद में नमाज पढ़वाने वाले मौलवियों को सरकार वेतन दे सकती है तो वैदिकों को वेतन क्यों नहीं दिया जा सकता है। रामदेव ने वैदिक शिक्षा के लिए आजीवन काम करने के लिए विश्व ¨हदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. अशोक ¨सघल की प्रशंसा की।

¨सघल फाउंडेशन उदयपुर की ओर से आयोजित समारोह में भारतात्मा अशोकजी ¨सघल वैदिक पुरस्कार-2018 प्रदान वितरित किए गए। स्वामी गो¨वद गिरि ने कहा कि आज वेदों को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसके वे हकदार हैं। इन पुरस्कारों के जरिये वेदों को आम लोगों के बीच पुन:स्थापित करने का भी प्रयास किया जा रहा है, इसलिए वैदिकों को भी सम्मानित किया जाना जरूरी है। फाउंडेशन की ओर से आज पूरे देश में 34 वेद विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। वेदों को तो हमारे कंठ में जीवित रहना चाहिए। वैदिक होने का मतलब गरीब होना नहीं बल्कि तेजस्वी होना है।

पंकज कुमार शर्मा, निशिधर शर्मा, राजेंद्र पुरुषोत्तम दानी को उत्कृष्ठ विद्यार्थी पुरस्कार दिया गया। इसमें प्रत्येक को तीन लाख रुपये, मेडल व प्रमाणपत्र शामिल है। वहीं श्रीधर अड़ी व गुल्लपल्ली सीताराम चंद्रमूर्ति को आदर्श वेदाध्यापक सम्मान मिला। इसमें प्रत्येक को पांच लाख रुपये, मेडल व प्रमाणपत्र शामिल है। वहीं श्रीसद्गुरु निजानंद महाराज वेद विद्यालय, आलंदी को सर्वश्रेष्ठ वेद विद्यालय का पुरस्कार दिया गया। इसमें सात लाख रुपये, मेडल व प्रमाणपत्र शामिल रहा। वहीं विनायक मंगलेश्वर बादल को वेद अध्ययन व वैदिक शिक्षा में जीवन पर्यंत कार्य करने के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान दिया गया। इस दौरान फाउंडेशन की ओर से अर¨वद ¨सघल, सलिल ¨सघल, संजय ¨सघल, अमर ¨सह समेत वेदों के तमाम विद्वान व शिक्षक आदि मौजूद रहे।


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