लॉकडाउन के कारण घर पर ही वट सावित्री की पूजा करेंगी महिलाएं
हिदू धर्म में वट सावित्री व्रत और पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वट सावित्री की पूजा प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए से व्रत रखती हैं।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : हिदू धर्म में वट सावित्री व्रत और पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वट सावित्री की पूजा प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए से व्रत रखकर करती हैं। इस बार कोरोना संकट में लॉकडाउन के चलते सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर पूजा करना संभव नहीं है। इसलिए अधिकतर सुहागिन महिलाएं इस बार घर पर ही रहकर पूजा कर रही हैं। प्राचीन कथा के अनुसार इसी दिन देवी सत्यवान की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी सावित्री ने यमराज को उनके प्राणों को लौटाने के लिए मजबूर कर दिया था। मान्यता है कि इस दिन जो भी विवाहित महिला व्रत रखकर विधिवत पूजा आराधना करती है उनके पति की संकटों से रक्षा होती है। पंडित कौशल पांडेय के अनुसार इस वर्ष यह पर्व शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र और शोभन योग में पड़ रहा है, जो ज्योतिषीय गणना के अनुसार उत्तम योग है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 मई दिन गुरुवार को रात्रि 09 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है, जो 22 मई को रात्रि 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
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वट सावित्री का व्रत रखने वाली भजनपुरा निवासी महिला सुमन उप्रेती ने बताया कि इस बार वे लॉकडाउन के कारण घर पर रहकर ही पूजा करेंगी। सुमन ने बताया कि इस बार पूजा करने के लिए उन्होंने पड़ोस के पंडित जी से भी सलाह ली है। पंडित जी ने बताया है कि संकट के समय घर पर रहकर पूजा की जा सकती है।
-सुमन उप्रेती, भजनपुरा
कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन का उल्लंघन न हो, इसलिए मोहल्ले की सभी महिलाओं ने घर पर रहकर ही वट सावित्री की पूजा करने का निर्णय लिया है। इस दौरान सभी महिलाएं अपने घर पर ही सत्यवान और सावित्री की कथा पढ़कर वट सावित्री की पूजा करेंगी।
नूतन झा, खजूरी वटवृक्ष उपलब्ध न होने पर सकारात्मक सोच रखते हुए मानसिक रूप से घर में जो भी पौधा हो उसे वटवृक्ष मानकर सूत के धागे से लपेटकर उसको पूजा सामग्री अर्पित की जाए। सुहागन महिलाएं पूर्ण श्रृंगार करके भगवद् रूप में पतिदेव को ही भोग प्रसाद अर्पित करें। पूजा के बाद परिवार के बुजुर्गो को सामग्री अर्पित की जाए।
स्वामी राजेश्वरानंद महाराज
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