वायु शोधक से स्वच्छ हो रही आनंद विहार-आइटीओ की हवा
पायलट प्रोजेक्ट के तहत चौराहों पर लगाए गए वायु शोधक यंत्रों से प्रदूषित हवा में सुधार हो रहा है। पीएम 2.5 और पीएम 10 में भी सुधार देखा गया है। यह आंकलन है नेशनल एन्वायरमेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट (नीरी) की अध्ययन रिपोर्ट का।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली :
पायलट प्रोजेक्ट के तहत चौराहों पर लगाए गए वायु शोधक यंत्रों से प्रदूषित हवा में सुधार हो रहा है। पीएम 2.5 और पीएम 10 में भी सुधार देखा गया है। यह आकलन है नेशनल एन्वायरमेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट (नीरी) की अध्ययन रिपोर्ट का।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और नीरी के संयुक्त तत्वावधान में सितंबर माह में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विधिवत रूप से आइटीओ और मुकरबा चौंक पर एक-एक प्रोटोटाइप वायु (¨वड ऑगमेंटेशन एंड एयर प्यूरिफाइंग यूनिट) शोधक यंत्र की शुरुआत की थी। यह यंत्र उस जगह की प्रदूषित हवा को अंदर खींचकर उसे स्वच्छ करके बाहर छोड़ते हैं। नवंबर माह में इनका दायरा बढ़ाया गया। आनंद विहार में 10, आइटीओ पर 13, वजीरपुर चौक पर 7 और शादीपुर डिपो पर 11 यंत्र लगाए गए। हाल ही में आइटीओ पर अधिक क्षमता वाले तीन वायु शोधक यंत्र लगाए गए हैं। यह यंत्र आसपास की 10,000 वर्ग मीटर तक की हवा को साफ कर सकते हैं।
दो माह का आकलन : नीरी ने आनंद विहार और आइटीओ की स्थिति पर नवंबर-दिसंबर माह की आकलन रिपोर्ट तैयार की है। इसमें सामने आया है कि ये यंत्र प्रदूषित हवा को स्वच्छ करने में कारगर भूमिका निभा रहे हैं। वहां की प्रदूषित हवा में से पीएम 2.5 की मात्रा को जहां 42 से 43 फीसद तक कम रहे हैं वहीं पीएम 10 की मात्रा में करीब 60 फीसद का सुधार आ रहा है। आइटीओ की तुलना में आनंद विहार में प्रदूषण अधिक
रिपोर्ट के अनुसार आइटीओ की तुलना में आनंद विहार की हवा ज्यादा खतरनाक है। आइटीओ पर लगे वायु संयंत्रों का फिल्टर जहां छह दिन में बदलना पड़ता है वहीं आनंद विहार में लगे संयंत्रों का फिल्टर चौथे दिन ही चॉक हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार आनंद विहार में सड़कों पर धूल ज्यादा उड़ना और यातायात जाम की समस्या बने रहना इसकी बड़ी वजह है। इसके विपरीत आइटीओ पर जहां धूल नहीं के बराबर है वहीं यातायात प्रबंधन भी कहीं बेहतर रहता है। बढ़ाया जाएगा वायु शोधक यंत्रों का दायरा: नीरी के मुताबिक अगले चरण में भीकाजी कामा प्लेस में भी 13 वायु यंत्र लगाए जाएंगे। छह माह तक प्रायोगिक तौर पर इनके असर का अध्ययन किया जाएगा। अगर साकारात्मक प्रभाव सामने आता है तो सीपीसीबी की अनुशंसा के अनुसार दिल्ली के अन्य व्यस्त एवं प्रदूषित चौराहों पर भी यह यंत्र स्थापित किए जाएंगे। प्रदूषण के स्त्रोतों और प्रदूषक तत्वों की भी होगी जांच : वायु शोधक यंत्रों के फिल्टर बदलने के क्रम में नीरी उनमें जमा प्रदूषित मिंट्टी भी एकत्र कर रहा है। अगले चरण में इसकी भी जांच होगी। देखा जाएगा कि प्रदूषित मिंट्टी में कौन-कौन प्रदूषक तत्व हैं और उनके संभावित स्त्रोत किस तरह के हैं। उसी के अनुरूप उन पर नियंत्रण के प्रयास किए जाएंगे। ---------------
फिलहाल वायु शोधक यंत्रों का परीक्षण प्रायोगिक तौर पर ही चल रहा है, लेकिन परिणाम साकारात्मक आ रहे हैं। अभी कुछ दिन यह प्रयोग ऐसे ही जारी रहेगा। कुछ अध्ययन भी किए जाएंगे। इसके बाद ही इनके विस्तार का निर्णय लिया जाएगा।
-डॉ. सुनील गुलिया, वैज्ञानिक, नीरी